‘टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर’ की रेस में अश्विन सबसे आगे हैं

अश्विन की मेहनत प्रशंसा के पात्र है!

टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर

भारतीय किकेट में दो ही ऐसे गेंदबाज हुए, जिन्होंने न सिर्फ अपने निरंतर प्रदर्शन से खेल प्रसंशकों को चकित किया अपितु भारतीय क्रिकेट को नए मुकाम तक पहुंचाया। भारतीय स्पिनर्स ने दुनिया में खूब वाहवाही हासिल की है। अनिल कुंबले के बाद भारत के सबसे सफल गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को उनका ताज जल्द ही मिलने वाला है। एक समय में टीम से बाहर जाने की सोचने वाले रविचंद्रन अश्विन को जल्द ही ICC टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर मिल सकता है।

टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर के लिए आर अश्विन हुए नामांकित

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने बीते मंगलवार को ICC मेन्स टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार के लिए चार खिलाड़ियों की घोषणा की है। इस सूची में भारतीय स्पिनर्स और ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन, इंग्लैंड के कप्तान जो रूट और श्रीलंका के टेस्ट और वन डे टीम के कप्तान डिमुथ करुणारत्ने सहित न्यूजीलैंड के युवा तेज गेंदबाज और ऑलराउंडर काइल जैमीसन को जगह मिली है। यह गर्व का विषय है क्योंकि किकेट के सबसे लंबे प्रारूप में भारत के सबसे महान मैच-विजेताओं में से एक रविचंद्रन अश्विन ने फिर से वर्ष 2021 में दुनिया के बेहतरीन स्पिनरों की सूची में अपना लोहा मनवाया है।

क्रिकेट में गेंद के साथ अपनी जादूगरी दिखाने के अलावा, अश्विन ने बल्ले से भी अमूल्य योगदान दिया है। भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इस वर्ष कुल 9 टेस्ट मैचों में 16.94 की औसत से 52 विकेट हासिल किए हैं जबकि एक शतक के साथ 26.23 के औसत से 341 रन भी बनाए हैं। अश्विन के करियर के लिए यह एक शानदार वर्ष रहा है, जिसमें उन्होंने गेंद के साथ ही बल्ले से दमदार प्रदर्शन किया है।

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शानदार प्रदर्शन के लिए चयनित हुआ अश्विन का नाम

अश्विन इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी टेस्ट श्रृंखला में जीत दर्ज करने के साथ ही भारत के लिए महत्वपूर्ण गेंदबाज साबित हुए थे। अश्विन ने ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट पारी में की दूसरी श्रृंखला में डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ का विकेट चटकाया। वहीं, इससे पहले अश्विन ने हनुमा विहारी के साथ 128 गेंदें खेलकर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए टेस्ट श्रृंखला को ड्रॉ भी कराया। उनके इस अनोखे कारनामों के लिए, उन्हें प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ चुना गया। भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए ICC विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में दूसरे सर्वश्रेष्ठ टीम के रूप में उभरने के बावजूद, अश्विन ने अनुकूल विकेट पर अपनी छाप छोड़ते हुए उस मैच में चार विकेट अपने नाम किये।

अश्विन के प्रमुख प्रतिद्वंदी हो सकते हैं जो रूट

वहीं, अगर बात की जाए टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर सूची में अश्विन के प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में इंग्लैंड के कप्तान जो रूट की, तो इन्होंने इस वर्ष बल्लेबाजी में सर्वश्रेठ प्रदर्शन किया है। हालांकि, यह वृहत रूप से इंग्लैंड की टेस्ट टीम के लिए अनुकूल परिणामों में तब्दील नहीं हो सका किन्तु रूट ने इस साल कुल 1708 रन बनाए हैं, जो की एक वर्ष में बनाए गए वेस्टइंडीज के महान विव रिचर्ड्स के बाद दूसरे सबसे अधिक रन हैं।

2021 में छह शतकों के साथ 15 मैचों में 1,708 रन बनाने वाले इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान जो रूट को भी इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। वर्ष 2021 में जो रूट के शानदार फॉर्म की भयावहता से जूझने के बाद अब उनके इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि वह एक कैलेंडर वर्ष में टेस्ट क्रिकेट में 1,700 से अधिक रन बनाने वाले इतिहास के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे आगे सिर्फ मोहम्मद युसूफ और सर विवियन रिचर्ड्स खड़े हैं।

एक समय टीम छोड़ना चाहते थे अश्विन

TFI ने पहले भी बताया है कि विराट कोहली और रवि शास्त्री की वजह से एक बार टीम छोड़ने की सोच चुके थे रविचंद्रन अश्विन। ESPN Cric Info को दिए साक्षात्कार के अनुसार, अश्विन ने बताया कि “2018 और 2020 के बीच मैंने विभिन्न बिंदुओं को लेकर खेल छोड़ने पर विचार किया। मैंने सोचा कि बहुत प्रयास कर लिया, लेकिन नहीं हो रहा है। मैंने जितना कठिन प्रयास किया, टीम से उतना ही दूर महसूस किया। विशेष रूप से एथलेटिक प्यूबल्जिया और पेटेलर टेंडोनाइटिस के साथ। मैं छह गेंद फेंकता था और मेरी सांसे फूलने लगती थी, हर जगह दर्द होता था।”

परंतु बात वहीं नहीं रुकी।  साक्षात्कार में अश्विन ने किसी के नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट था कि वो टेस्ट कप्तान कोहली और पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री के बारे में बात कर रहे थे, जो पिछले चार-पांच वर्षों में सभी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार थे। ऑफ स्पिनर ने महसूस किया कि उन्हें हमेशा परेशान किया गया।

उदाहरण के लिए जब भारतीय टीम ने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड का दौरा किया, तो अश्विन को एक भी टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला, जबकि रवींद्र जडेजा अपने सीनियर से आगे शुरुआती एकादश में जगह बना रहे थे। अश्विन को बेंच पर बैठे देख दुनिया भर के प्रशंसक और विशेषज्ञ हैरान थे, लेकिन कोहली और शास्त्री ने उन सभी को नजरअंदाज कर दिया, वह भी तब जब विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जो किसी तरह भारत को पराजय से दूर ले जाना चाहते थे।

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अश्विन अब अपने पुराने रंग में आ चुके हैं वापिस

रविचंद्रन अश्विन पिछले कुछ समय से भारत के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली गेंदबाजों में से एक रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाएं हाथ के बल्लेबाजों के तौर पर अश्विन ने भारतीय क्रिकेट में अपने लिए एक खास जगह बनाई है। शॉन पोलक (Shaun Pollock) को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अश्विन 12वें सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बन चुके हैं। उन्होंने 24.27 के औसत और 52.3 के स्ट्राइक रेट से इस बेहतरीन उपलब्धि को हासिल किया है। स्पिनर अश्विन ने वर्ष 2020 में भी 61 विकेट चटकाए थे। वर्ष 2015 में तो उन्होंने 17.20 की औसत से कुल 62 विकेट लिए थे।

एक टेस्ट मैच में 6 बार 10 विकेट लेने के कारनामे और लगातार 5 वर्षों तक 50 से ऊपर विकेट लेने का कारनामा भी अश्विन कर चुके हैं। वो टेस्ट क्रिकेट में अभी तक 24.21 की औसत के साथ कुल 427 विकेट चटका चुके हैं। ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि एक समय गुटबाजी का शिकार हुए अश्विन अब अपनी पूरी ताकत से क्रिकेट पर राज करने के लिए तैयार हैं।

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