भारत की पूर्वी पाकिस्तान पर विजय की स्वर्णिम जयंती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश की यात्रा पर गए हैं। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान को जीतकर बांग्लादेश का गठन किया था। स्वर्णिम जयंती के इस अवसर पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद ने भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को बांग्लादेश यात्रा का निमंत्रण दिया था। बांग्लादेश में राष्ट्रपति कोविंद ने एक ऐसे मंदिर का उद्घाटन किया है, जिसे 1971 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्च लाइट के दौरान पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। ढाका स्थित यह मंदिर रमणा काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। 1971 से लेकर आज तक यह मंदिर पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा में था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद इसका उद्घाटन किया है।
कट्टरपंथियों को मिला करारा जवाब
मंदिर पुनर्निर्माण एवं उद्घाटन का कार्यक्रम बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के लिए एक करारा जवाब है। इसी वर्ष दुर्गा पूजा के दौरान कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की गई थी और हिंदुओं के साथ मारपीट की घटना भी सामने आई थी। यह मारपीट और तोड़फोड़ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे क्रमिक अत्याचार का ही एक भाग था। ये अत्याचार आजादी के पहले से ही हिंदुओं के साथ बांग्लादेश की भूमि पर हो रहे हैं।
प्रारंभ में डायरेक्ट एक्शन डे के नाम पर मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के विरुद्ध योजनाबद्ध तरीके से हिंसा की गई। बंटवारे के बाद पाकिस्तानी सेना ने प्रशासनिक मशीनरी का प्रयोग कर हिंदुओं का दमन किया और जब भारत की सहायता से बांग्लादेश का गठन हुआ, तब भी कट्टरपंथी मुसलमानों के रवैये में कोई परिवर्तन नहीं आया। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जस के तस जारी रहे।
हालांकि, मोदी सरकार के गठन के बाद से भारत सरकार ने बांग्लादेशी हिंदुओं के मुद्दे को दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण पहलू बना दिया है। अवश्य ही बांग्लादेश की भूमि अब भी हिंदुओं के रक्त से लाल होती है, किंतु भारत के दबाव में बांग्लादेश की सरकार को कट्टरपंथी मुसलमानों के विरुद्ध कार्रवाई भी करनी पड़ती है और उन्हें नियंत्रित भी करना पड़ रहा है। इसी वर्ष दुर्गा पूजा में हुई तोड़फोड़ के बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत के दबाव में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की थी।
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बांग्लादेश की सरकार पर बनेगा मनोवैज्ञानिक दबाव
भारत के राष्ट्रपति द्वारा ऐसे कार्यक्रम में भागीदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस समय बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लाम नई शक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान की विजय ने पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के मुस्लिम कट्टरपंथियों का साहस बढ़ा दिया है। ऐसे में बांग्लादेश में रहने वाली अल्पसंख्यक आबादी एक गंभीर खतरे का सामना कर रही है। इन परिस्थितियों में भारत सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को यह संदेश दें कि हम हिंदू संस्कृति के संरक्षण और ध्वजवाहक हैं तथा किसी भी हिंदू पर होने वाले अत्याचार को भारत सरकार गंभीरता से लेगी। राष्ट्रपति का यह कार्यक्रम बांग्लादेश की सरकार पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाएगा।
बांग्लादेश में आज जो थोड़ा बहुत परिवर्तन दिख रहा है, वह इसलिए है क्योंकि भारत सरकार लगातार बांग्लादेश की सरकार को यह एहसास कराती रहती है कि हमारे बांग्लादेशी हिंदुओं के साथ सांस्कृतिक संबंध हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बांग्लादेश की यात्रा पर थे, तो उन्होंने मछुआ समुदाय के मंदिर में दर्शन पूजन किया था। इसी क्रम में अब बांग्लादेश के पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है।
भारत और बांग्लादेश के आध्यात्मिक बंधन का प्रतीक है यह मंदिर
मंदिर का उद्धाटन करने के बाद भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वह इसे ‘मां काली के आर्शीवाद के तौर पर देखते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आज सुबह, मैं ऐतिहासिक श्री रमणा काली मंदिर गया, जहां मुझे उसका उद्घाटन करने का सौभाग्य मिला। मैं इसे मां काली के आर्शीवाद के तौर पर देखता हूं।’ कोविंद ने कहा, ‘मुझे बताया गया है भारत और बांग्लादेश की सरकारों तथा लोगों ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार में मदद की, जिसे पाकिस्तानी सेना ने मुक्ति संग्राम में ध्वस्त कर दिया था।’
उन्होंने कहा कि उस दौरान कई लोग मारे गए थे। राष्ट्रपति ने कहा कि यह मंदिर भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक बंधन का प्रतीक है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘यह मेरी बांग्लादेश यात्रा के शुभ समापन का प्रतीक है।’ भारत ने मंदिर के जीर्णोद्धार में मदद की है। बताते चलें कि मुस्लिम बहुल बांग्लादेश की कुल जनसंख्या 16.9 करोड़ है, जिसमें 10 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है।