चीन में हो रहे खरबों के नुकसान से भागे निवेशक भारत में कमा चुके हैं 72 लाख करोड़ रुपये

चीन ने लूट लिया और भारत ने खूब दिया!

भारतीय बाजार

अर्थशास्त्र के जनक एडम स्मिथ का कहना था कि “यदि व्यापार की कोई शाखा या श्रम का कोई विभाजन जनता के लिए फायदेमंद हो, तो प्रतिस्पर्धा जितनी अधिक मुक्त और सामान्य होगी, यह हमेशा उतना ही अधिक होगा।” स्मिथ का यह कथन इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि भारत के बाजार को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे भारतीय बाजार कोरोनोवायरस महामारी के लिए एक मारक बनना चाहता है। वर्ष 2021 के भारतीय शेयर बाजार में केंद्रीय बैंकों द्वारा सहायक घरेलू नीतियों और दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सिनेशन योजना के आधार पर एक ऐतिहासिक उछाल देखने को मिला है। वहीं, दलाल स्ट्रीट में कई कम्पनियों के वैल्यूएशन पर संदेह के बावजूद, इक्विटी मार्केट बेंचमार्क सिर्फ एक दिशा में आगे बढ़ते हुए दिखाई दिए।

भारतीय बाजार में निवेशकों की लगी लौटरी

दरअसल, खबरों की माने तो 2021 के दौरान निवेशकों की संपत्ति में 72 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। देश में सभी सूचीबद्ध शेयरों के संचयी मूल्य (Store of Value) के रूप में अगर इसे मापा जाता है, तो यह लगभग 260 लाख करोड़ रुपये तक चला जाता है। BSE सेंसेक्स ने इस साल इतिहास बनाया है। साल 2021 के शुरूआती महीनों में पहली बार 50,000 के अंक पर रहने वाला BSE सेंसेक्स और अगले सात महीनों के भीतर 60,000 अंक के स्तर पर पहुंच चुका है। बता दें कि 18 अक्टूबर 2021 को अपने जीवनकाल के उच्चतम स्तर 61,765.59 पर बंद हुआ। ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते खतरे के कारण साल के अंत में उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार कुल 30 शेयर बेंचमार्क ने इस साल अब तक लगभग 20 प्रतिशत का रिटर्न पोस्ट किया है, जो की अन्य वैश्विक देशों से बेहतर है।

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गौरतलब है कि अब इतना बड़ा बदलाव अकेले तो आएगा नहीं। उसके पीछे कई फैसले जिम्मेदार होंगे। भारत के बाजार में यह मजबूती भी कई कारणों से आई है। रिज़र्व बैंक ने पिछले साल मई से नीतिगत दर को 4 प्रतिशत के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर रखा है। वहीं, केंद्र ने उत्पादन सहित कई बड़े धमाकेदार सुधार किए हैं। सरकार कई क्षेत्रों के लिए लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएं लेकर आई है। फिर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये का पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान और कई अन्य उपायों के साथ एक महत्वाकांक्षी संपत्ति मुद्रीकरण पाइपलाइन को भी एक प्रोत्साहन के रूप में देखा जा सकता है।

चीन की आर्थिक दुर्गति तो भारत की आर्थिक प्रगति

दुनिया के सबसे अधिक आबादी और दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाने वाले चीन में आर्थिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक लंबे समय से वहां बाजार में सुस्ती छाई हुई है। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में चीन की निरंतर वृद्धि, विशाल बाजार, धनी और तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग की भारी संख्या इन सभी ने इसे सम्मोहक शेयर बाजार बना दिया, जहां बड़ा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। वहीं, यह कर्ज पर भी टिका हुआ है।

कुछ साल पहले, भारत को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा था। भारत वैश्विक स्तर पर भले ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा था किन्तु भारत का बैंकिंग क्षेत्र में अस्थिर और अपंग था। इस अस्थिरता का कारण था, नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) और ऋण और इन दोनों की विफलता। 

भारतीय बाजार में उछाल देखकर चीन तिलमिला उठा है

भारत सरकार तब बहादुरी से इस स्थिति को निपटने में सफल रही थी । कर्ज को खत्म करने की नीति को उलटते हुए पीएम मोदी पूरी तरह से इसको सही किया। वहीं, चीन में ऐसा नहीं हुआ, वह गहरे आर्थिक संकट के बीच में है। चीनी अर्थव्यवस्था पर हावी रियल एस्टेट क्षेत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है, कई चीनी रियल एस्टेट दिग्गज कर्ज चुकाने में चूक कर रहे हैं। ऋण चुकौती में चूक करने वाली रियल एस्टेट कंपनियों की एक श्रृंखला के साथ चीनी अर्थव्यवस्था में एक नकारात्मक प्रभाव फैला हुआ है। 

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अब चीन के पास दो विकल्प है, समस्या को सिर पर उठाएं या उससे दूर भागें। चीन ने बाद वाले को चुना है। इसने खराब ऋणों को संभालने से इनकार कर दिया है और अपनी समस्याओं को छिपाने के लिए चीन इस विकल्प को सुविधाजनक समझता है। चीन से निकले निवेशकों ने भारत में निवेश करना शुरू कर दिया है और वे प्रतिबद्ध सरकार और उत्साही जनता के साथ मिलकर आज मजबूत भारत का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में, कहा जा सकता है कि वर्ष 2021 का भारतीय शेयर बाजार में हुए उछाल को देखकर चीन भी तिलमिला उठा है, वहीं भारत अब शेयर बाजार के क्षेत्र में नई-नई उपलब्धियों को प्राप्त कर रहा है। 

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