“तुम्हारे लिए गाय की बात करना पाप होगा, लेकिन हमारे लिए गाय माता है”, PM मोदी ने साफ कहा, स्पष्ट कहा

गाय का अनादर कैसे सहे सनातनी?

गाय माता

उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक चुनावी रैलियां कर रहे प्रधानमंत्री मोदी लगातार विपक्ष को घेर रहे हैं। काशी विश्वनाथ धाम जैसे मेगा प्रोजेक्ट का लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी आए और 2100 करोड़ रुपए की लागत की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां गाय की बात करना, गोबरधन की बात करना कुछ लोगों ने गुनाह बना दिया है। गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, हमारे लिए गाय, माता है, पूजनीय है। गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि देश के 8 करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर को मजबूत करना, आज हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी कड़ी में आज यहां बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में बनास डेरी काशी संकुल शिलान्यास किया। 30 एकड़ में फैली इस डेयरी का निर्माण लगभग 475 करोड़ रूपये की लागत से किया जाएगा और इसमें प्रतिदिन पांच लाख लीटर दूध को संसाधित करने की क्षमता होगी। इस डेरी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों विशेष रुप से वाराणसी मंडल के आसपास के जिलों के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनास डेरी संकुल से जुड़े 1,70,000 किसानों को 35 करोड़ रूपये बोनस के रूप में प्रदान किए। साथ ही वाराणसी के रामनगर में बायोगैस से संचालित इलेक्ट्रिसिटी उत्पादक प्लांट की नींव रखी गई। इस इलेक्ट्रिसिटी प्लांट के कारण गोबर का प्रयोग बिजली उत्पादन में हो सकेगा।

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पिछली सरकारों में गाय माता को केवल दुग्ध उत्पादन के व्यापार से जोड़कर देखा जाता था। गाय माता के पौराणिक महत्व को पिछली सरकारों द्वारा समाप्त ही कर दिया गया था। आज भी बहुत से कृषक परिवारों के लिए गाय और भैंस प्रतिदिन की आय का साधन हैं, क्योंकि दूध रोज घर-घर जाकर बेचा जाता है। हालांकि, गायों और भैसों के दूध न देने की अवस्था में बहुत से किसान परिवारों द्वारा उन्हें कसाईबाड़ो में भेज दिया जाता था।

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किंतु योगी आदित्यनाथ की सरकार में कसाई माफिया के विरुद्ध भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई और अवैध बूचड़खाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही किसानों को गाय माता और भैंस से आर्थिक लाभ मिलता रहे, जिससे पशुधन की रक्षा हो सके इसकी भी व्यवस्था की जा रही है।

केंद्र सरकार के प्रयासों के कारण वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत के डेयरी उद्योग के 9 से 11% की वार्षिक वृद्धिदर से बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय दुग्ध उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश भारत में प्रथम स्थान पर आता है और अब इस सेक्टर को अधिक संगठित करने के लिए प्रयास हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों की ओछी राजनीति के कारण उन्हें आड़े हाथ लिया। लंबे समय तक भारत में गौ मांस भक्षण को एक सामान्य परंपरा का हिस्सा बना दिया गया था। भारत का वामपंथी लिबरल समुदाय स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयाई बताता है किंतु गौ संरक्षण के मामले में वह गांधी के विचारों को स्वीकार नहीं करता है। स्वयं गांधी ने गौहत्या का विरोध किया था। यह अलग बात है कि गांधी की थाती के संरक्षक होने का दावा करने वाले नेहरू परिवार ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। 1966 में श्रीमती इंदिरा गांधी गौ संरक्षण का नारा देकर भारतीय संतों के आशीर्वाद से सत्ता के शिखर तक पहुंची थीं, किन्तु उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया था। 7 नवंबर 1966 को, जब संत महात्माओं के साथ ही हजारों हिंदू अनुयायी, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी सम्मिलित थीं, दिल्ली में गौ हत्या प्रतिबंध की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, श्रीमती इंदिरा गांधी ने हजारों निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा दी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 375 लोगों की मृत्यु हुई थी किंतु वास्तव में यह आंकड़ा 5000 से अधिक था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान गांधी परिवार सहित कांग्रेस की परिपाटी पर राजनीति करने वाले सभी दलों के लिए अग्निबाण की तरह है, जो उनके हृदयकुंज को भस्म कर देगा। गौमांस भक्षण जिनके लिए आधुनिकता का प्रतीक था, उन्हें अब फलते-फूलते डेयरी उद्योग को देखकर नींद नहीं आती होगी।

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