हरियाणा में तो खुले में नमाज़ पर रोक लगा दी गई है, बिहार में ये बहार कब आएगी?

हरियाणा के बाद बिहार में भी उठने लगे हैं विरोध के स्वर!

खुले में नमाज बिहार

हरियाणा में जनता द्वारा खुले में नमाज पढ़ने का विरोध किया गया जिसके बाद राज्य सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगानी पड़ी। अब उसी का उदाहरण लेते हुए बिहार में भी खुले में नमाज के विरुद्ध आवाज उठनी आरंभ हो चुकी है। बिहार के कई बीजेपी नेता लगातार नीतीश कुमार से हरियाणा के CM ML खट्टर की तर्ज पर खुले में नमाज को बंद करने के लिए मांग उठा रहे हैं।

भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि जिस तरह हरियाणा में खुले में नमाज पर रोक लगाने की मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहल की है, उसी तर्ज पर बिहार में भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “खुले में नमाज पर प्रतिबंध लगाने के लिए हरियाणा के CM खट्टर प्रशंसा के पात्र हैं। बिहार में अगर खुले में नमाज होती है, तो उस पर प्रतिबंध लगे, जिस तरह हरियाणा में लगाया गया है।”

प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आगे कहा, “हम निश्चित रूप से इस ओर पहल करेंगे। शुक्रवार को बेवजह सड़क को जाम कर देना, सड़क पर आकर नमाज पढ़ना गलत है। अगर हमारी आस्था है तो हम घर में पढ़ें, मस्जिद में पढ़ें।” इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि, “मस्जिद किसलिए है?”

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार क्या करेंगे यह वे नहीं जानते, लेकिन दुनिया में ऐसा हो रहा है और बिहार में भी होना चाहिए। बचौल ने कहा कि आज इस्लाम धर्मावलंबी अपनी संख्या बढ़ाने में लगे हैं।

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बिस्फी विधायक ठाकुर ने अपने बयान में कहा, “95 प्रतिशत मुसलमान भारत के हिंदुओं से धर्मांतरित हैं। चाहें तो आज भी DNA टेस्ट करवा लें। ये भारत को भी पाकिस्तान बनाने की साजिश है। बिहार में भी यदि खुले में और सड़कों पर नमाज होती है, तो इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।”

इसके अलावा, मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने भी खुले में नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। सांसद ने कहा कि कहीं भी कोई खुले में नमाज पढ़े, यह अच्छी बात नहीं है। नमाज मस्जिद में या अपने घर में ही पढ़नी चाहिए।

हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मांग से खुश नहीं है। उन्होंने कह दिया है कि उनके लिए इन सब चीजों का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है, “पता नहीं क्यों, इन सब चीजों को मुद्दा बनाया जा रहा है।”

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार CM नीतीश कुमार ने कहा, “इन सब का कोई मतलब है क्या? कौन पूजा करते रहता है और कौन गाते रहता है, यह सब कोई मुद्दा है क्या? सबका अपना-अपना विचार है। मेरे लिए तो सभी लोग एक समान हैं। इन सब विषय पर चर्चा करने का क्या मतलब है? सभी लोग तो बाहर ही यह सब (प्रार्थना) करते रहते हैं। सभी धर्मों को इसका ध्यान रखना चाहिए। पता नहीं क्यों, इन सब चीजों को मुद्दा बनाया जा रहा है? मेरे लिए तो इन सब चीजों का कोई मतलब नहीं है।”

नीतीश कुमार का सेक्युलरिज्म प्रेम किसी से छुपा नहीं है। बिहार के मुस्लिमों का तुष्टीकरण कर नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में उन्हें राजद के पाले से अपने पाले में किया है। वर्ष 2005 से ही उनके कार्यकाल में कई फैसले सिर्फ और सिर्फ तुष्टीकरण के लिए गए हैं। चाहे वो 2006 में भागलपुर दंगों की दोबारा न्यायिक जांच कराने की घोषणा हो या फिर इमारत-ए-शरिया व मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दीन बचाओ देश बचाओ रैली का आयोजन का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करना हो। वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह ने पार्टी का रुख़ साफ़ करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि तीन तलाक़ पर निर्णय लेने का अधिकार मुस्लिम समाज को है। इन घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार खुले में नमाज बैन करने पर आसानी से नहीं मानेंगे।

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बता दें कि हरियाणा के गुरुग्राम में पिछले कुछ महीनों में, कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य उन जगहों पर इकट्ठा हो रहे हैं, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग खुले स्थान पर ‘नमाज़’ पढ़ते हैं और वहीं पर दूसरी ओर , ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जा रहे हैं। जब हरियाणा की जनता द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर विरोध ने ज़ोर पकड़ लिया तब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सार्वजनिक नमाज़ पर अस्थायी निलंबन की घोषणा कर दी थी। तब उन्होंने कहा था कि खुली जगहों पर नमाज़़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अब यह मांग बिहार में भी तेज़ हो चुकी है और अब जल्द ही कुछ इसी तरह का फैसला बिहार में भी देखने को मिल सकता है। हालांकि, बिहार के CM ने भले ही अभी मना कर दिया है लेकिन अब वो NDA में उतने मजबूत नहीं हैं और JDU से अधिक बीजेपी की सीटें हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुख्यमंत्री बने रहना है तो बीजेपी के नेताओं की मांग को दरकिनार नहीं कर सकते।

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