बांग्लादेश कब बना? और इससे सम्बंधित सम्पूर्ण घटनाक्रम

बांग्लादेश कब बना

बांग्लादेश कब बना?

विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान दोनो अलग हो गए. पाकिस्तान में मुस्लिम लोगों ने शरण ली,जबकि आधिकतर हिन्दू ने भारत में शरण ली. भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों हिस्सों में फैले हुए थे. इसलिए इसे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. पश्चिमी पाकिस्तान में 97% मुस्लिम और पूर्वी पाकिस्तानी में 85% बंगाली थे. वहीं 1971 का साल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इतिहास में काफी अहमयित रखता है. बांग्लादेश कब बना? बांग्लादेश की बात करें तो इसी साल बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा. 1971 के उस इतिहास बदलने वाले युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर, 1971 को हुई थी.

शेक मुजीबुर रहमान का संघर्ष

बांग्लादेश कब बना? यह जानने के लिए आपको इसके बनने के पुरे घटनाक्रम को समझना होगा तो आईये विस्तार से समझते है. शेख मुजीबुर रहमान पूर्वी पाकिस्तान की स्वायत्ता के लिए अनेक संघर्ष किए. इस संघर्ष से वह पाकिस्तानी शासन की आंख की किरकिरी बन चुके थे. एवं अन्य बंगाली नेता भी पाकिस्तान के निशाने पर थे. उन सब की आवाज को दबाने के लिए शेख मुजीबुर रहमान और अन्य बंगाली नेताओं पर अलगाववादी आंदोलन के लिए मुकदमा चलाया गया. लेकिन यह चाल पाकिस्तान पर ही भारी पड़ गई. मुजीबुर रहमान इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की नजर में हीरो बन गए. और मुजीबुर रहमान के खिलाफ षडयंत्र के केस को वापस ले लिया.

पाकिस्तान में 1970 का चुनाव

पाकिस्तान में 1970 के चुनाव में मुजीबुर रहमान की पार्टी पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग ने जबर्दस्त जीत हासिल की. बंगाली अपने स्थानीय नायक शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी आवामी लीग को चुनना चाहते थे. जिसमें पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों की संख्या ज्यादा होने के कारण आवामी लीग चुनाव जीत गई.

लेकिन पाकिस्तान को कंट्रोल कर रहे पश्चिमी पाकिस्तान के लीडरों और सैन्य शासन को यह गवारा नहीं हुआ कि मुजीब पाकिस्तान पर शासन करें. उन्होंने शेख मुजीबुर पर ‘अगरतला षड्यंत्र’ मामले में राजद्रोह का आरोप लगाते हुए, उन्हें जेल भेज दिया. उस दौरान पूर्वी पाकिस्तान के लोगों द्वारा काफी विरोध किया गया. किन्तु पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा किया जा रहा शासन उन पर हावी हो गया और इससे पूर्वी पाकिस्तान काफी कमजोर होने लगा था.

पाक सेना का अत्याचार

पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन तेज होता गया. वहीं पाकिस्तान ने इस आंदोलन को दबाने के लिए सेना का सहारा लिया. मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने अपना अत्याचार वाला अभियान शुरू किया. पूर्वी बंगाल में बड़े पैमाने पर अत्याचार हुए. हत्या और रेप तो काफी ज्यादा बड़ गए. उस दौरान पाक सेना एवं उनके समर्थकों के कारण 3 लाख लोगों की मृत्यु हो गई थी. वहां की स्थिति बहुत ही घातक हो गई थी.

बंगालियों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न के चलते पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली पाकिस्तान से अलग होने का विचार करने लगे. उन्होंने अपनी एक खुद की सेना का निर्माण किया जिसका नाम “मुक्तिवाहिनी” था. मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया. बड़ी संख्या में लोग भागकर भारत आ गए. जिससे भारत में शरणार्थी संकट बढ़ने लगा. एक साल से भी कम समय के अंदर बांग्लादेश से करीब 1 करोड़ शरणार्थियों ने भागकर भारत के पश्चिम बंगाल में शरण ली. इससे भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया.

भारत का हस्तक्षेप

मार्च 1971 के अंत में भारत सरकार ने मुक्तिवाहिनी सेना की मदद करने का फैसला लिया. 31 मार्च, 1971 को इंदिरा गांधी ने भारतीय सांसद में भाषण देते हुए पूर्वी बंगाल के लोगों की मदद की बात कही थी. 29 जुलाई, 1971 को भारतीय सांसद में सार्वजनिक रूप से पूर्वी बंगाल के लड़कों की मदद करने की घोषणा की गई. भारतीय सेना ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी.

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सलाहकारों ने अक्टूबर-नवंबर, 1971 के महीने में यूरोप और अमेरिका का दौरा किया. तब अमेरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन थे. तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के बीच बातचीत बेनतीजा रही. निक्सन ने मुजीबुर रहमान की रिहाई के लिए कुछ भी करने से हाथ खड़ा कर दिया और दो साल का समय मांगा. पर पाकिस्तान में स्थिति विस्फोटक थी. यह स्थिति तब तक ठीक नहीं हो सकती थी. जब तक मुजीब को रिहा न किया जाए. इंदिरा गाधी ने निक्सन से कहा कि अगर पाकिस्तान ने सीमा पार भारत में उकसावे की कार्रवाई जारी रखी तो भारत बदले कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा.

और पढ़े: Rashtriya Ekta Diwas – सरदार पटेल के महान योगदान को समर्पित पर्व

भारत पर हमला और युद्ध की शुरुआत

पूर्वी पाकिस्तान संकट विस्फोटक स्थिति तक पहुंच गया. पश्चिमी पाकिस्तान में बड़े-बड़े मार्च हुए और भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की मांग की गई. दूसरी तरफ भारतीय सैनिक पूर्वी पाकिस्तान की सीमा पर चौकसी बरते हुए थे. 23 नवंबर, 1971 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति याह्या खान ने पाकिस्तानियों से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा.

3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत पर हमला कर दिया. इस हमले के दौरान पाकिस्तानी सेना का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के विमानों को बेअसर करना था. भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया. किन्तु इससे भारत भी शांत नहीं बैठा, उसने इसे भारत – पाकिस्तान युद्ध की अधिकारिक तौर पर शुरुआत के रूप में लिया इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हो गई. धीरे – धीरे पाकिस्तानी सेना युद्ध में बहुत कमजोर होती गई. जिसके चलते 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया. और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध समाप्त हो गया.

इन सभी के अलावा सन 1971 में हुए इस युद्ध में जीत हासिल करने के बाद से हर साल भारत में 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. अतः यहीं कारण था, कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध हुआ और बांग्लादेश को आजादी मिली. साथ ही बांग्लादेश को आजाद होने में भारत ने अहम भूमिका निभाई.

बांग्लादेश कब बना या बांग्लादेश कब स्वतंत्र हुआ?

बांग्लादेश 26 मार्च 1971 को स्वतंत्र हुआ था.

और पढ़े: द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ, कारण, परिणाम और इसका अंत?

Exit mobile version