बिप्लब देब का त्रिपुरा अब पूरी तरह तैयार है, रोजगार और विकास की राह पर दौड़ने के लिए

त्रिपुरा ने वर्षों तक कम्युनिस्ट शासन देखा लेकिन विकास नहीं देख सका, अब देखेगा!

त्रिपुरा ने वर्षों तक कम्युनिस्ट शासन देखा लेकिन विकास नहीं देख सका। अब बिप्लव देव के नेतृत्व में कार्य कर रही भाजपा सरकार त्रिपुरा को अगले 25 वर्षों में पूरी तरह से बदल कर आर्थिक हब बनाने का रोड मैप लेकर आई है। बुनियादी ढांचे के विकास, बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, त्रिपुरा सरकार ने अगले 25 वर्षों के लिए एक कार्य योजना तैयार की है।

राज्य के मुख्य सचिव कुमार आलोक ने मीडिया को बताया कि शनिवार शाम को समाप्त हुई दो दिवसीय कार्यशाला ‛विजन 2047’ के माध्यम से अगले 25 वर्षों के लिए त्रिपुरा के विकास के मार्ग की रूपरेखा को तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ एक फीडबैक सत्र में हिस्सा लिया। दो दिवसीय बैठक के अंतिम सत्र में राज्य के विकास के लिए बनाए गए 6 सेक्टर के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष विकास का एक्शन प्लान रखा। छह क्षेत्रों – शासन, बुनियादी ढांचा, संचार और रसद, उद्योग और निवेश, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन तथा प्राथमिक क्षेत्र में लक्ष्य निर्धारित करके तीन महीने पहले विजन 2047 की यह योजना शुरू की थी।

मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए, मुख्य सचिव कुमार आलोक ने कहा, “अगले साल हम त्रिपुरा राज्य के गठन की 50वीं वर्षगांठ का जश्न मनाएंगे और इस अवसर को उचित तरीके से मनाने के लिए, हमने त्रिपुरा के विकास के लिए अगले 25 साल की योजना तैयार की है।  पिछले तीन महीने से सभी विभाग एक योजना का मसौदा तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इस कार्यशाला के माध्यम से प्रारूप विजन को अंतिम रूप दिया गया है।”

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बिप्लव देव सरकार की योजना विकास को राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की है। अंत्योदय के सिद्धांत को पथ प्रदर्शक मानकर मुख्यमंत्री विप्लव देव ने अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि वह प्रयास करें कि अपने कार्य के अतिरिक्त एक घंटा निकालकर आम लोगों से संवाद स्थापित करें। सरकार बुनियादी शिक्षा के विस्तार, जीरो ड्रॉप आउट अर्थात किसी को शिक्षा 20 मिनट छोड़नी पड़े इसके लिए कार्य करेगी। इसके साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस, औद्योगिक विकास के लिए रोडमैप आदि सभी लक्ष्यों को एक ढांचे के अंतर्गत समावेशित कर विकास योजना तैयार की गई है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही पूर्वोत्तर भारतीय राज्य विकास की दौड़ में बहुत पीछे छूट गए थे। आजादी के बाद से एक लंबे अरसे तक केंद्र सरकार की ओर से इस क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही स्थानीय सरकारों ने भी जनजातीय अधिकारों के नाम पर इस क्षेत्र में किसी भी विकास कार्य को आगे नहीं बढ़ने दिया। किंतु अब असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश आदि सभी जगहों पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है। यह सभी कदम भारत की सुरक्षा की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण हैं ही, साथ ही इन क्षेत्रों के लिए आर्थिक समृद्धि के नए दौर की शुरुआत भी करेंगे।

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