सूरीनाम में हिंदू धर्म: कैसे प्रवासी श्रमिकों ने दक्षिण अमेरिका में बनाया एक मिनी-इंडिया

'श्री राम टापू' के नाम से भी जाना जाता है 'सूरीनाम'!

सूरीनाम

‘सूरीनाम’ आधिकारिक तौर पर सूरीनाम गणराज्य के रूप में जाना जाता है। यह दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी अटलांटिक तट पर स्थित एक देश है। इसके उत्तर में अटलांटिक महासागर, पूर्व में फ्रेंच गयाना, पश्चिम में गयाना और दक्षिण में ब्राजील है। 1,65,000 वर्ग किलोमीटर (64,000 वर्ग मील) में फैला यह देश दक्षिण अमेरिका का सबसे छोटा संप्रभु राज्य है। सूरीनाम की आबादी लगभग 586,634 है, जिनमें से अधिकांश लोग देश के उत्तरी तट और उसके आसपास के सबसे बड़े शहर व राजधानी पैरामारिबो में रहते है। सूरीनाम में हिंदू धर्म दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। ARDA के अनुसार, 2015 तक सूरीनाम में 1,29,440 हिंदू हैं, जो पूरी जनसंख्या का लगभग 23.15% है। गुयाना के बाद पश्चिमी गोलार्ध में स्थित सूरीनाम में हिंदुओं की जनसंख्या सबसे अधिक है। गुयाना में लगभग 24.8 प्रतिशत हिन्दू हैं।

और पढ़ें:- फतवा और सर तन से ज़ुदा करने की धमकी: वसीम रिजवी की हिंदू धर्म में घर वापसी पर गुस्से में कट्टरपंथी

सूरीनाम में हिन्दू धर्म

17 जून 2018 को सूरीनाम भारत में एकदम से चर्चा का विषय बन गया जब राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सबसे छोटे दक्षिण अमेरिकी देश का दौरा किया था। उन्होने विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र की नींव रखी, तब हमें पता चला कि भारत और सूरीनाम के संबंध ऐतिहासिक हैं। ठीक 148 साल पहले 34,000 से अधिक भारतीय मजदूरों ने ब्रिटिश गुलामी से निजात पाने को एक बेहतर जीवन की तलाश में एक अज्ञात और दूर देश में अपने कदम रखे। उनका अनुभव कड़वा रहा। लेकिन सच्चे धैर्य का प्रदर्शन करते हुए, उनमें से कई ने बाधाओं को पार कर लिया। वे बच गए और वहां फले-फूले।

सूरीनाम में 5,40,000 निवासी हैं। 2012 की जनगणना के अनुसार, इनमें लगभग 22.3 प्रतिशत यानि लगभग 1,42,000 हिन्दू हैं। सूरीनाम अपने क्षेत्रीय आकार में नीदरलैंड से चार गुना बड़ा है। भारत के अप्रवासियों के साथ पहला नौकायन जहाज 5 जून, 1873 को सूरीनाम पहुंचा था। इस नौकायन जहाज का नाम लल्लारूख था। जिसके बाद 34,304 भारतीयों को कोको, कपास और गन्ने के बागानों पर काम करने के लिए दासता के उन्मूलन के बाद सूरीनाम में स्थानांतरित किया गया।

‘श्री राम टापू’ के नाम से भी जाना जाता है ‘सूरीनाम’

इन गिरमिटिया गरीबी से त्रस्त मजदूरों में से अधिकांश भोजपुरी भाषी क्षेत्र से हैं। बता दें कि सूरीनाम का नाम ब्रिटिशों द्वारा महिमामंडित किया गया था इसलिए अप्रवासियों के पास इसके बारे में केवल सकारात्मक छवियां थीं। इसे ‘श्री राम टापू’ भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है वह द्वीप जहां श्री राम रहते थे। कुछ कहानियों में उल्लेख है कि सूरीनाम के दूर-दराज के स्थानों पर भेजने के लिए लोगों का अपहरण भी किया गया था। कुछ लोग कुली डिपो से भाग जाते थे। ऐसे में, भारतीय मजदूरों को ले जानेवाला जहाज तभी रवाना होता था जब एक निश्चित संख्या में अप्रवासी उस पर सवार चुके हों।

भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से परिपूर्ण देश है सूरीनाम

25 नवंबर, 1975 को सूरीनाम की स्वतंत्रता से पहले विभिन्न जातियों के बीच ढेरों संघर्ष हुए थे, जिसके बाद कई लोग सूरीनाम छोड़कर नीदरलैंड में रहने लगे। नीदरलैंड में भारतीय मूल के लगभग 1,20,000 सूरीनाम से आकर बसे हैं, जो डच आबादी का लगभग 1% है।

और पढ़ें:- भारत में कुपोषण के विरुद्ध शुरू हुई निर्णायक लड़ाई, सोनिया के “2000 कैलोरी” वाले मानदंड से मुक्त हो रहा है भारत

सूरीनाम के भारतीय खुद को भारत के वंशज के रूप में देखते हैं और भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने की कोशिश करते हैं। उनमें से बहुतों को यह नहीं पता कि भारत कितना विविध है। हालांकि, सूरीनाम में बसे भारतीय व्यापार और कृषि में सक्रिय है। वे डॉक्टर, वकील और शिक्षक भी हैं। इसके साथ-साथ वें सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्हें भारतीय संस्कृति पर गर्व है। इससे स्पष्ट होता है कि जो यात्रा का खर्च वहन कर सकते हैं, वे अपने पूर्वजों की भूमि पर जाते हैं। परंतु, युवा पीढ़ी के बीच भारत अवकाश के स्थानों में से एक बनता जा रहा है। ऐसे में, पूर्वजों की भूमि गर्व का विषय होना चाहिए ना की पर्यटन का।

यहां लोकप्रिय हैं भारतीय नेता और अभिनेता

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूरीनाम के भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। संभवत: वह पहले पीएम हैं, जो सभी आयु समूहों के साथ जुड़ने और उन्हें यह महसूस कराने में सक्षम हैं कि वे भारतीय हैं। सूरीनाम के लोग बॉलीवुड से परिचित हैं। बहुत से लोग भोजपुरी गानों और फिल्मों के बारे में नहीं जानते हैं। पर, सूरीनाम भारतीयों की अपनी भाषा सरनामी है, जो कि भोजपुरी से काफी हद तक प्रभावित है।

सूरीनाम में एक बहुत बड़ा समूह है, जो भारतीय कला और संस्कृति में रुचि रखता है। भरतनाट्यम, ओडिसी और कथक जैसे शास्त्रीय नृत्य यहां लोकप्रिय हैं। सूरीनाम के भारतीयों ने बैठक गण नामक एक नई संगीत शैली भी विकसित की है, जो पारंपरिक और नए संगीत शैली का मिश्रण है। यह रूप सूरीनाम में क्रियोल समाज से प्रभावित हो रहा है। इस देश में पारंपरिक शुरुआत बॉलीवुड गानों से हुई लेकिन अब उन्हें बैठक गण शैली में गाया जा रहा है, जो मुख्य रूप से सामाजिक समारोहों के दौरान आनंद लेने का एक तरीका है।

अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, रेखा और राजेश खन्ना जैसे कुछ भारतीय अभिनेता पुरानी पीढ़ी के बीच लोकप्रिय हैं। वहीं, सिलसिला, कभी-कभी, शोले, अमर-अकबर-एंथनी, बागबान, लगान, कुछ कुछ होता है और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फ़िल्में सूरीनाम में काफी लोकप्रिय है। यहां की युवा पीढ़ी में सलमान खान, ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ जसे अभिनेता और अभिनेत्री की लोकप्रियता अधिक है।

हिंदू और सनातनी संस्कृति के प्रति जीवंत देश

सूरीनाम में हिंदुओं की कहानी मोटे तौर पर गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो के समानांतर ही है। भारतीय “गिरमिटिया” मजदूरों को डच और ब्रिटिश के विशेष व्यवस्था द्वारा औपनिवेशिक डच यानी गुयाना भेजा गया था। अंतर यह है कि नीदरलैंड की हिंदू धर्म के प्रति अधिक उदार नीति ने एक मजबूत संस्कृति को विकसित करने की अनुमति दी। कठोर जाति व्यवस्था का अभाव तथा गीता और रामायण का सार्वभौमिक पठन इसके उदाहरण हैं। ARDA की रिपोर्ट के अनुसार, यहां बसे हिंदु समुदाय में लगभग 18% रूढ़िवादी, पारंपरिक हिंदू धर्म का पालन करते हैं, जिसे वे सनातन कहते हैं, जो खुद को उन 3.1% हिंदुओ से अलग रखते हैं, जो दयानंद सरस्वती द्वारा शुरू किए गए सुधार आंदोलन आर्य समाज से संबंधित हैं। वहीं, सूरीनाम के निकेरी में एक हिंदू मंदिर भी स्थित है।

और पढ़ें:- सेना को दोष न दें, नागालैंड की वर्तमान अवस्था के लिए राजनीति जिम्मेदार है

इस्कॉन की सूरीनाम में भी मौजूदगी है। शहर न्यू निकेरी में उनका एक जीवंत प्रचार केंद्र है। वहीं, सूरीनाम में हिंदू समुदाय से जुड़े त्यौहार जैसे दीपावली और होली पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि सूरीनाम के हिन्दू सशक्त और सनातनी संस्कृति के प्रति जीवंत है। उनके लिए भारत आज भी उनके पुरखों की भूमि और आस्था का केंद्र है। भले ही वो खुद को ‘राम के टापू’ के निवासी मानते हैं लेकिन उन्हे पूर्णतः ज्ञात है कि श्री राम की नगरी अयोध्या भारत में ही हैं। सूरीनाम में वो भारत के राजदूत के रूप में अपना योगदान देकर अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमी के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं!

Exit mobile version