राजनीति एक बेहद खूबसूरत समीकरण है। एक ऐसा समीकरण जिसमें ना तो कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है और ना ही स्थायी शत्रु। शायद इसीलिए इस खेल में दिल मिले ना मिले लेकिन हाथ जरूर मिलते रहते हैं। क्या पता सत्ता के लिए कब किसके हाथ की जरूरत पड़ जाये। अनिश्चितताओं के यह खेल अत्यंत रोचक हैं क्योंकि ऊंट किस करवट बैठेगा यह स्वयं ऊंट को नहीं पता होता। दल, नेतृत्व, सेवा, विचार और जनाधार से सत्ता मिलती है परंतु कांग्रेस ने इन मूल्यों को सत्ता के क्षणिक सुख के लिए व्यापार में परिवर्तित कर दिया। अमरिंदर जैसे सशक्त नेतृत्व को बहिष्कृत किया गया और सिद्धू जैसे पाक प्रेमी को पुरस्कृत। ऐसे में, खबर सामने आ रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह NDA में शामिल हो सकते हैं।
पंजाब में मोदी और कैप्टन की जोड़ी
मुख्यमंत्री पद पर चन्नी जैसे पुतले का राज्याभिषेक हुआ जैसे कभी मनमोहन का हुआ था। स्वयं कांग्रेस नहीं जानती कि इस पुतले की डोर किन-किन हाथों में है। एक गरिमामयी सैन्य अधिकारी और एक राष्ट्रवादी राजनेता पर “Non-Performing CM” का कलंक लगा कर निष्कासन और सिद्धू-चन्नी को चयनित करना। अमरिंदर लड़ेंगे। वे निश्चित रूप से लड़ेंगे। उनके सैन्य संस्कार नैसर्गिक रूप से उन्हें इस राजनीतिक युद्ध के लिए प्रेरित करेगा।
अभी हाल ही में, पंजाब लोक कांग्रेस स्थापित करने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया है कि वे NDA के साथ चुनाव लड़ेंगे और पंजाब के 2022 विधानसभा चुनाव में सरकार भाजपा की ही बनेगी। NDTV न्यूज़ चैनल से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा, “मैं पहले ही प्रधानमंत्री से बात कर चुका हूं, गृह मंत्री से मिल चुका हूं और उनसे गठबंधन के बारे में बात कर चुका हूं। शनिवार को, मैं भाजपा अध्यक्ष से मिलने की उम्मीद करता हूं। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा भी हो गई।”
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कांग्रेस एक दल के रूप में और उसका राजनैतिक नेतृत्व एक आलाकमान के रूप में पूर्णत: विफल रहा है। उसकी विफलता उसके नेतृत्वहीनता और विचारशून्यता के कारण है। कोई भी पार्टी करिश्माई नेतृत्व, मूलभूत सिद्धान्त, विश्वासपात्र कैडर और आपार जनाधार के बल पर चलती है। करिश्माई नेतृत्व के नाम पर भाजपा के पास मोदी-योगी-शाह की जोड़ी है, तो वहीं कांग्रेस के पास भ्रमित राहुल।
कांग्रेस को लग सकता है बड़ा झटका
मूलभूत सिद्धान्त के नाम पर भाजपा के पास प्रखर राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व है, तो वहीं कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता और तुष्टीकरण पर आज तक भेद नहीं कर पाई। कैडर के नाम पर जहां भाजपा के पास RSS जैसा मजबूत संगठन है, तो वहीं AAPऔर TMC जैसे पार्टियों को कांग्रेस ने अपनी फ्रेंचाईजी सौंप दी है और भाजपा के जनाधार का जवाब तो किसी दल के पास नहीं दिखता। वहीं, कांग्रेस पंजाब में एक सशक्त और कल्याणकारी नेतृत्व का सृजन तो नहीं कर पाई किन्तु इस पार्टी ने सिद्धू जैसे कट्टरपंथी और राष्ट्र विरोधी स्लीपर सेल को आगे बढ़ने का अवसर जरूर प्रदान किया। ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि पंजाब में अगर भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच गठबंधन होता है, तो सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा।
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