बलवंत राय मेहता समीति (Balwant Rai Mehta Samiti)
जनवरी, 1956 ई. में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में इस समिति Balwant Rai Mehta Samiti का गठन किया गया था. जिसने सामुदायिक विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय विस्तार सेवा का व्यापक अध्ययन करने के बाद 24 नवम्बर, 1957 को अपनी रिपोर्ट सरकार के सम्मुख प्रस्तुत की. वहीं समिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल, 1958 को लागू किया गया.
Balwant Rai Mehta Samiti को गठित करने का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि जनता में पंचायतों के प्रति उत्साह क्यों कम है और इस समस्या से निजात पाने के लिए कौन सी पद्धति अपनायी जानी चाहिए. मेहता दल ने 1957 के अंत में अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की, जिसके अनुसार-“लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायती राज व्यवस्था की तुरंत शुरुआत की जानी चाहिए.”
इस बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) की प्रमुख सिफारिशों में यह कहा गया थी कि- विकेन्द्रित प्रशासनिक ढाँचा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होना चाहिए. वहीं पंचायतों में आवश्यकता अनुसार निर्वाचित प्रतिनिधि होने चाहिए. इसके साथ ही महिलाओं के लिए दो तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए एक-एक स्थान आरक्षित होना चाहिए.
सरकार को कुछ कार्यों व अधिकारों को निचले स्तर पर हस्तांतरित करना चाहिए तथा निचले स्तरों पर पर्याप्त वित्तीय साधन भी उपलब्ध कराने चाहिए. समिति ने सिफारिश की कि पंचायती राज संस्था चुनी हुई और कानूनी होनी चाहिए. उसका कार्य क्षेत्र व्यापक होना चाहिए.
मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) ने पंचायती राज व्यवस्था को “लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण ” का नाम दिया. इस समिति ने ग्रामीण स्थानीय शासन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया.
ग्राम- ग्राम पंचायत
खंड- पंचायत समिति
ज़िला- ज़िला परिषद
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ग्राम-सभा/ग्राम पंचायत
1.इस ढाँचे के अनुसार ग्राम पंचायत का स्थान सबसे नीचे रहना था अर्थात सबसे ऊपर जिला परिषद, उसके नीचे पंचायत समिति तथा सबसे नीचे ग्राम पंचायत.
2. ग्राम पंचायत का गठन पूर्णतया प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर होना चाहिए लेकिन महिला एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों को मनोनीत किया जाना चाहिए.
3. ग्राम पंचायत का चुनाव ग्राम-सभा करेगी. यह एक गाँव की भी हो सकती है और कई गाँवों को मिलाकर भी बनायी जा सकती है. गाँव का प्रत्येक वयस्क, स्त्री-पुरुष ग्राम-सभा का सदस्य होगा और ग्राम- पंचायत ग्राम-सभा की कार्यपालिका होगी.
4. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर और कर न देने वालों पर साथ ही कार्यवाही में भाग न लेने या मत न देने वालों को, पंचायत दण्ड दे, ऐसा कानून होना चाहिए.
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ग्राम पंचायत के कार्य :-
इसमें स्थानीय सड़कों को बनवाना, गांवों में प्रकाश की व्यवस्था करना,साफ सफाई के साथ पानी की व्यवस्था करना
पंचायत समिति
बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) के प्रस्तावित ढाँचे के अनुसार पंचायत समिति का स्थान ग्राम पंचायत से ऊपर तथा जिला परिषद से नीचे था. इस समिति ने सरकार को यह सुझाव दिया कि सरकार को अपने अधिकार तथा कर्तव्य क्षेत्र का त्याग करके उसे नीचे की इकाईयों को सौंप देना चाहिए. राज्यों को सिर्फ उन पर निगरानी रखनी चाहिए एवं पंचायत समिति को कार्य की स्वतंत्रता देनी चाहिए तथा ब्लॉक स्तर पर निर्वाचित कार्यकारिणी संस्था का विकास होना चाहिए जो कि इसी स्तर पर सरकारी एजेंसी के साथ सहयोग करें.
जिला परिषद –
बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) प्रस्तावित त्रिस्तीय ढाँचे में जिला परिषद का स्थान सबसे ऊपर था और उसके पास पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत का पर्यवेक्षण करने का अधिकार था.
जिला परिषद में जिले की पंचायत समिति के अध्यक्ष, संसद एवं विधान सभा सदस्य तथा इनके अतिरिक्त चिकित्सा, लोक स्वास्थ्य, कृशि, पशु-चिकित्सा, शिक्षा, सार्वजनिक निर्माण, पिछड़े वर्गों का कल्याण तथा अन्य विकास विभागों में जिला स्तरीय अधिकारी को सम्मिलित किया जाना था. जिलाधीश को जिला परिषद का सभापति तथा उसके एक अन्य अधिकारी को उसका सचिव बनाने का सुझाव था. जिला परिषद की स्थायी समितियों जिनमें से एक समिति वित्त के लिए और एक सेवाओं के लिए गठित किए जाने का भी सुझाव दिया गया था.
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Launch of Balwant Rai Mehta Samiti Ideas in hindi
बलवंत राय मेहता की सिफारिश के पश्चात् पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर ज़िले में 2 अक्टूबर, 1959 को इसका शुभारम्भ किया. 1 नवम्बर, 1959 को आन्ध्र प्रदेश राज्य ने इसे लागू किया. जिसके साथ धीरे-धीरे यह व्यवस्था सभी राज्यों में लागू हो गई. वहीं कुछ राज्यों ने त्रिस्तरीय प्रणाली को अपनाया तो कुछ राज्यों ने द्विस्तरीय प्रणाली को अपनाया.
Failure of Balwant Rai Mehta Samiti
लेकिन पंचायती राज व्यवस्था का यह नूतन प्रयोग भारत में असफल रहा. अत: इसमें सुधार की मांग की जाने लगी. जिसके चलते जनता पार्टी के द्वारा दिसम्बर, 1977 में अशोक मेहता की अध्यक्षता में पंचायती राज संस्थाओं पर समिति गठित की गयी.