कट्टरपंथी इस्लाम ने दुनिया में अराजकता फ़ैलाने के सिवाए कुछ नहीं किया है। हाल ही में, मलेशिया के एक राज्य में कट्टरपंथी इस्लाम के बढ़ते खतरे के बीच The Selangor Islamic Religious Council ने निर्णय किया है कि राजनीति से जुड़े लोग इस्लामिक शिक्षा के कार्यों से दूर रहेंगे। सेलांगोर, मलेशिया के 13 राज्यों में से एक राज्य है। इस राज्य के इस्लामिक मामलों से जुड़ी संस्था के प्रमुख अब्दुल अजीज मोहम्मद यूसुफ ने कहा है “राजनेता और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग अब सेलंगोरो में इस्लाम से संबंधित मामलों पर शिक्षा या उपदेश नहीं दे पाएंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “सुल्तान सेलांगोर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए इस्लामिक मामलों में राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति नहीं देंगे।”
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इस्लामिक शिक्षाओं के उपयोग की अनुमति नहीं
दरअसल, मलेशिया की सरकारी एजेंसियां राजनीति में इस्लामिककरण के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है। वहीं, मलेशिया की सरकार ने निर्णय लिया है कि राजनीतिक दलों को अपने विस्तार के लिए इस्लामिक शिक्षाओं का प्रयोग नहीं करने दिया जाएगा। पिछले कुछ समय से विशेष रूप से महातिर मोहम्मद के प्रधानमंत्रीत्व काल में मलेशिया में इस्लामिककरण तेजी से बढ़ा है। महातिर मोहम्मद ने जब अपनी राजनीतिक शक्ति क्षीण होते देखी, तब उन्होंने इस्लामिक कार्ड खेलना शुरू किया। इसके बाद से मलेशिया में यह चलन प्रचलित हो चुका है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में मलेशिया में कट्टरपंथी संगठनों का विस्तार तेजी से हो रहा है। इस बारे में कई रिपोर्ट छप चुकी हैं, जिसके अनुसार 9/11 हमले का मनोवैज्ञानिक प्रभाव मलेशिया पर भी पड़ा था। बता दें कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों के उदय का प्रभाव सरकारी नीतियों पर भी पड़ता है और मलेशिया में पिछले कुछ समय में शरीयत से प्रभावित कानून बनने लगे हैं।
इसके बीच ISIS का खतरा भी मलेशिया के ऊपर मंडरा रहा है। जनवरी 2020 में द डिप्लोमैट में छपी रिपोर्ट में बताया गया था कि मलेशिया के 100 से अधिक लोग ISIS की ओर से लड़ने के लिए इराक और सीरिया गए थे। वहीं, सितंबर 2019 में सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था, जो इस्लामिक स्टेट के लिए काम करते थे। साथ ही 2018 में ISIS ने मलेशिया के सुल्तान और प्रधानमंत्री दोनों की हत्या की धमकी भी दी थी।
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कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग
लिहाजा, मलेशिया का कट्टरपंथी झुकाव उसे कूटनीतिक रूप से भी कमजोर करेगा। मलेशिया द्वारा कश्मीर के मुद्दे पर इस्लामिक विचारधारा का राग अलापने का परिणाम उसे भुगतना पड़ा था। मलेशिया लंबे समय तक अमेरिका का प्रमुख सहयोगी देश रहा है। कट्टरपंथी शक्तियों का उदय मलेशिया को उसके परंपरागत कूटनीतिक सहयोगी से भी दूर कर सकता है। मलेशिया की अर्थव्यवस्था विदेशी निवेश और पर्यटन पर निर्भर करती है और यह दोनों ही कट्टरपंथी मानसिकता के बीच संभव नहीं हैं।
ऐसे में, मलेशिया के राजपरिवार पर उत्पन्न अप्रत्यक्ष खतरे के साथ ही अपने नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा ने मलेशिया की सरकार को कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों के विरुद्ध कार्यवाही करने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, अब मलेशिया को यह समझ लेना चाहिए कि यह कदम उसके अपने हितों की सुरक्षा हेतु है।