‘Make In India’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं से भारत बनेगा रक्षा क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति

अब आयात पर निर्भरता बंद!

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में देश की सत्ता संभाली थी तब भारत आर्थिक दृष्टिकोण से दुसरे देशों पर अधिक निर्भर था। पीएम मोदी ने देश को आगे बढ़ाने के लिए आत्मानिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की। उनका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना था। वहीं, पिछले सात वर्षों में जनधन और स्वच्छ भारत अभियान जैसी लाभकारी योजनाओं से जन कल्याण की बात को आगे बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी ने व्यापक कदम उठाए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पहली बार ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशी सामान की जगह घरेलु उत्पाद और निर्माण को बढ़ावा देना था। नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों को रेखांकित किया जिसमें अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग शामिल है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता भारत 

अगर बात करें रक्षा के विषय पर तो रक्षा आयात पर भारत की निर्भरता को अचानक कम करना संभव नहीं था, इसलिए सरकार ने अपने सौदे में एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण खंड को जोड़ा, जिसके तहत भारत में अपना उत्पाद बेचने वाले विदेशी कंपनियों को अपनी पूरी जानकारी भारत सरकार को देनी होगी। वर्तमान में, आत्मानिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का संयोजन पीएम मोदी के सपनों को साकार कर रहा है। वहीं, दशकों तक सत्ता में रही कांग्रेस ने कभी ऐसी कल्पना भी नहीं की थी।

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रक्षा निर्माण को लेकर नवंबर 2021 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि हम पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सफलतापूर्वक प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्र को यह सूचित करते हुए कि राजनाथ सिंह ने कहा कि “वर्तमान में भारतीय रक्षा बल भारत में बने 65 प्रतिशत हथियारों और उत्पादों का उपयोग करते हैं, रक्षा मंत्री ने वादा किया कि जल्द ही इस 65 प्रतिशत को 90 प्रतिशत में बदल दिया जाएगा।” आपको बता दें कि पिछले 7 वर्षों में मोदी सरकार ने देश में स्वदेशी रूप से विकसित हथियारों और गोला-बारूद को अन्य देशों में निर्यात करने पर ध्यान केंद्रित किया है और इसी का परिणाम  है कि देश ने 38,000 करोड़ रुपये से अधिक की रक्षा वस्तुओं का निर्यात किया है।

भारतीय कंपनियों का रहा है अच्छा प्रदर्शन

वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा संकलित रिपोर्ट में, तीन भारतीय कंपनियां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज़ (IOF) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) शीर्ष 100 की सूची में शामिल हैं। HAL 2.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ 42वें नंबर पर है, जो 2019 की बिक्री से 1.5 प्रतिशत अधिक है। Indian Ordnance Factories 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बिक्री के साथ 60वें स्थान पर हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक है। हथियारों की बिक् बिलिरी में 1.63यन अमेरिकी डॉलर के साथ BEL 66वें स्थान पर है, जो 2019 की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक है। भारत सरकार ने नए रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की मांग करने वाली कंपनियों के लिए स्वचालित मार्ग के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक और सरकारी मार्ग से 100 प्रतिशत तक FDI को भी बढ़ाया है।

पूरा हो रहा है मेक इन इंडिया का सपना

‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत भारत सरकार ने अगस्त 2021 में भारतीय ऑटो की दिग्गज कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड और इसकी सहायक महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड (MDS) के साथ भारतीय नौसेना के आधुनिक युद्धपोतों के लिए एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्ध रक्षा सूट (IADS) के निर्माण के लिए 1,349.95 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। IADS दुश्मन की पनडुब्बियों और टॉरपीडो को विस्तारित रेंज में पता लगाने के साथ-साथ दुश्मन पनडुब्बियों द्वारा दागे गए टॉरपीडो को डायवर्ट करने के लिए एक एकीकृत क्षमता से परिपूर्ण है। ऐसे में, यह भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ाने में सहयक सिद्ध होगी।

महिंद्रा एंड महिंद्रा की तरह, इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EAL) नाम की एक अन्य निजी स्वदेशी फर्म ने सरकार द्वारा दिखाए गए विश्वास को दोहराते हुए भारत निर्मित मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड (MMHG) का निर्माण किया है। पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना को ‘शक्ति’ नामक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली भी दी है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है।

भारत में बन रहा है रक्षा कॉरिडोर

इसके अलावा, एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों के निर्माण और सेवा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर की आधारशिला भी रखी गई थी। दक्षिणी राज्य में रक्षा कॉरिडोर योजना के लिए चेन्नई, त्रिची, सलेम, होसुर और कोयंबटूर को चिन्हित किया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में भारतीय सेना के लिए मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन के मार्क-1 A संस्करण की 118 इकाइयों की आपूर्ति के लिए भारी वाहन कारखाने (HVF) को 7,523 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया था। चेन्नई में स्थित कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्ट (CVRDE) बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों, टैंकों और ऑटोमोटिव के विकास में शामिल DRDO की प्रयोगशाला है। यह भी रक्षा कॉरिडोर का हिस्सा है।

वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य शीर्ष निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जापान, कनाडा, जर्मनी और दक्षिण कोरिया की कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में अपनी विनिर्माण इकाइयां/कॉर्पोरेट कार्यालय स्थापित करने में रुचि दिखाई है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में 45,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव किया गया है, जिससे राज्य में 1.35 लाख नौकरियां पैदा होंगी।

AK-203 और स्वदेशी हथियारों का निर्माण

बता दें कि TFI द्वारा प्रकशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने की शुरुआत में आयोजित 21वें भारत-रूसी शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मुलाकात की और 6 लाख से अधिक AK-203 असॉल्ट राइफलों को खरीदने की घोषणा की, जिससे यह भारतीय सेना के लिए एक मानक उपकरण बन जाएगा। आपको बता दें कि इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी में होगा।

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हाल ही में, भारतीय नौसेना ने भारत के पहले स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम के लिए भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BEL) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह एंटी-ड्रोन सिस्टम मूल रूप से मानव रहित हवाई वाहन का पता लगा सकता है और उसे कंट्रोल सकता है। यह ड्रोन रोधी प्रणाली भारतीय जहाजों और हवाई स्थानों को पाकिस्तान और चीन के ड्रोन से सुरक्षित रखेगी।

वर्तमान में, भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है और वर्ष 2016-20 के बीच सैन्य हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है। भारत सैन्य हथियारों के आयात में वैश्विक स्तर पर 9.5 प्रतिशत का हिस्सेदार है। ऐसे में, यह कहना उचित है कि पिछले 70 वर्षों के मुताबिक इन योजनाओं की बदौलत भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर रहा है और यह भारत के लिए एक अच्छा संकेत है।

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