आज के दौर में विक्टिम बन कर किसी भी समाज में अपनी प्रभुता सिद्ध करना एक चलन बन चुका है। इस्लामोफ़ोबिया के नाम पर इसी तरह का विक्टिम कार्ड खेला जा रहा है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पश्चिम के अधिकतर देशों से इस तरह की घटना सामने आ रही है। हाल ही में, अमेरिका से भी इसी तरह की घटना सामने आई जब एक युवती ने अपने क्लास के दो लड़कों पर इस्लामोफ़ोबिया का आरोप लगाया और बताया कि उन लड़कों ने उसे नस्लभेदी गलियां दी और उसके हिजाब को बिगाड़ा। वहीं, जब मामले की पुलिस ने जांच की तो पता चला कि ऐसा कुछ भी नहीं था और यह बस एक झूठी कहानी थी।
अमेरिका में इस्लामोफ़ोबिया का झूठा मामला आया सामने
दरअसल, अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित Fairfax High School की अश्वेत मुस्लिम छात्रा Ekran Mohamed ने आरोप लगाया था कि उसके दो सहपाठियों ने उसे नस्लीय गालियां दीं और उसकी पिटाई की। उसने यह भी दावा किया था कि 14 दिसंबर, 2021 को हुए विवाद के दौरान उसका हिजाब खींचा गया था। इस मामले के सामने आने के बाद 100 से अधिक छात्रों ने इस लड़की के समर्थन में मार्च भी निकाला था। यही नहीं इस मामले में सोशल मीडिया पर भी भारी समर्थन देखने को मिला था। घटना के बारे में और अधिक कड़े कदम उठाने के लिए Fairfax High School प्रशासकों पर दबाव बनाने के लिए Change.org पर एक याचिका भी चलाई गई, जिस पर 19,000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किया।
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घटना के बारे में बताते हुए, Ekran Mohamed ने WUSA9 को बताया कि, “तनाव के कारण मैं खाना नहीं खा पा रही। जहां मुझे सुरक्षित महसूस करना चाहिए वहा मैं कितनी घृणित हूं, मुझे इससे गुजरना पड़ रहा… यह हर हिजाबी, हर मुस्लिम लड़की और हर मुस्लिम व्यक्ति के लिए है। यह एक आम बात है, जिससे हम गुजरते हैं।” उसने आगे दावा किया कि “लोग इसे छुपाने और इसे एक दुर्घटना की तरह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।” हालांकि, वर्जीनिया में सिटी ऑफ फेयरफैक्स पुलिस विभाग ने उसके दावों को खारिज कर दिया है कि हमला उसकी जाति या धर्म के प्रति नफ़रत से प्रेरित था। जांच में पुलिस ने इन दावों को सिरे से नकार दिया है।
Muslim student in Virginia was called racial slurs, had hijab pulled, and was beaten by male classmates.
Hundreds of students walk out of class to protest Fairfax High School and support Ekran Mohamed, who is the student victim.
There is an ongoing investigation. pic.twitter.com/G0Td5VfIeK
— Muslim (@Muslim) December 18, 2021
इस्लामोफ़ोबिया पर लगाम कसने की है आवश्यकता
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सिटी ऑफ फेयरफैक्स पुलिस विभाग की जांच ने निर्धारित किया है कि बीते मंगलवार को फेयरफैक्स हाई स्कूल में हुआ एक शारीरिक विवाद Hate Crime नहीं था। पुलिस के अनुसार, जांच से पता चला कि किसी भी छात्र द्वारा कोई नस्लीय टिप्पणी नहीं की गई थी। पुलिस ने कहा कि छात्रा ने पुष्टि की कि “झगड़े के दौरान उसका हिजाब आंशिक रूप से हट हो गया, जिससे उसके बाल खुल गए थे।” सिटी ऑफ़ फेयरफैक्स पुलिस डिपार्टमेंट की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, छात्रा ने पुलिस को बताया कि कई सोशल मीडिया साइटों पर पोस्ट की गई जानकारी, जिसमें कहा गया था कि विवाद के दौरान नस्लीय टिप्पणियों का इस्तेमाल किया गया था, वह सभी झूठी थीं।
#Breaking Fairfax city police update about student who claimed her hijab was ripped off. Saying there were no racial comments made by either student…the female student admitted that no racial slurs were used. @wusa9 coverage @KolbieReportshttps://t.co/WCGkO8caqV pic.twitter.com/MG4AUyeBfy
— Ryan Sprouse (@RSprouseNews) December 18, 2021
हालांकि, इस मामले में शारीरिक हिंसा की जांच पुलिस अब भी कर रही है, लेकिन यह बात स्पष्ट हो गयी है कि यह नस्लीय हमला नहीं था। इससे यह पता चलता है कि किस तरह इस्लामोफ़ोबिया के नाम पर विक्टिम खेलने और अपने आस-पास के लोगों को फंसाने का चलन अमेरिका में बढ़ रहा है।
यहां ध्यान देने वाली बात हैं कि कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने वैश्विक स्तर पर इस्लामोफ़ोबिया से लड़ने के लिए एक बिल को मंजूरी दे दी थी। इस्लामोफ़ोबिया बिल पर हुई वोटिंग में पक्ष में 219 और विपक्ष में 212 वोट पड़े, जिसे अब इसे सीनेट में चर्चा के लिए भेजा जाएगा। अब देखना यह है कि क्या वास्तव में इस्लामोफ़ोबिया को रोका जा सकेगा या Fairfax High School की तरह झूठे मामले और बढ़ेंगे!