रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खुला जम्मू-कश्मीर, पहली बार में ही हासिल किया 18,300 करोड़ का निवेश

जम्मू-कश्मीर में विकास ने पकड़ी रफ्तार!

जम्मू-कश्मीर रियल एस्टेट

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जम्मू-कश्मीर एक बार फिर से विकास के नए स्तर पर पहुंचने को तैयार है। बीते दिन सोमवार को विकास के नए दरवाजे खोलते हुए इस संघीय प्रदेश को निवेश के लिए खोला गया और खुलते ही इस प्रदेश को लगभग 18,300 करोड़ का निवेश मिल गया। दरअसल, जम्मू-कश्मीर की सरकार ने सोमवार को आवास और वाणिज्यिक परियोजनाओं के विकास के लिए 18,300 करोड़ रुपये के 39 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर, देश के रियल एस्टेट निवेशकों के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश का दरवाजा खोल दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि अब इस प्रदेश में अन्य राज्यों की तरह खुल कर निवेश होंगे, रोजगार बढ़ेगा और यह विकास के पथ पर अग्रसर होगा।

रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर रियल एस्टेट शिखर सम्मेलन में MoU पर हस्ताक्षर को “ऐतिहासिक” करार देते हुए, उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यह संघीय प्रदेश के परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार ने परियोजनाओं के विकास के लिए 6,000 एकड़ भूमि की पहचान की है और कृषि भूमि के उपयोग में बदलाव के लिए भी नियम बनाए हैं। उप राज्यपाल ने कहा, सरकार नई औद्योगिक नीति के तहत परियोजनाओं के विकास के लिए अपनी जमीन देगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों के पास जमीन है, उन्हें यह तय करने की आजादी होनी चाहिए कि वे अपनी जमीन का इस्तेमाल कैसे करना चाहते हैं।

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आवास परियोजना के लिए 20 समझौता ज्ञापनों पर हुआ हस्ताक्षर

दरअसल, प्रशासन ने पिछले दो महीनों में भूमि कानूनों में कई बदलाव किए हैं, जिसमें औद्योगिक उद्देश्यों के लिए निजी भूमि का उपयोग करना और विकास परियोजनाओं के लिए कृषि भूमि को परिवर्तित करना शामिल है। आवास परियोजनाओं के विकास के लिए शिखर सम्मेलन में 20 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि 7 वाणिज्यिक, 4 आतिथ्य, 3 इंफ्राटेक, 3 फिल्म और मनोरंजन तथा 2 वित्त परियोजनाओं के लिए भी हस्ताक्षर किए गए। जिन रियल एस्टेट कंपनियों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए सिग्नेचर ग्लोबल, सम्यक ग्रुप, रौनक ग्रुप, हीरानंदानी कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शैलेट होटल्स लिमिटेड ने आतिथ्य के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। रहेजा डेवलपर्स, गोयल गंगा, जीएचपी ग्रुप और श्री नमन ग्रुप ने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए शुरुआती समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

जम्मू-कश्मीर रियल एस्टेट में 60,000 करोड़ रुपये निवेश की संभावना

शिखर सम्मेलन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि सरकार ने पहले ही रियल्टी कानून RERA लागू कर दिया है और संघीय प्रदेश में मॉडल टेनेंसी एक्ट को अपनाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार संपत्तियों के पंजीकरण पर स्टांप शुल्क कम करने और परियोजनाओं के तेजी से अनुमोदन के लिए सिंगल-विंडो सिस्टम स्थापित करने पर विचार करेगी।

उन्होंने मीडिया से कहा, “हमने आज 39 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। हमें 18,300 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को निकट भविष्य में रियल एस्टेट क्षेत्र में 60,000 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होने की संभावना है, क्योंकि वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इस क्षेत्र को बदलना है, ताकि केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़े।

मनोज सिन्हा ने कहा कि ये समझौते ज्ञापन जम्मू-कश्मीर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे। विकास के नाम पर स्थानीय लोगों की जमीनें छीनने वाली विपक्षी पार्टियों की टिप्पणी पर उप राज्यपाल ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भय पैदान करने और लोगों को उकसाने के ध्येय से विपक्षी पार्टियों की ओर से ऐसी बयानबाजियां की जा रही है।

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जम्मू-कश्मीर में हो रहे हैं क्रांतिकारी परिवर्तन

बताते चलें कि शिखर सम्मेलन का आयोजन जम्मू-कश्मीर सरकार, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और रियल्टर्स बॉडी NAREDCO द्वारा किया गया था। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब से केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किया है, तब से जम्मू-कश्मीर में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से सरकार का पूरा ध्यान जम्मू और कश्मीर में विकास पर रहा है। इस सरकार ने आरंभ से ही तेज विकास की गति के लिए कई कदम उठाए हैं।

भारत सरकार की शुरू से ही यही कोशिश रही है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिले। जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के बाद 3-4 जिलों को छोड़ कर लगभग पूरे राज्य में शांति बहाल हो चुकी है! लोग खुश हैं और अपने क्षेत्र के विकास के लिए नई योजनाओं का इंतजार कर रहे हैं। अब प्रदेश में निवेश के साथ ही यह राज्य अपने संसाधनों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न कर सकता है, जिससे राज्य में औद्योगिक और कॉरपोरेट गतिविधि को बल मिलेगा।

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