भारत में कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक वर्षों से चल रहे आंदोलन ने देश की राजनीती में बवाल मचाया हुआ है। कृषि बिल के मुद्दे ने देश के दो सबसे पुराने राजनितिक सहयोगी को भी अलग कर दिया है ,जी हां यहाँ बात हो रही है भाजपा और अकाली दल के वर्षों पुराने रिश्तों में आई खटास की जिसके बाद से हीं दोनों पार्टियों ने अपने-अपने रास्ते अलग कर लिए हैं।
कृषि कानून को लेकर अकाली दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा देते हुए भाजपा से अपने पुराने गठबंधन को तोड़ने का एलान कर दिया था जिसके बाद से हीं ये दोनों पार्टियां एक दुसरे पर राजनितिक हमला करती आ रही हैं। इसी बीच भाजपा ने कृषि कानून को निरस्त कर मास्टरस्ट्रोक चल दिया जिसके बाद से विपक्ष मुद्दाविहीन हो गया है।
भाजपा आने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव के साथ हीं पंजाब चुनाव पर भी अपनी नज़र बनाए हुए है। आपको बता दें कि भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गज रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को अपने पाले में कर लिया है, जिसके बाद से हीं अब पंजाब प्रदेश में चर्चा शुरू हो गई है कि पंजाब चुनाव का मुकाबला अब त्रिकोणीय होने वाला है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने एक बार फिर से राजनितिक दांव चलते हुए अकाली दल के मनजिंदर सिरसा को भाजपा में शामिल करवा लिया है। आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शामिल हो गए हैं, जिसके बाद भाजपा सिख मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रयासरत दिख रही है। सिरसा राष्ट्रीय राजधानी में अकाली दल का एक प्रमुख चेहरा हैं और वह तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के एक मजबूत समर्थक थे। उन्होंने भाजपा में जुड़ने के बाद कहा कि वह सिख हितों के लिए काम करना जारी रखेंगे।
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सिरसा के पार्टी में जुड़ने के बाद भाजपा बहुत खुश है। उनका गर्मजोशी से स्वागत करते हुए शाह ने कहा कि सिरसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सिख समुदाय के कल्याण के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि, “मुझे विश्वास है कि उनके पार्टी में शामिल होने से यह संकल्प और मजबूत होगा।”
एक बार दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के प्रमुख के रूप में, सिरसा को आलोचना का तब सामना करना पड़ा था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज की अचानक यात्रा के दौरान सिरोपा (सिखों के लिए सम्मान का वस्त्र) से सम्मानित किया गया था।
सिरसा के भाजपा में शामिल होने के बाद अकाली दल को बड़ा राजनितिक झटका लगा है। सिरसा के अकाली दल का साथ छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद अब अकाली और भाजपा में और भी तल्खियां बढ़ने की संभावना है। अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में पंजाब चुनाव का क्या परिणाम आएगा पर इतना स्पस्ट हो गया है की भाजपा सिरसा को अपने पाले में लाकर पूरी मजबूती से पंजाब का विधान सभा का चुनाव लड़ने जा रही है।