ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी का तंदूरी फ्राई किया

10 जनपथ अब घोर सदमे में!

ग़ुलाम नबी आज़ाद अनुच्छेद 370

कांग्रेस पार्टी अपने अंतर्कलह से जूझ रही है और राहुल गांधी की नेतृत्वशैली सवालों के घेरे में है। पार्टी के पुराने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में असहज हैं, पंजाब में पार्टी की टूट सार्वजनिक है, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में गुटबाजी हो रही है तो कई राज्यों में कांग्रेस का नामोनिशान मिट गया है। अब तो पार्टी के वरिष्ठ नेता सार्वजनिक मंच से अपनी ही पार्टी का मजाक बना रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने हाल ही में जम्मू कश्मीर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे जहां उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी की चर्चा की बात न करने का कारण स्पष्ट किया था।

कांग्रेस अब जल्द ही बिखर जाएगी!

हाल ही में, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि क्यों वह अनुच्छेद 370 की वापसी की चर्चा सार्वजनिक मंच पर नहीं करते हैं? ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि “उन्होंने संसद में बार-बार अनुच्छेद 370 का मामला उठाया है लेकिन उसे दोबारा लागू करना, अभी व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।”


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ग़ुलाम नबी आज़ाद ने आगे कहा “मामला कोर्ट में है, तो लोगों को खुश करने के लिए, जो यहां नहीं हैं उनके लिए, मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं काबिल हूं, कोर्ट के काम में। मैं यह नहीं कह सकता कि मैं चांद को जमीन पर उतार दूंगा क्योंकि यह मुमकिन नहीं है। इसलिए अनुच्छेद 370 के बारे में हर मीटिंग में मैं नहीं बताता। एक तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है और अगर सुप्रीम कोर्ट के अलावा कोई कर सकता वो मौजूदा मरकज़ी (केंद्रीय) सरकार कर सकती है। मौजूदा सरकार ने इसको (अनुच्छेद 370) तोड़ दिया वह करेगी कैसे? और हमारे पास 300 आदमी कब एमपी बनेंगे? अभी मैं यह वादा नहीं कर सकता कि 2024 में कांग्रेस पार्टी के 300 MP आएंगे तो मैं इसे वापस लागू कर दूंगा। अल्लाह अल्लाह खैर सल्लाह, अल्लाह करे की 300 आएं लेकिन मुझे तो अभी नहीं दिख रहा।”

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अनुच्छेद 370 और कांग्रेस की वापसी कठिन है!

ग़ुलाम नबी आज़ाद का पूरा भाषण बहुत ही व्यवहारिक है क्योंकि उन्होंने बिना लाग लपेट के यह बात स्वीकार कर ली कि अगले चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत तो क्या तिहाई के आंकड़े तक पहुंच सके इतने भी सांसद नहीं जुटा सकेगी। जिस अंदाज में उन्होंने यह बात कही है कि अनुच्छेद 370 की वापसी फिलहाल संभव नहीं है, उसे देखकर यही लगता है कि वह कश्मीरियों को यह समझा रहे हैं कि इस जीवन में वह अनुच्छेद 370 वापस ला सकेंगे उन्हें ऐसा नहीं लगता। ऐसा इसलिए क्योंकि ग़ुलाम नबी आज़ाद भले ही एक दीर्घायु हों, तो भी अगले 20, 25, 30 वर्षों के अंदर कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार में आएगी, इसकी उम्मीद आम जनता तो क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं है।

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ग़ुलाम नबी आज़ाद हंसी का पात्र नहीं बनना चाहते, क्योंकि वह उदित राज अथवा मणिशंकर अय्यर नहीं हैं। वह संजय राउत या प्रियंका चतुर्वेदी की तरह बड़बोले नहीं दिखना चाहते, ना ही उनका इरादा के पी शर्मा ओली की तरह ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से करने का है, जिससे वह मीम मेटेरियल बन जाएं। आजाद एक गंभीर व्यक्तित्व वाले नेता हैं, इसलिए ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इस बात स्वीकार कर लिया है कि अनुच्छेद 370 और कांग्रेस की केंद्र में वापसी, दोनों अब राजनीतिक इतिहास का एक हिस्सा बन चुके हैं, जिनका केवल सैद्धांतिक आशय होगा, व्यावहारिक होना तो अब कठिन प्रतीत होता है।

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