केजरीवाल के “मोहल्ला क्लीनिक” बने बच्चों का काल!

गलत दवाई से हुई 3 बच्चों की मौत 13 भर्ती!

मोहल्ला क्लीनिक

भारत में आज भ्रष्टाचार पहले से कम स्तर पर है। हालांकि, सुधार की गुंजाइशें हर समय अटल रहती है लेकिन एक राज्य अपने भ्रष्टाचार को रोकने में एकदम विफल रहा है। हम यहां बात कर रहे है दिल्ली की केजरीवाल सरकार यानी आम आदमी पार्टी सरकार की। बढ़िया PR मैनेजमेंट टीम के चलते भले ही कुछ समय के लिए अपराध कम हो जाये लेकिन हकीकत यह है कि बहुत सारे मुद्दों पर दिल्ली सरकार विफल रही है और स्वास्थ्य उसमें से एक है। मोहल्ला क्लीनिक का हल्ला खूब हुआ।

खूब इसे बेचा गया लेकिन आज यह भ्रष्टाचार के गढ़ से ज्यादा कुछ नहीं है। दिल्ली सरकार के महत्वाकांक्षी मोहल्ला क्लीनिक को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में अक्टूबर में मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवा खाने से तीन बच्चों की मौत हो गई है और 13 अन्य भर्ती हैं। BJP ने अब मोहल्ला क्लीनिक मॉडल पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि यह संस्थान भ्रष्टाचार का केंद्र बन गए हैं।

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भाजपा दिल्ली अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोहल्ला क्लीनिकों पर 16 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सालाना 400 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

आदेश गुप्ता ने कहा, “यह सारा पैसा भ्रष्टाचार के लिए चारा है। मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर कौन है? कंपाउंडर कौन है? कोई नहीं जानता। वहां की दवाओं के कारण सोलह बच्चे बीमार पड़ गए हैं और 3 बच्चों की जान चली गई है। वह दवा 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए थी। जिस मॉडल की अरविंद केजरीवाल पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में जाकर प्रशंसा करते हैं, वह एक छोटी सी खांसी का इलाज भी नहीं कर सकता है। मोहल्ला क्लीनिक पूरी तरह ठप है। यह भ्रष्टाचार का केंद्र है और अरविंद केजरीवाल के पोस्टर लगाने की जगह है। बच्चे मरते हैं या जीते हैं, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।”

7 दिसंबर को केंद्र सरकार के DGHS ने दिल्ली के DGHS को लिखा था कि दिल्ली सरकार के कलावती सरन अस्पताल में डिस्ट्रोमेथॉर्फ़न सिरप पॉइज़निंग के 16 मामले सामने आए हैं। इनमें से 3 बच्चों की मौत हो गई। यह दवा कथित तौर पर इन बच्चों को एक मोहल्ला क्लिनिक में दी गई थी लेकिन यह बच्चों के लिए नहीं बनी है। रिपोर्ट आने के बाद केंद्र ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा नहीं देनी चाहिए थी।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक बयान जारी कर कहा कि तीन डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया है और मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

यह पहला ऐसा मामला नहीं है

26 नवंबर को खबर आई कि दिल्ली के कराला में शिव विहार इलाके के मोहल्ला क्लीनिक में बुधवार शाम एक डॉक्टर ने 12 साल की लड़की से छेड़छाड़ की है। पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है।

शिकायत के मुताबिक, बच्ची की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह बुधवार शाम को दवा लेने क्लिनिक गई थी। तब डॉक्टर ने कथित तौर पर उसके साथ छेड़छाड़ की थी।

घर लौटने पर उसने अपने परिवार को बताया कि क्या हुआ था। अगली सुबह, उसके पिता, जो एक फल विक्रेता के रूप में काम करते हैं, उसके साथ मोहल्ला क्लिनिक गए। उनके साथ परिवार के कुछ अन्य सदस्य और पड़ोसी भी थे।

उन्होंने पुलिस को बुलाया और पुलिस ने लड़की से बात की। उसके बयान के आधार पर, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और शाम को डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस उपायुक्त प्रणव तायल ने घटना की पुष्टि की और कहा कि लड़की का मेडिकल चेकअप कराया गया है।

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खुद प्राइवेट अस्पताल में कराते हैं इलाज-

एक RTI के जवाब के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में सत्ता में आने के बाद और उनके परिवार के सदस्यों ने निजी अस्पतालों में इलाज पर 12,18,027 रूपये खर्च किए, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनके परिवार के सदस्यों ने चिकित्सा उपचार पर 13,25,329 रूपये   खर्च किए। मंत्री गोपाल राय ने 7,22,558 रूपये  और इमरान हुसैन ने 2,46,748 रूपये खर्च किए।

 

दूसरी ओर कई जगह तो क्लिनिक काम भी नहीं कर रहे हैं। महारानी बाग के किलोकरी गांव में मोहल्ला क्लीनिक उदघाटन होने के एक साल से अधिक समय तक बंद पड़ा रहा। इससे रहवासी इस कदर आक्रोशित हैं कि उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक के पोस्टर पर स्याही का छिड़काव कर दिया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मोहल्ला क्लिनिक के उद्घाटन के ठीक एक महीने बाद, पूरा ऑपरेशन बंद कर दिया गया था।

मतलब केजरीवाल सरकार की स्कीम बस ये है कि पीआर टीम के दम पर सरकार चल रही है लेकिन हकीकत यह है कि सिर्फ भ्रष्टाचार ही हो रहा है।

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