बीतें दिनों मशहूर खालिस्तानी समर्थक गायक, सिद्धू मूसेवाला ने आधिकारिक तौर पर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। अपने गीतों के वीडियो में बंदूकें और पुलिस मामलों को सम्मान बताने वाला विवादास्पद गायक, सिद्धू मूसेवाला पंजाब चुनाव से पहले आज कांग्रेस में शामिल हो गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू दोनों ने सिद्धू मूसेवाला का स्वागत किया है।
सिधू मूसेवाला के काँग्रेस में आने के साथ ही बातों का दौर शुरू हो गया है। बहुत सारे लोग इस गठजोड़ से खुश है और बहुत से लोग इसको कैप्टन अमरिंदर सिंह से जोड़कर देख रही है।
लोगों का कहना है कि काँग्रेस में जबतक कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे राष्ट्रवादी लोग थे, मुसेवाला जैसे खालिस्तानी कभी भी काँग्रेस में शामिल नहीं हो सकते थे। यहां पर जरूरी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कैसे खालिस्तानियों के एजेंडे पर रोड़ा बनाकर बैठे हुए थे।
अमरिंदर बनाम खालिस्तान
अमरिंदर सिंह ने हमेशा खालिस्तानियों का विरोध किया है। पूर्व मुख्यमंत्री के भीतर से एक सैनिक कभी भी नहीं मरा था और उन्होंने मुखर होकर खालिस्तानियों को कड़ा संदेश दिया था।
उनके मुख्यमंत्री रहते हुए कई बार खालिस्तानियों ने अपने एजेंडे पर काम करना चाहा था लेकिन खालिस्तान के लिए ऐतिहासिक आकांक्षाओं को खारिज करने में अमरिंदर सिंह सबसे आगे थे।
हालत तो यह हो गई थी कि खालसा दल जैसे समूहों ने अमरिंदर सिंह को निशाना बनाया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ठिकाने पर सवाल उठाते हुए, दल खालसा ने जोर देकर कहा था कि केवल अकाल तख्त की संस्था को सिखों की सामूहिक आकांक्षाओं को व्यक्त करने का अधिकार है, ये आकांक्षाएं जत्थेदार द्वारा प्रवक्ता के रूप में अनुवादित की गई है। इस सर्वोच्च धर्म-राजनीतिक सत्ता का अधिकार कैप्टन अमरिंदर सिंह को नहीं है।
कनाडा को भी अमरिंदर सिंह घेर चुके हैं। आतंकवादी खतरों पर अपनी 2018 की रिपोर्ट में खालिस्तानी चरमपंथ के सभी संदर्भों को हटाने के कनाडा सरकार के फैसले की पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह आलोचना कर चुके हैं।
सत्तारूढ़ कनाडाई लिबरल पार्टी के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए, अमरिंदर ने कहा था कि इसका स्पष्ट उद्देश्य सिख समुदाय में दबाव समूहों के बहाने एक चुनावी वर्ष में अपने राजनीतिक हितों की रक्षा करना था।
अमरिंदर सिंह ने बताया था कि लंबे समय में भारत-कनाडाई संबंधों के लिए ऐसे निर्णय के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह का कदम भारतीय और साथ ही वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
अमरिंदर सिंह के लिए खालिस्तान मतलब आतंकवाद था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मोगा प्रशासनिक परिसर में ‘खालिस्तान’ झंडा फहराने के लिए जिम्मेदार बदमाशों के खिलाफ पुलिस को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देने के बाद युवाओं से आतंकवादी जैसे भारत विरोधी तत्वों के दुष्प्रचार के बहकावे में न आने की अपील की थी।
सिख फॉर जस्टिस को भी तमाचा जड़ चुके हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह
मुख्यमंत्री ने गुरपतवंत सिंह पन्नू को चुनौती देते हुए कहा था, “आप पंजाब आने की कोशिश करें और मैं आपको सबक सिखाऊंगा।” उन्होंने कहा कि राज्य की शांति भंग करने की किसी भी कोशिश से सख्ती से निपटा जाएगा।
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भाजपा जानती है राष्ट्रवादी अमरिंदर को-
जब कैप्टन ने अपने अपमान के चलते काँग्रेस का हाथ छोड़ा था तब कैप्टन अमरिन्दर सिंह को ‘राष्ट्रवादी’ करार देते हुए भाजपा नेताओं ने कहा था कि पार्टी उन सभी लोगों से गठबंधन के लिए तैयार है जो देश और उसके हितों को पहले रखेंगे।
भारतीय जनता पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी दुष्यंत गौतम के हवाले से यह कहा गया था, “सभी पार्टियां जो इस एजेंडे पर हमारे साथ गठबंधन करना चाहती हैं, उनका स्वागत है।”
“अमरिंदर सिंह को अपनी पार्टी बनाने और अपना रुख घोषित करने की जरूरत है। एक सैनिक के तौर पर वह देश के लिए खतरों को जानते हैं। हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर उनके रुख की हमेशा सराहना की है।”
बात तो सही है। जबतक कैप्टन अमरिंदर सिंह काँग्रेस में थे, कोई खालिस्तानी पार्टी में शामिल नहीं हो सकता था लेकिन आज ऐसी स्थिति आ गई है कि एक खालिस्तानी को सीधे पार्टी में जगह दिया जा रहा है। ये हो भी क्यों ना, जब पाकिस्तान प्रेमी नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के अध्यक्ष हो तो ऐसे दिन देखना मुमकिन है।