31 साल बाद फिर से शुरू होगा गोरखपुर खाद फैक्ट्री का संचालन, 10 हज़ार से अधिक युवाओं को मिलेगा रोजगार

योगी सरकार ने पूर्वांचल में व्यापार को दी नई उड़ान!

गोरखपुर खाद फैक्ट्री

गोरखपुर उत्तर प्रदेश का एक ऐसा राज्य है, जिसका देश से एक धार्मिक और राजनीतिक नाता रहा है। गोरखपुर शहर संत गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया है। इस शहर में कई ऐतिहासिक बौद्ध स्थलों हैं और यहीं हिंदू धार्मिक ग्रंथ प्रकाशन ‘गीता प्रेस’ भी स्थित है। वहीं, राजनीतिक परिदृश्य में गोरखपुर को पूर्वांचल की राजधानी कहा जाता है जबकि व्यापार के परिदृश्य से गोरखपुर पिछले दो- तीन सालों से उद्योगपतियों के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे पसंदीदा शहर के रूप में उभर रहा है। हाल ही में, गोरखपुर से एक खबर सामने आ रही है कि 31 साल से बंद पड़ी खाद फैक्ट्री का संचालन फिर से शुरू होगा।

PM मोदी करेंगे 31 साल से बंद पड़े खाद फैक्ट्री का उद्घाटन

पिछले चार वर्षों में, गैलेंट इस्पात लिमिटेड, शुद्ध प्लस हाइजीन, क्रेजी बेकरी उद्योग, अंकुर उद्योग लिमिटेड, स्पाइस लैमिनेट्स प्राइवेट लिमिटेड, आदित्य मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडिया ग्लाइकोल प्राइवेट लिमिटेड, आरके ऑक्सीजन प्राइवेट लिमिटेड नाम के उद्योगों ने अपनी इकाइयां स्थापित की है। अब इस बीच 31 साल से बंद पड़ी गोरखपुर खाद फैक्ट्री का उद्घाटन 7 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जायगा।

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बता दें कि PM मोदी इस दौरान गोरखपुर के BRD अस्पताल में क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के साथ ही AIIMS गोरखपुर (उत्तर प्रदेश में दूसरा) और नौ आधुनिक प्रयोगशालाओं का भी अनावरण करेंगे। वहीं, PM की यात्रा का मुख्य आकर्षण खाद फैक्ट्री का हवाई सर्वेक्षण और उसका उद्घाटन होगा। मालूम हो कि खाद फैक्ट्री एक परियोजना के तौर पर CM आदित्यनाथ का मुख्य मिशन रहा है और वह 1998 से गोरखपुर के सांसद बनने के बाद से ही इसको पुनर्जीवित करने के लिए लड़ रहे हैं। इस संयंत्र को पुनर्जीवित करने पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

गोरखपुर बन रहा निवेशकों का आकर्षण केंद्र

इस सन्दर्भ में, देश के 259 छोटे और बड़े उद्योगपतियों ने जिले में अपने कारखाने स्थापित करने के लिए गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GIDA) से जमीन अधिग्रहण किया है। आपको बता दें कि गोरखपुर में पिछले चार वर्षों में उद्योगपतियों द्वारा किया गया कुल निवेश 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि वर्ष के अंत तक शहर में उद्यमियों द्वारा अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की संभावना है। इस क्षेत्र में बड़े निवेशकों में प्रमुख हैं आदित्य बिड़ला समूह और कोका-कोला कंपनी जिन्होंने अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए GIDA से जमीन के लिए संपर्क किया है। वहीं, उद्योगपतियों को अपने कारखाने स्थापित करने के लिए भूमि उपलब्ध कराने के अलावा, Gorakhpur Industrial Development Authority (GIDA) के अधिकारी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए गोरखपुर में एक प्लास्टिक और एक कपड़ा पार्क के साथ-साथ एक फ्लैट फैक्ट्री स्थापित करने जैसी कई परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं।

योगी सरकार ने पूर्वांचल में व्यापार को दी नई उड़ान

दरअसल, गोरखपुर खाद फैक्ट्री 1990 में एक दुर्घटना के बाद बंद हो गया था, लेकिन साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के CM बनने के बाद से परियोजना में तेजी आई और महामारी के दौरान भी निर्माण कार्य धीमा नहीं हुआ। स्वराज्य के हवाले से कहा जा रहा है कि “संयंत्र पूरे क्षेत्र में नीम-लेपित यूरिया की आपूर्ति में मदद करेगा क्योंकि इसकी दैनिक उत्पादन क्षमता 3,850 मीट्रिक टन और वार्षिक उत्पादन 12.7 लाख मीट्रिक टन होगी। वहीं, यह फैक्ट्री यूरिया के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करेगी और 10,000 से अधिक नौकरियां पैदा करेगी।”

गौरतलब है कि “यहां कार्यरत लगभग 30% युवा पूर्वांचल क्षेत्र से हैं और उनमें से कई महिलाएं हैं। गोरखपुर खाद फैक्ट्री परियोजना के फिर से शुरू होने के बाद पूर्वांचल क्षेत्र में रहने वालों को अधिक लाभ होगा। खाद फैक्ट्री फिर से बहाल होने के बाद से गोरखपुर में निवेश और बढ़ेगा। जब से योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल के भाग्य खुल गए हैं। मुख्यतः पूर्वांचल क्षेत्र को पिछली सरकारों द्वारा अछूता रखा गया था, जिसके बाद योगी सरकार ने अपनी योजनाओं से पूर्वांचल में व्यापार के सभी रास्ते खोल दिए हैं।

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