जब अरब खाड़ी के देशों को उनके तेल के भंडार का महत्व समझ आया, तब उन्होंने खूब रुपये कमाए। इन्हीं देशों में से एक है संयुक्त अरब अमीरात। इस देश ने अपने तेल भंडार से इतने रुपये कमा लिए कि उसके पास अपने शहरों के विकास करने और गगनचुम्बी इमारत बनाने के बाद भी अथाह रुपया बचा हुआ था। जिसका उपयोग करने के लिए UAE ने एक कृत्रिम द्वीप बनाने का फैसला किया, जिसे Palm Island Project का नाम दिया गया। हालांकि, वास्तविक रूप से देखा जाए तो UAE का यह कृत्रिम द्वीप अब डूब रहा है।
वर्ष 2000 के दशक में दुबई का तट पहले से ही ऊंची-ऊंची इमारतों से पटा पड़ा था। जब इमारत बनाने के लिए जगह कम पड़ने लगी, तो संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने सोचा- चलो समुद्र में टाउनशिप बनाते हैं। दुबई सरकार के स्वामित्व वाली एक रियल एस्टेट कंपनी नखील प्रॉपर्टीज ने रियल स्टेट के क्षेत्र में एक क्रांति लाने को सोचा। नखील प्रॉपर्टीज ने पूरे टाउनशिप को समुद्री जल में बनाने का फैसला किया है। वर्ष 2001 और 2006 के बीच, दुबई सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी ने कई योजनाओं की घोषणा की। पहली योजना पाम द्वीप समूह जिसमें Palm Jumeirah, Palm Jebel Ali और अंत में Palm Deira नामक तीन द्वीपों का एक द्वीपसमूह बनाने की थी। इसमें सबसे बड़ा Palm Deira था।
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यही नहीं, इसमें “The World” नामक एक परियोजना थी, जहां विभिन्न देशों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाए गए 300 कृत्रिम द्वीपों का एक द्वीप समूह बनाया जाना था। अगले चरण में नखील प्रॉपर्टीज ने “The Universe” की योजना बनाई, जो ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता। अंत में इस कंपनी की योजना इस्लाम को बढ़ावा देना था, क्योंकि आखिर में यह थी तो एक अरब देश की परियोजना।
यही कारण है कि Palm Jebel Ali के ठीक बगल में नखील प्रॉपर्टीज ‘दुबई वाटरफ्रंट’ का निर्माण करना चाहती थी, जो एक तारे और अर्धचंद्र की तरह बनता। गौर करने वाली बात है कि इस्लाम का यही प्रतीक होता है- एक तारा और अर्धचंद्र। इन परियोजनाओं को वास्तविक द्वीपों की तरह बनाया जाना था, जिन पर लोगों का निवास होगा। इस परियोजना को दुनिया में सबसे बड़ी मानव निर्मित परियोजना के रूप में प्रचारित गया था।
वैश्विक वित्तीय संकट ने बिगाड़ा खेल
जिस बड़े स्तर पर इस पाम द्वीप परियोजना पर काम किया जा रहा था, उससे वास्तविक रूप से प्रकृति को नुकसान होना तय था। वर्ष 2001 में नखील प्रॉपर्टीज ने 5 km² में फैले पाम जुमेराह का निर्माण शुरू किया। कंपनी ने 560 हेक्टेयर कृत्रिम भूमि बनाई और दुबई के 72 किमी समुद्र तट में 78.6 किमी जोड़ा। इन सभी मेगास्ट्रक्चर की जो योजना बनाई गई थी, उससे दुबई के समुद्र तट को 1,500 किमी तक विस्तारित करने का अनुमान लगाया गया था।
परियोजनाएं शुरू में योजना के अनुसार चल रही थी। वर्ष 2006 तक पाम जुमेराह के लिए भूमि सुधार पूरा कर लिया गया था और अपार्टमेंट सौंप दिए गए थे। लेकिन वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण संयुक्त अरब अमीरात को Palm Jebel Ali और Palm Deira का काम रोकना पड़ा। Palm Deira को मूल रूप से 46.35 km² से अधिक के क्षेत्र में विकसित करना था। हालांकि, बाद में Palm Deira को Deira Islands के रूप में पुनः ब्रांडेड किया गया, जिसमें चार छोटे कृत्रिम द्वीप थे और लगभग 5,000 दुकानें थी। दूसरी ओर नखील प्रॉपर्टीज पाम जेबेल अली को धरातल पर लाने में आर्थिक रूप से असमर्थ रही है और उसने बताया है कि यह एक “दीर्घकालिक” परियोजना है, जिस पर “भविष्य में किसी बिंदु पर दोबारा गौर किया जाएगा।”
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“The World” डूब रहा है
दुबई के लिए वैश्विक वित्तीय संकट दर्दनाक था, लेकिन अब और भी बुरा समय आने वाला है। 17 साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। “The World” पर $13 बिलियन खर्च किए गए थे और भूमि सुधार पूरा होने के बाद वित्तीय संकट से पहले द्वीपों का एक बड़ा हिस्सा बेच दिया गया था। फिर वित्तीय संकट आया और यह सभी को पता है कि यह तब से अटका पड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अब क्या होगा? परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए कई योजनाएं हैं, लेकिन बाजार ही एकमात्र समस्या नहीं है।
वर्ष 2010 में, समुद्री कंपनी पेंगुइन मरीन ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि “The World” वापस समुद्र में डूब रहा है। 300 द्वीपों को सहारा देने के लिए समुद्र तल से निकाली गई सारी रेत धीरे-धीरे अपने मूल स्थान पर लौटने लगी हैं। फरवरी 2010 में, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि फारस की खाड़ी में जल स्तर बढ़ रहा है और द्वीप गायब होने लगे हैं। दरअसल, नासा के मुताबिक, पाम जुमेराह भी पांच मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से डूब रहा है। यही नहीं, बदलती जलवायु के साथ, अबू धाबी की पर्यावरण एजेंसी ने चेतावनी दी है कि सबसे खराब स्थिति में समुद्र का स्तर 9 मीटर तक बढ़ सकता है।
ऐसे में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीप के अब जल्द ही डूबने की आशंका बढ़ गयी है। देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि संयुक्त अरब अमीरात द्वारा “The World” में निवेश किए गए $13 बिलियन तेजी से डूब रहे हैं।
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