“मथुरा अभी बाकी है”, योगी आदित्यनाथ ने किया यदुवंशियों का आह्वान

कृष्णलला हम आएंगे, माखन वहीं खिलाएँगे

काशी-मथुरा

अयोध्या-काशी-मथुरा कोई चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि हिंदुओं के आस्था का मामला है। एक राजनीतिक दल के रूप में भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत केंद्रों की रक्षा, सजावट और सौंदर्यीकरण करना उनका उत्तरदायित्व है। ऐसे में तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली पार्टियों को आज दर्द हो रहा है कि बीजेपी कैसे मंदिरों का सौंदर्यीकरण कर अयोध्या-काशी-मथुरा का विकास कर रही है।

मर्यादपुरुषोत्तम हैं राष्ट्रपुरुष

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या को सूर्यवंश की राजधानी बताते हुए कहा कि भगवान श्रीराम और धर्म अलग नहीं हो सकते, ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। भगवान श्री राम ने कभी अन्याय नहीं किया और अन्याय को सहन भी नहीं किया। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने संपूर्ण मानवता के लिए एक अतुलनीय आदर्श स्थापित किया। योगी ने कहा कि अयोध्या ने 500 साल का लंबा संघर्ष देखा हैऔर ऐसा कोई भारतीयनहीं होगा जिसे अयोध्या पर गर्व न हो?

भाजपा और हिन्दू संगठनों की चुनौती

दरअसल, ‘राम लला हम आएंगे, वहीं मंदिर बनाएँगे’ का भाजपा संकल्प अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ सिद्धि की दिशा में है। इसलिए,मंदिर राजनीति अब फिर से एकनया आयाम ले रही है। वहीं, दशकों से अयोध्या से पर्याप्त दूरी बनाकर खुद को ‘सेक्युलर’ कहने वाले गैर-भाजपा दलों के नेताओं ने भी धीरे-धीरे नरम हिंदुत्व की दिशा में कदम उठाया है। ऐसे में बीजेपी के रणनीतिकारों ने सोचा है कि अगर विपक्ष खुद हिंदुत्व की पिच पर खेलने आ रहा है तो उसे क्यों न खिलाएं। अब केशव मौर्य का मथुरा काशी मंदिर निर्माण के संदर्भ में उसी पिच पर राजनीतिक बैटिंग की तैयारी है। साथ ही साथ उन्होने कृष्ण जन्मभूमि कारसेवा का आह्वान करके यादवों की अंतरात्मा को भी झकझोरा है।

अयोध्या-काशी-मथुरा आरंभ से ही बीजेपी के एजेंडे में शामिल रहे हैं। इसको लेकर बीजेपी, विहिप ने देशभर में आंदोलन शुरू कर दिया था, जिसमें अयोध्या का मुद्दा सबसे ऊपर था। 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। उस समयहिन्दू संगठनों और भाजपा का नारा था- “बाबरी मस्जिद की झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है।“

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इन तीनों एजेंडे में अयोध्या का समाधान तो सुप्रीम कोर्ट से आ चुका और इस समय राम मंदिर निर्माण का काम तेज गति से चल रहा है। परंतु,मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि तथा वाराणसी के काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर अभी भी हिंदुओं का हृदय क्षत-विक्षत है। अयोध्या की तरह, अखिल भारत हिंदू महासभा ने 6 दिसंबर को मथुरा के ईदगाह स्थल पर बाल गोपाल का जलाभिषेक करने के लिए कारसेवा की घोषणा की। हालांकि, मथुरा में धारा 144 लागू होने के कारण यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।

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काशी से मोदी करेंगे शुभारंभ

खबर है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने काशी पहुंच रहे हैं। कॉरिडोर की आधारशिला मार्च 2019 में रखी गई थी और 2021 के अंत तक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। काशी कॉरिडोर के उद्घाटन कार्यक्रम में देश भर के साधु-संत और तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे। ऐसे में पीएम मोदी भी काशी से बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को धार देते नजर आएंगे।

बीजेपी का सबसे अभेद्य भगवा गढ़ यूपी ही है। श्रीराम जन्मभूमि, श्री कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ की भूमि होने के साथ-साथ हिंदू समाज की आस्था से जुड़ें अन्य सभी महत्वपूर्ण स्थान और नदियां भी यहीं हैं। जब से योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाली है, भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को प्रखर रूप से लागू किया गया है।योगी जैसे ओजस्वी नेता को देखकर एक नए नारे को धार मिली है- “कृष्णलला हम आएंगे, माखन वहीं खिलाएँगे।“

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