उत्तराखंड में पहले ही कांग्रेस की हार सुनिश्चित कर चुके हैं हरीश रावत

पंजाब के बाद अब उत्तराखंड में भी टूट जाएगी कांग्रेस पार्टी!

हरीश रावत उत्तराखंड

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कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत (Harish Rawat) जिन्हें पार्टी ने पंजाब संकट के लिए संकटमोचक बनाकर भेजा था, वो पार्टी के लिए नया संकट बनते दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amrinder Singh) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को पंजाब चुनाव प्रभारी के रूप में पंजाब भेजा था। हरीश रावत इस विवाद को तो सुलझा नहीं सके, किंतु अब स्वयं कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाते दिख रहे हैं, वो भी तब जब राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

रावत ने व्यक्त किया रोष

हरीश रावत (Harish Rawat) ने ट्विटर के माध्यम से कांग्रेस नेतृत्व के प्रति अपना रोष व्यक्त किया। हरीश रावत ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है!’

हालांकि, इसके बाद हरीश रावत ने राजनीति से संन्यास जैसी बातों के उठने से पूर्व उन पर विराम लगाने के लिए एक और ट्वीट किया और कहा “फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है ‛न दैन्यं न पलायनम्’ बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवना केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।”

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मनीष तिवारी ने किया व्ययंगात्मक ट्वीट

कांग्रेस के दिग्गज नेता के इस ट्वीट के बाद भी हरीश रावत के राजनीति से संन्यास लेने अथवा कांग्रेस में बगावत करने की संभावना पर चर्चा रुकी नहीं। दूसरी ओर उत्तराखंड में राहुल गांधी की रैली में लगे पोस्टर से हरीश रावत की तस्वीर हटाए जाने के बाद मामले ने अब ज्यादा तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने पार्टी नेतृत्व पर व्ययंग करते हुए ट्वीट किया कि “पहले असम, फिर पंजाब, अब उत्तराखंड…भोग पूरा ही पाउण गे, कसर न रह जावे कोई’।” संभवत: मनीष तिवारी का इशारा राहुल गांधी द्वारा राज्यों में कांग्रेस नेताओं को संगठन से साइडलाइन करने की ओर था!

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पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी टूट सकती है कांग्रेस पार्टी

दरअसल, हरीश रावत उत्तराखंड में हुए टिकट बंटवारे से नाराज हैं। उत्तराखंड चुनाव से पूर्व ही हरीश रावत स्वयं को उत्तराखंड में पार्टी का चेहरा बनाना चाहते थे, लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी देवेंद्र यादव इस पर तैयार नहीं हुए। हरीश रावत उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और राज्य में कांग्रेस के प्रभावी नेता भी हैं, किंतु कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लगातार राज्यों में प्रभावी नेताओं को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। राहुल गांधी पुराने नेताओं को किनारे लगा कर राज्यों में अपने वफादार नए नेताओं की फौज तैयार करना चाहते हैं!

माना जा रहा है कि हरीश रावत 5 जनवरी को अपने भावी राजनीतिक जीवन को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि हरीश रावत राजनीति से संन्यास का ऐलान कर सकते हैं या फिर यह भी हो सकता है कि उत्तराखंड में एक नई पार्टी का उदय हो।

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बताते चलें कि पिछले वर्ष कांग्रेस नेतृत्व के विरुद्ध पार्टी के 23 बड़े नेताओं ने मुखर होकर विद्रोह कर दिया। इस घटना ने राहुल गांधी को बहुत भयभीत कर रखा है। यही कारण है कि वो कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं को किनारे करना चाहते हैं। यदि राहुल गांधी इसी नीति पर आगे बढ़ेंगे, तो पंजाब के बाद उत्तराखंड में भी कांग्रेस दो भाग में बट जाएगी और स्पष्ट तौर पर इसका लाभ भाजपा को ही मिलेगा।

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