‘मुगल तो शरणार्थी थे,’ ऐसा नसीरुद्दीन शाह का कहना है

आपकी तर्क शक्ति को चीरकर निकल जाएगी ऐसी बात कह दी!

नसीरुद्दीन शाह

जब आप घर बार छोड़कर अफगानिस्तान में डेरा जमाते हो, अपना आशियाना बनाते हो, और फिर भारत पर हमला करते हो, ताकि युगों-युगों तक एक अभेद्य, अकाट्य सल्तनत की नींव रखी जा सके, और फिर सैकड़ों वर्ष बाद आपका कोई वंशज ये कह दें कि आप मात्र एक ‘शरणार्थी’ थे तो? मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियों की भांति हमारे नसीरुद्दीन शाह के विचार भी बड़े अनोखे और भिन्न है। इनका विवादों से अटूट नाता है। इनके बयानों को लेकर अक्सर कोई न कोई विवाद अवश्य खड़ा होता है, और इस बार भी यही हुआ।

हाल ही में द वायर से जुड़े पत्रकार करण थापर को दिए साक्षात्कार में नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “मुगल यहाँ पर बसने के लिए आए थे। उन्होंने भारत की संस्कृति और संगीत को अपना अप्रतिम योगदान दिया था। उन्हे आप शरणार्थी भी कह सकते हैं, बड़े धनाढ्य शरणार्थी थे वे!”

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जब ऐसे बंधु हो, तो शत्रुओं की क्या आवश्यकता है? हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब नसीरुद्दीन शाह ने अपने बयानों से चर्चाओं में आए हो। कुछ महीनों पूर्व ही महोदय ने तालिबान के बढ़ते प्रभाव को लेकर पंथनिरपेक्षता के दावे करने का प्रयास किया था और कहा था,

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारतीय मुसलमानों के कुछ वर्गों द्वारा बर्बर लोगों का जश्न कम खतरनाक नहीं है। जो लोग तालिबान के पुनरुत्थान का जश्न मना रहे हैं, उन्हें खुद से सवाल करना चाहिए, क्या वे एक आधुनिक इस्लाम चाहते हैं, या पिछली कुछ शताब्दियों के पुराने बर्बरता (वहशीपन) के साथ रहना चाहते हैं?”

जी हाँ, आपने ठीक सुना। नसीरुद्दीन शाह हिन्दुस्तानी इस्लाम और रेगिस्तानी इस्लाम के बीच में अंतर रेखांकित कर रहे थे। इसी वीडियो में जनाब आगे कहते हैं, “अल्लाह ऐसा समय न लाए जब यह इतना बदल जाए कि हम इसे पहचान भी न सकें। मैं एक भारतीय मुसलमान हूँ और जैसा कि मिर्जा गालिब ने सालों पहले कहा था, ईश्वर के साथ मेरा रिश्ता अनौपचारिक है। मुझे राजनीतिक धर्म की जरूरत नहीं है।”

परंतु हंसी मज़ाक से इतर यदि नसीरुद्दीन शाह के बयानों पर नजर डालें तो इनमें और कबीर ख़ान जैसों में कोई विशेष अंतर नहीं है, जो मुगलों का महिमामंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। 1983 के विश्व कप के शौर्य गाथा में भी एजेंडावाद का रायता फैलाने वाले कबीर ख़ान ने कहा था कि मुगल इस देश के राष्ट्र निर्माता थे और जो उनके विरुद्ध बोलता है, उसे देश के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है।

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