भारत की आर्थिक वृद्धि में अगले 11 वर्षों में 1.1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान सिर्फ डिजिटल उद्योग से होगा

डिजिटल होगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया!

डिजिटल परिसंपत्ति

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भारत डिजिटल सेक्टर में दिन दूनी रात चौगुनी विस्तार कर रहा है। UPI लेनदेन में रिकॉर्ड बनाने के बाद अब एक रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही है कि अगले 11 वर्षों में होने वाली भारत की कुल आर्थिक वृद्धि में करीब 1.1 लाख करोड़ डॉलर ऐसे डिजिटल परिसंपत्ति यानी एसेट्स कारोबार से आ सकती है, जिनका अभी आविष्कार भी नहीं हुआ है। यानी यह क्षेत्र लगातार evolve कर रहा है और आने वाले दिनों में कुछ बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।

बीते दिन सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले 11 वर्षों में कुल आर्थिक विकास में भारत के 1.1 ट्रिलियन डॉलर का अधिकांश हिस्सा सहायक Digital Asset से संबंधित व्यवसायों से आ सकता है, जिनका आविष्कार होना बाकी है। साल 2013 में, डिजिटल परिसंपत्ति बाजार का बाजार पूंजीकरण लगभग 1.5 बिलियन डॉलर था।

यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) और Cross Tower  द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि आज, भारत में बाजार पूंजीकरण लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर है। USISPF एक शीर्ष भारत-केंद्रित अमेरिकी व्यापार advocacy group है, वहीं Cross Tower दुनिया के सबसे तेज और अग्रणी क्रिप्टो और डिजिटल परिसंपत्ति एक्सचेंजों में से एक है। Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल क्षेत्र में अभी और विकास होना बाकी है।

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भारत उठा सकता है डिजिटल संपत्ति के लाभ

रिपोर्ट बताती है कि कैसे भारत वेब 3.0 को अपनाकर डिजिटल संपत्ति के अवसर का लाभ उठा सकता है और भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को डिजिटल बनाने के लिए क्यों ब्लॉकचेन तकनीक आत्मनिर्भर है। बता दें कि यह रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा ब्लॉकचेन पर एक राष्ट्रीय रणनीति प्रकाशित करने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसका उद्देश्य देश में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी और वेब 3.0 अनुप्रयोगों के विकास को सुविधाजनक बनाना है। इसमें एक राष्ट्रीय ब्लॉकचैन फ्रेमवर्क के गठन के लिए कहा गया है, जिसका उपयोग अनुसंधान के लिए और ब्लॉकचैन आधारित प्लेटफार्मों के विकास में तेजी लाने के लिए किया जा सकता है।

USISPF के अध्यक्ष मुकेश अघी ने बताया कि, भारत 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की थी। डिजिटल परिसंपत्ति के तेजी से अपनाने के कारण, अगले 11 वर्षों में सभी देशों में जबरदस्त संभावनाएं उत्पन्न होने की उम्मीद है। उन्हीं नए संभावनाओं से उम्मीद है कि वे भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की जीडीपी हासिल करने में मदद करेंगे।” 

वहीं, क्रॉसटावर के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी कपिल राठी ने कहा कि भारत वेब 3.0 अपनाकर अपने तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की क्षमता का पूरा फायदा उठा सकता है। इसमें यह भी बताया गया है कि वेब 3.0, जिसमें इंटरनेट की तीसरी पीढ़ी की अवधारणाओं के इर्दगिर्द निर्मित एप्लिकेशन शामिल हैं, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1.1 ट्रिलियन डॉलर तभी जोड़ेंगे, जब सही नीतियां और नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार,अगले 11 वर्षों में वेब 3.0 भारत के लिए 1.1 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक वृद्धि ला सकता है, लेकिन इसके लिए सही नीतियां एवं नियामकीय ढांचे का होना आवश्यक है।”

2025 तक 28 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा वैश्विक वित्तीय बाजार

रिपोर्ट में कहा गया है कि “Digital Assets का Adoption Rate इंटरनेट की तुलना में लगभग दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। लगभग 100 मिलियन यूजर से एक बिलियन यूजर तक जाने में इंटरनेट को लगभग 7.5 वर्ष लगे। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में समान वृद्धि में लगभग चार साल ही लगेंगे।” रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय सेवा बाजार 2021 में 22 ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है और 2025 तक बढ़कर 28 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा।

इस नए रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल कला से लेकर टिकटों की बिक्री, संगीत, संग्रहणीय वस्तुओं, लग्जरी आइटम और गेमिंग तक, Non-Fungible Tokens (NFTs) लोगों के दिन-प्रतिदिन बातचीत करने के तरीके को बदल सकते हैं। अभी भी नए स्वरूप में ही NFT को $1 ट्रिलियन या अधिक के बाजार में उभरने का अनुमान है।

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MeitY ने तैयार किया है 1000 दिनों का एजेंडा

बता दें कि वित्त मंत्रालय क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक विधेयक भी तैयार कर रहा है, जिसे संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश किए जाने की उम्मीद है। यही नहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने अगले कुछ वर्षों में भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हुए 1,000 दिनों का एजेंडा तैयार किया है।

रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भारत में फ्री इंटरनेट हो, जो कि विश्वसनीय, सुरक्षित और जवाबदेह रहे, जिसमें सरकारी हस्तक्षेप कम से कम हो। इस एजेंडे में हाई-टेक क्षेत्र और विकासशील कौशल अन्य फोकस क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में AI, साइबर सुरक्षा, सुपर कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, ब्लॉकचैन और क्वांटम कंप्यूटिंग शामिल हैं। ऐसे रिपोर्ट्स को देखते हुए तथा सरकार की ओर से डिजिटल क्षेत्र में क्रांति के उठाए गए कदम को देख यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत के GDP में इस क्षेत्र का एक अहम हिस्सा होने वाला है।

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