लुधियाना ब्लास्ट : क्या अस्सी के दशक का पंजाब फिर से वापस आ गया है?

एक बाद एक ऐसी घटनाएं संयोग नहीं!

लुधियाना ब्लास्ट

पंजाब फिर से आतंकवाद के चपेट में आने लगा है। पंजाब में बढ़ते आतंकवादी गतिविधियों ने अस्सी के दशक की याद दिला दी है, जब पंजाब आतंकवाद का एक गढ़ बन चुका था। देश की आजादी और विभाजन की त्रासदी के बाद, पंजाब में राजनीतिक दलों ने एक विभाजनकारी राजनीति का पीछा करना जारी रखा, जिसने सांप्रदायिक पहचान को अलग करने पर अत्यधिक जोर दिया और इसके परिणामस्वरूप पंजाब राज्य का ‘भाषाई’ आधार पर ‘पुनर्गठन’ हुआ, जिसके कारण 1966 में एक सिख बहुल पंजाब और हिंदू बहुल हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विभाजित हो गया। वहीं, हाल ही में, पंजाब में 2022 विधान सभा चुनाव से ठीक पहले लुधियाना के एक अदालत परिसर में हुए ब्लास्ट (#LudhianaBlast) का मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

लुधियाना अदालत परिसर में हुआ बम ब्लास्ट

वहीं, मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने लुधियाना ब्लास्ट पर कहा कि “जो कोई भी राज्य की शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” कथित तौर पर विस्फोट इमारत की दूसरी मंजिल पर एक बाथरूम के अंदर दोपहर 12:22 बजे हुआ। विस्फोट ने बाथरूम की दीवारों को क्षतिग्रस्त कर दिया और इमारत के एक हिस्से के अलावा पास के कमरों के शीशे भी टूट गए। जब विस्फोट हुआ तब जिला अदालत में भीड़ थी और कामकाज चल रहा था। अज्ञात लोगों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम, राजद्रोह, आतंकवाद विरोधी कानून UAPA, हत्या और हत्या के प्रयास की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम ने विस्फोट स्थल की जांच की।

NDTV  के खबर के अनुसार, लुधियाना के पुलिस प्रमुख गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि एक शव बरामद कर लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि “शायद वह व्यक्ति विस्फोटक ले जा रहा था या उसके बहुत करीब था। हम दिल्ली से NSG की टीम के आने का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना लुधियाना शहर के मध्य में पुलिस उपायुक्त कार्यालय के इतने करीब एक इमारत में सुरक्षा में भारी चूक को उजागर करती है।” वहीं, जांच इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि सुरक्षा के बावजूद अदालत परिसर में विस्फोटकों की तस्करी कैसे की गई।

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NSG कर रही है सुरागों पर काम

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देने वालों में सबसे पहले थे, एक ट्वीट में, श्री सिंह ने पंजाब पुलिस से घटना की गहन जांच करने को कहा। वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने विस्फोट की निंदा की और लोगों से शांत रहने का आग्रह किया। इंडिया टुडे के अनुसार, पंजाब में प्रारंभिक जांच के बाद, NSG और पुलिस अधिकारियों का मानना ​​है कि मृतक ने ही अदालत परिसर में बम रखा था। जैसे ही उसने बम को सक्रिय करना शुरू किया, वह बंद हो गया। NSG घटना स्थल पर मिले कई सुरागों और सुरागों पर काम कर रही है। इससे पहले कुछ सूत्रों ने कहा था कि “लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट के पीछे पाकिस्तान समर्थित बब्बर खालसा का हाथ होने का संदेह है।”

ऐसे जन्मा था पंजाब में आतंकवाद

बताते चलें कि पंजाब में आतंकवादी आंदोलन की उत्पत्ति अप्रैल 1978 में हुई थी। 13 अप्रैल के दिन को सिख खालसा के जन्म का प्रतीक माना जाता है और उस वर्ष को निरंकारी संप्रदाय द्वारा अमृतसर में अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित करने के लिए चुना गया था। जरनैल सिंह भिंडरावाले और फौजा सिंह के नेतृत्व में अखंड कीर्तनी जत्थे के कुछ सौ सदस्यों के एक गिरोह ने निरंकारी सम्मेलन पर हमला किया। उस हमले में तीन निरंकारी के साथ फौजा सिंह समेत 13 सिख मारे गए। बता दें कि जून 1984 में अपनी मृत्यु तक, भिंडरावाले को एक कट्टर धार्मिक मंच से सिखों को नफरत फ़ैलाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

ऐसे में, पंजाब में एक बार फिर कानून व्यवस्था को लेकर प्रश्न उत्पन्न हो गया है। वहीं, पंजाब के नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर पंजाब में कानून व्यवस्था को जल्द से जल्द सुधारने की चुनौती है अन्यथा पंजाब में आतंक का बोलबाला फिर से जागृत हो उठेगा।

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