CDS बिपिन रावत के देहांत पर हंसने वालो को देख मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर ने की ‘घर वापसी’

अली अकबर बने राम सिम्हन, मदरसों में चल रहे यौन शोषण के विरुद्ध भी रह चुके हैं मुखर!

स्वामी विवेकानंद के कथनानुसार, एक अच्छा हिंदू बनने के लिए आपको एक अच्छा इंसान बनना पड़ेगा। परंतु कालांतर में एक अच्छा इंसान बनने के चक्कर में हम विकृत होते चले गए। विज्ञान और मानव मात्र को ही धर्म का आधार बताने वाले इस संस्कृति को हमने आडंबरों का आवरण ओढ़ा दिया। “Woke” अर्थात तथाकथित विद्वान और खुद को अलग दिखाने की होड़ में हम उन धर्मों को अपनाने लगे, जिनमें परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। परिवर्तन और कर्म को शाश्वत और स्वतंत्र नियम मानने वाले सनातन धर्म ने हमारे इस निकृष्ट कर्म पर कुछ नहीं कहा। पर, जब हमने दूसरे धर्मों की सच्चाई जानी तब हमें एहसास हुआ कि हमने कितनी बड़ी गलती की है। इसी कड़ी में एक सबसे बड़ा नाम मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर का है।

इस्लाम छोड़ अली अकबर अपनाएंगे हिन्दू धर्म

अली अकबर का जन्म 20 फरवरी 1963 को केरल में हुआ। वो एक मलयालम फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और गीतकार हैं। उन्होंने 20 से अधिक मलयालम फिल्मों का निर्देशन किया है। हाल ही में, मलयाली फिल्ममेकर अली अकबर ने चौंकाने वाला ऐलान किया है, जिसके बाद वो सुर्खियों में बने हुए हैं। अली अकबर ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू बनने का फैसला किया है। दरअसल, अली अकबर और उनका परिवार हिंदू धर्म अपनाएगा।

अली अकबर ने यह अहम फैसला चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ बिपिन रावत के आकस्मिक निधन पर आए सोशल मीडिया रिएक्शन के बाद लिया है। अली अकबर ने लाइव वीडियो में CDS बिपिन रावत के निधन पर खुशी मनाने वालों की निंदा की थी। अली अकबर को इस बात से भी ठेस पहुंची थी कि कोई भी धर्मगुरु कट्टरपंथियों के खिलाफ नहीं खड़ा हुआ। सांप्रदायिक प्रतिक्रिया देखने के बाद अली अकबर ने अपने पुराने फेसबुक अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था और एक नए अकाउंट का इस्तेमाल कर धर्म परिवर्तन का ऐलान किया था।

बीते बुधवार को अली अकबर ने बताया था कि उनका मुस्लिम धर्म से विश्वास उठ गया है। इसलिए अब वो और उनकी पत्नी लुसियामा हिंदू बनने के लिए तैयार हैं। अली अकबर ने अपना नया नाम भी सोच लिया है। वो अली अकबर से अब राम सिम्हन होंगे। उन्होंने बताया कि “राम सिम्हन वो शख्स था, जो इसलिए मारा गया क्योंकि वो अपने कल्चर के लिए खड़ा रहा। अली अकबर के मुताबिक राम सिम्हन नाम उनके लिए सटीक बैठता है।”

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मदरसों में हुए यौन शोषण से थे प्रभावित

इतना ही नहीं 1996 में अपनी गैर-फीचर फिल्म ‘राबिया चालिक्कुन्नू’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले मलयालम निर्देशक ने कुछ वर्ष पहले यह भी खुलासा किया कि जब वे आठ साल के थे, तब एक उस्ताद (मदरसा शिक्षक) ने उनके पैतृक स्थान वायनाड में स्थापित मीनांगडी के एक मदरसे में उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।

हालांकि, लड़ाई के बाद वो छेड़छाड़ करने वाले उस्ताद से बचने में कामयाब रहे। अली अकबर का यह दावा केरल की एक महिला पत्रकार के खुलासे के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उस महिला पत्रकार ने दावा किया था कि उसने बचपन में मदरसों में यौन शोषण देखा था। साथ ही, उन्होंने दावा किया था कि “मदरसे के कई साथी भी इस तरह के उत्पीड़न से गुजरे हैं। लेकिन किसी भी बच्चे ने उस समय माता-पिता के सामने उन बातों को प्रकट करने की हिम्मत नहीं की, क्योंकि पारंपरिक मुस्लिम परिवारों में ‘उस्ताद’ को बहुत सम्मान से देखा जाता है।”

कट्टरपंथियों के लिए मजहब पहले है और देश बाद में!

केरल सरकार से पुरस्कृत अली अकबर ने कहा कि उन्होंने मदरसों में बच्चों के यौन शोषण के बारे में पत्रकार वी.पी. रजीना के खुलासे के बाद उनपर हुए ऑनलाइन हमलों के मद्देनजर इन चीजों को प्रकट करने का फैसला किया है। वहीं, अकबर ने उस समय यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके खुलासे से कम से कम एक बच्चे को मदरसों के यौन-शोषण के विरुद्ध खड़े होने का विश्वास मिलेगा। बता दें कि अली अकबर ने 20 से अधिक मलयालम फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमें ‘जूनियर मैंड्रेक’ और ‘पाई ब्रदर्स’ जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।

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बता दें कि महाभारत में एक प्रसंग है, जब अर्जुन कृष्ण से पूछते हैं कि आपके ईश्वर होने के बावजूद क्या कौरव इतने शक्तिशाली थे कि युद्ध 18 दिनों तक चला? कृष्ण ने उत्तर दिया कि कौरव इसलिए टिके क्योंकि उनकी तरफ से अपनी मातृभूमि के लिए लड़नेवाले लोग थे अर्थात मिट्टी ईश्वर से भी बड़ी है। कोई अन्य धर्म यह बात नहीं सीखाता। “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” के माध्यम से राम ने भी यही समझाया। खैर, राम सिम्हन को ही देर सवेर ही सही लेकिन ये बात तो समझ आ ही गई कि कट्टरपंथी के लिए मजहब पहले है और देश बाद में!

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