तिब्बती बच्चों को सैन्य युद्ध के लिए प्रशिक्षण दे रहा है चीन और यह जिनपिंग की अदूरदर्शिता को दर्शाता है

तिब्बती बच्चों का 'चीनीकरण' करने में नाकाम साबित होंगे शी जिनपिंग!

CCP

Source- TFIPOST

चीन का भविष्य अंधरे में है और उसे यह एहसास हो चुका है। इसी क्रम में इस कम्युनिस्ट देश ने सेना तैयार करना भी आरंभ कर दिया और इसके लिए वह तिब्बत के बच्चों को शिक्षा शिविरों में भेज रहा है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को नए सैनिकों की जरूरत है, जिसके लिए चीन ने सेना में तिब्बतियों के स्वैच्छिक भर्ती की कोशिश की थी, लेकिन वह अभियान असफल साबित हुआ। अब चीन द्वारा तिब्बती बच्चों के ब्रेनवॉश का प्रयास भी असफल होने वाला है।

रिपोर्ट के अनुसार CCP ने आठ साल से कम उम्र के तिब्बती बच्चों को शिक्षा शिविरों में भरना आरंभ कर दिया है। इन बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है, जिससे वे बड़े होकर चीन के लिए अपनी जान दे दें। चीन का माओ के समय से ही तिब्बती संस्कृति पर कुदृष्टि रही है और वह उसी समय से तिब्बत में अपने माओवाद को स्थापित करना चाहता है। अब तिब्बती अस्तित्व मिटाने के लिए CCP ने तिब्बती बच्चों का ही चीनीकरण आरंभ कर दिया है। चीन के लिए दुर्भाग्य की बात यह है कि वह तिब्बत में जो भी कर रहा है, भारत उससे पूरी तरह वाकिफ है।

चीन का नया शिगूफ़ा: तिब्बती बच्चों का ब्रेनवॉश

भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि तिब्बत में बच्चों का ब्रेनवॉश वहां PLA के खिलाफ प्रतिरोध को देखते हुए शुरू किया गया है, जिससे वहां की आबादी पर काबू किया जा सके। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना ​​है कि बच्चों को विशेष शिविरों में भेजा जा रहा है, ताकि उन्हें ऐसी शिक्षा दी जा सके जो तिब्बती बौद्ध मूल्यों की अवहेलना करती है और उन्हें चीनी दृष्टिकोण से सैनिक बनने के लिए तैयार करती है।

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इन एजेंसियों ने कम से कम दो शिविरों के अस्तित्व की ओर इशारा किया है, जहां 9 से 14 वर्ष की आयु के तिब्बती बच्चों को बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण और शिक्षा दी जा रही है, ताकि उन्हें मिलिशिया में शामिल होने के लिए तैयार किया जा सके। हिन्दुस्तान टाइम्स ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया कि 200 तिब्बती युवाओं, जिनमें से ज्यादातर सेना में भर्ती के लिए मानक उम्र से कम उम्र के थे, उन्हें नवंबर में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (TAR) में Shiquanhe के एक प्रशिक्षण शिविर से Gar Gunsa में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि तिब्बती बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण देने और उन्हें सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने की चीन की कार्रवाई सभी International Convention का खुलेआम उल्लंघन है।

ब्रेनवॉश सेंटर को चीन बता रहा है “बोर्डिंग स्कूल”

इस महीने की शुरुआत में, तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट की एक अन्य रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि कैसे चीन तिब्बत के कब्जे वाले क्षेत्र में अत्याचार कर रहा है। चीन में लगभग 80 प्रतिशत तिब्बती बच्चे यानी करीब 8,00,000 बच्चों को सरकार द्वारा संचालित “बोर्डिंग स्कूलों” में रखा गया है, जहां वे अपने परिवारों, भाषाओं और पारंपरिक संस्कृति से कटे हुए हैं।

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चीन ने 10 वर्ष से कम उम्र के 8,00,000 बच्चों को CCP के प्रति वफादार बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए Indoctrination camps में रखा है, ताकि वे बड़े होकर चीनी शासन के खिलाफ न जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि “ये स्कूल बच्चों को CCP के प्रति वफादार चीनी नागरिकों में ढालने के लिए संस्थान के रूप में कार्य करते हैं। अपने परिवारों और समुदायों से निकाले गए छात्रों को मुख्य रूप से चीनी भाषा में अध्ययन कराया जाता है तथा उनके धर्म का पालन करने से उन्हें रोक दिया जाता है। यही नहीं, उन्हें चीनी दृष्टिकोण से राजनीतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है।”

विफल होगा शी जिनपिंग का दांव

शिनजियांग और तिब्बत में चीन के स्वदेशीकरण शिविरों के बीच एक बुनियादी अंतर है। शिनजियांग में चीन, उइगर मुसलमानों के खिलाफ सांस्कृतिक नरसंहार कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर हान चीनी सैनिक शिनजियांग में लोगों का अपने अनुसार ब्रेनवॉश कर रहे हैं और उन्हें क्रूर बना रहे हैं। CCP उइगर मुसलमानों को PLA में शामिल नहीं करना चाहती, लेकिन तिब्बत में समीकरण बहुत अलग है। तिब्बतियों ने खासकर भारत के खिलाफ चीन के लिए लड़ने से इंकार कर दिया है। दूसरी ओर हान चीनी सैनिक, भारत से लड़ने में सक्षम नही हैं और वे हिमालयी जलवायु को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, ये सच्चाई है। ऐसे में चीन को PLA में शामिल करने हेतु तिब्बतियों की सख्त जरूरत है।

TFI ने पहले ही बताया है कि तिब्बतियों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया है। अभी तक तिब्बती लोगों का PLA में भर्ती का प्रयास बेकार साबित हुआ है और तिब्बती लोगों ने PLA को सिरे से नकार दिया है। इसलिए तिब्बतियों को स्वेच्छा से PLA में शामिल कराने में विफल होने के कारण CCP अब तिब्बती सैनिकों की एक सेना बनाने की कोशिश कर रही है, जो भारत के खिलाफ चीन की लड़ाई लड़ सके। यह भी सत्य है कि CCP के अन्य सभी कदमों की तरह, यह भी चीन के लिए उल्टा ही साबित होगा।

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इससे चीन के प्रति बढ़ेगी नफरत

बताते चलें कि सांस्कृतिक रूप से तिब्बत के लोग जीवंत और जागरूक हैं, वे चीन द्वारा किए गए अत्याचार को भूले नहीं हैं। वे जानते हैं कि चीन ने उन पर कब्जा कर रखा है। यही नहीं, वे भारत के प्रति सहानुभूति रखते हैं। दूसरी ओर ऐसा भी नहीं है कि भारत उनके लिए कुछ नहीं कर रहा है। भारतीय सेना ने अपने अधिकारियों और सैनिकों के लिए तिब्बती पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिससे पता चलता है कि भारत किस तरह तिब्बत के साथ लोगों के बीच संबंधों की तैयारी कर रहा है। तिब्बती चीनी कम्युनिस्ट शासन के प्रति वफादार नहीं हैं और चीन चाह कर भी उनके अंदर संप्रभु भावना को पूरी तरह मिटा नहीं पाएगा। वास्तव में, इससे चीन के प्रति नफरत ही बढ़ेगी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तिब्बती सिपाहियों की एक सेना बनाने का प्रयास कर CCP एक बार फिर अपनी कब्र खोद रही है।

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