वर्ष 2010, IPL का तृतीय संस्करण। चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से एक गेंदबाज लाईमलाइट में आए। नाम था रविचंद्रन अश्विन दायें हाथ के ऑफ ब्रेक स्पिनर थे, जिन्हे कैरम बॉल खेलना भी आता था। इन्होंने न केवल IPL जिताने में चेन्नई सुपर किंग्स की सहायता की, अपितु सबसे किफायती गेंदबाज़ी भी की। इन्हे तुरंत भारतीय टीम में चुना गया, परंतु इन्हे प्रसिद्धि के लिए एक वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ी।
2011 के विश्व कप में रविचंद्रन अश्विन को हरभजन सिंह और पीयूष चावला के अतिरिक्त चुना गया था। आम तौर पर वह केवल एक रिजर्व स्पिनर के रूप में आए थे, परंतु पीयूष चावला के औसत प्रदर्शन के पश्चात उन्हे वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण मैच में विश्व कप में पदार्पण करने का अवसर मिला था। उन्होंने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और भारत को क्वार्टरफाइनल में भी पहुंचाया।
लेकिन अश्विन वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खतरनाक साझेदारियों को तोड़ते हुए अपने महत्वपूर्ण गेंदबाजी से भारत को सेमीफाइनल में पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जितनी भूमिका 2011 के विश्व कप विजय में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, महेंद्र सिंह धौनी, ज़हीर ख़ान इत्यादि की थी, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका रविचंद्रन अश्विन की भी थी।
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परंतु ये तो मात्र प्रारंभ था, क्योंकि रविचंद्रन अश्विन ने इसके बाद फिर मानो मुड़कर नहीं देखा। 2013 में जब भारत पहली बार ICC चैंपियंस ट्रॉफी में विजेता बना, तो रविचंद्रन अश्विन ने सेमीफाइनल और फाइनल में अपनी गेंद से वही करिश्मा दिखाया, जो 1983 के विश्व कप में मोहिन्दर अमरनाथ ने दिखाया था। इतना ही नहीं, इयोन मोर्गन और रवि बोपारा की खतरनाक दिख रही जोड़ी को अपने अविश्वसनीय क्षेत्ररक्षण से आउट कर रविचंद्रन अश्विन ने भारत की विजय भी सुनिश्चित की।
परंतु रविचंद्रन अश्विन वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने टी20 विश्व कप में भी भारत को बराबर योगदान दिया। यदि भारत का भाग्य उसके विरुद्ध न होता, तो अश्विन की गेंदबाज़ी अकेले दम भारत को 2014 का टी 20 विश्व कप जिताने के लिए पर्याप्त थी, और उन्होंने सबसे अधिक विकेट भी चटकाए थे। भारत की ओर से सबसे अधिक और सबसे जल्दी 50, 100, 200, और अब 400 टेस्ट विकेट्स तक चटकाए। तो फिर ऐसा क्या हुआ कि ऐसे अनोखे रत्न को ये सोचने पर विवश होना पड़ा कि क्या सन्यास लेना उचित होगा? वजह स्पष्ट है – विराट कोहली और रवि शास्त्री।
यदि भारतीय क्रिकेट को किसी ने अपने कर्मों से सबसे अधिक कलंकित किया है, तो वे यही दोनों व्यक्ति हैं, और इनके लिए किसी भी प्रकार की निंदा और कोई भी उपमा कम पड़ेगी। विराट कोहली कभी भारत के सबसे उत्कृष्ट खिलाड़ियों में से एक गिने जाते थे, जिनकी तुलना सचिन तेंदुलकर से की जाती थी। परंतु अपनी विकृत मानसिकता और अपनी ओछी सोच के कारण विराट कोहली जल्द ही भारत के सबसे प्रिय खिलाड़ियों से भारत के सबसे निकृष्ट क्रिकेट टीम कप्तानों में से एक में परिवर्तित हो गए, और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनका दुर्व्यवहार इसका सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण है।
ESPN Cric Info को दिए साक्षात्कार के अनुसार, अश्विन ने बताया कि “2018 और 2020 के बीच मैंने विभिन्न बिंदुओं को लेकर खेल छोड़ने पर विचार किया। मैंने सोचा कि बहुत प्रयास कर लिया, लेकिन नहीं हो रहा है। मैंने जितना कठिन प्रयास किया, टीम से उतना ही दूर महसूस किया। विशेष रूप से एथलेटिक प्यूबल्जिया और पेटेलर टेंडोनाइटिस के साथ। मैं छह गेंद फेंकता था और मेरी सांसे फूलने लगती थी, हर जगह दर्द होता था।”
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परंतु बात वहीं नहीं रुकी। साक्षात्कार में अश्विन ने किसी के नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट था कि वो टेस्ट कप्तान कोहली और पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री के बारे में बात कर रहे थे, जो पिछले चार-पांच वर्षों में सभी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार थे। ऑफ स्पिनर ने महसूस किया कि उन्हें हमेशा परेशान किया गया। उदाहरण के लिए जब भारतीय टीम ने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड का दौरा किया, तो अश्विन को एक भी टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला, जबकि रवींद्र जडेजा अपने सीनियर से आगे शुरुआती एकादश में जगह बना रहे थे।
अश्विन को बेंच पर बैठे देख दुनिया भर के प्रशंसक और विशेषज्ञ हैरान थे, लेकिन कोहली और शास्त्री ने उन सभी को नजरअंदाज कर दिया, वह भी तब जब विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जो किसी तरह भारत को पराजय से दूर ले जाना चाहते थे। लेकिन घमंड में चूर कोहली और शास्त्री ये भूल गए थे कि
विराट कोहली ने हाल ही में अपने आप को बेकसूर सिद्ध करने के लिए ये आरोप लगाया था कि उन्हे कप्तानी से हटाने से पूर्व BCCI ने सूचित नहीं किया था। परंतु यही विराट कोहली हैं, जिन्होंने जानबूझकर रविचंद्रन अश्विन को 2019 के आईसीसी विश्व कप में जगह नहीं दी, जबकि वे इंग्लैंड के परिस्थितियों से भली-भांति परिचित थे। उन्हे जानबूझकर टी 20 विश्व कप में पाकिस्तान वाले मैच में बाहर बिठाया गया, जबकि वे पाकिस्तानी टीम के तौर तरीकों से भी परिचित थे, और दुबई की पिचों पर IPL में दिल्ली कैपिटल्स की ओर से करिश्माई प्रदर्शन भी कर चुके थे। ऐसे में रविचंद्रन अश्विन की अवस्था देखकर लगता है कि काश ये भारत में न पैदा हुए होते, तो कितने सफल स्पिनर होते।