क्रिसमस : Made In China

पश्चिमी देशों को इसपर शर्म आनी चाहिए!

क्रिसमस चीन

पर्व-त्योहार किसी भी संस्कृति की जड़ों को स्थापित करने वाले कारक होते हैं। इन पर्व त्योहारों में लोग विभिन्न माध्यम से अपनी खुशियों का इजहार करते हैं, जैसे दिवाली में दीप जलाना या दशहरा में माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करना। इसी तरह अन्य पंथों में भी त्योहार मनाया जाता है और वही उनकी संस्कृति का परिचायक है। आज (25 दिसम्बर) क्रिसमस का त्योहार है और आज के दिन पश्चिमी देशों में धूम मची रहती है। घरों को सजाया जाता है और लाइटें लगाई जाती हैं। हालांकि, अब पश्चिमी देशों का क्रिसमस, क्रिसमस नहीं रहा, बल्कि यह चाइनीज क्रिसमस बन चुका है क्योंकि इसाइयों द्वारा न सिर्फ प्रयोग की जाने वाली लाइट चीन निर्मित होते हैं, बल्कि जिस आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री को गर्व से ईसाई अपने घरों में लगाते हैं, वो भी चीनी होते हैं।

चीन में होता है ‘क्रिसमस ट्री’ का निर्माण

चीन से अधिकांश देशों में आयात किए जाने वाले ‘नकली’ प्लास्टिक के पेड़ों में तेजी से वृद्धि हुई है। दुनिया भर में क्रिसमस की सजावट का लगभग दो-तिहाई हिस्सा चीन (Yiwu) से आता है। हास्यास्पद बात यह है कि वहां क्रिसमस का आधिकारिक अवकाश भी नहीं होता है। पिछले साल बिक्री में गिरावट के बाद, व्यापारियों का कहना है कि इस साल क्रिसमस ट्री और सजावट के लिए मांग काफी बढ़ गई है। इस साल हवाई माध्यम से भेजे गए क्रिसमस उत्पाद में मुख्य रूप से सजावटी सामान थे। कोरोना के बावजूद पश्चिमी देशों से इन चीनी वस्तुओं की मांग इतनी बढ़ गयी कि 2021 में Yiwu का कुल क्रिसमस उत्पाद निर्यात पूर्व-महामारी के स्तर के मुताबिक 70-80 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।

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अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, अमेरिका द्वारा आयातित लगभग 85 प्रतिशत कृत्रिम क्रिसमस ट्री चीन से आते हैं। ACTA के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2021 में लगभग 94 मिलियन घरों में क्रिसमस ट्री प्रदर्शित होंगे। उन पेड़ों में से 85 प्रतिशत कृत्रिम होंगे, और 15 प्रतिशत जीवित रहेंगे। इसका मतलब है कि 2021 में अमेरिका को जितने कृत्रिम पेड़ों की जरूरत है, उनमें से करीब 68 मिलियन चीन से आएंगे।

त्योहार ईसाईयों का मगर चीन..

विश्व स्तर पर देखा जाए तो 2014 तक दुनिया की 60% से अधिक क्रिसमस की सजावट का उत्पादन Yiwu में होता था। 2012 में Yiwu और उसके आसपास के क्षेत्र में क्रिसमस की सजावट और अन्य उत्सव के सामान बनाने वाली 750 कंपनियां थीं। वहीं, अगर यह कहा जाए कि क्रिसमस से जुड़ा प्रोडक्ट्स चीन में बनता है, तो यह गलत नहीं होगा। Yiwu क्रिसमस प्रोडक्ट्स इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव काई किनलियांग के अनुसार, “सितंबर 2016 से अगस्त 2017 तक, Yiwu ने $ 3 बिलियन मूल्य के क्रिसमस आइटम का उत्पादन किया।”

वहीं, सीमापार ई-कॉमर्स के विकास के साथ, चीन का क्रिसमस व्यापार धीरे-धीरे ऑनलाइन हो गया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और यूरोपीय संघ समेत यूरोप को जोड़ने वाली मालगाड़ियों से चीन ने अपने यूरोपीय बाजार का विस्तार किया है। यानी सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरा यूरोप का क्रिसमस भी चीन पर ही निर्भर है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि ईसाई देशों का मुख्य त्योहार किस स्तर तक चीनी हो चुका है।

पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं पश्चिमी देश

ऊंचे पेड़, छोटे पेड़, सफेद पेड़, या हल्के पेड़, ये सभी इंटरनेशनल ट्रेड सिटी में एक साथ आते हैं। यहां बेचने वालों या कारीगरों के मन में क्रिसमस के लिए कोई भावना ही नहीं है। Elim Christmas & Cushions में काम करने वाले झांग और चेन का कहना है कि, “हम वास्तव में क्रिसमस की भावना नहीं रखते हैं।” उनका स्पष्ट कहना है कि उनका क्रिसमस से उनका कोई वास्ता नहीं है। यह पश्चिमी देशों के लिए शर्म की बात है कि वे अपने आप को एक उन्नत समाज की तरह पेश करते हैं लेकिन अपने सबसे प्रमुख त्योहार के लिए चीन पर निर्भर रहते हैं।

सिर्फ निर्भरता ही नहीं बल्कि चीन से आए इन क्रिसमस ट्रीज का पर्यावरण पर भी अत्यधिक नुकसान होता है। कृत्रिम क्रिसमस ट्री आमतौर पर PVC या पॉलीइथाइलीन प्लास्टिक से बनाए जाते हैं। प्लास्टिक से बने दो मीटर के क्रिसमस ट्री में कार्बन फुटप्रिंट का माप लगभग 40 किलोग्राम और CO2 संलिप्त होता है, जो जीवित पेड़ से 10 गुना अधिक होता है।

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ऐसे में, अन्य देशों को पर्यावरण पर उपदेश देने वाले पश्चिमी देश स्वयं चीन से क्रिसमस ट्री का आयात कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को कई गुना नुकसान हो रहा है। हिपोक्रेसी की तो कोई सीमा ही नहीं है। हालांकि अगर वे वास्तविक क्रिसमस ट्री को घर ले कर आयेंगे, तब भी पर्यावरण का ही नुकसान करेंगे।

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