‘शुक्रवार को जुम्मे की कोई छुट्टी नहीं’, न्यू लक्षद्वीप प्रशासन ने किया ऐलान

बोलो बच्चों पेंसिल जुम्मे की नमाज़ कैंसिल!

लक्षद्वीप शुक्रवार छुट्टी

कट्टरता सोच को खा जाती है। यह विचारों में विष के समान घुलती हुई आपके सोचने समझने की क्षमता को रोक देती है। आप उसी तरह से कार्य करने लगते हैं, जितने आप कट्टर होते हैं। इस बात से परिचित होंगे कि पूरे देश में रविवार को विद्यालयों की छुट्टी होती है परंतु इस्लाम बहुल लक्षद्वीप के स्कूल शुक्रवार को भी विद्यालय बंद रखते हैं। इसका कारण है- जुम्मे की नमाज़। इससे ना सिर्फ बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है बल्कि विद्यालय की क्षमता और संसाधनों का भी ह्रास होता है। पर, अब मोदी सरकार ने इसका निवारण ढूंढ लिया है।

लक्षद्वीप में अब शुक्रवार को भी खुलेंगे स्कूल

दरअसल, मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप में स्कूली छात्रों के लिए अब से शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश नहीं रहेगा। लक्षद्वीप शिक्षा विभाग ने एक नया कैलेंडर जारी किया है, जिसमें द्वीपों के स्कूलों में शुक्रवार को कार्य दिवस के तौर पर शामिल किया गया है जबकि सभी रविवार की छुट्टियों की घोषणा की गई है। शिक्षा विभाग के इस आदेश ने धार्मिक आधार पर शुक्रवार की छुट्टियों के दशकों पुराने विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया है। अब से लक्षद्वीप के स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी नहीं होगी, विद्यालय सिर्फ रविवार को बंद रहेंगे।

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लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि “छह दशक पहले छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए द्वीपों में स्कूल खोले गए थे।  शुक्रवार को छुट्टी थी और शनिवार को आधे दिन तक का कार्य दिवस होता था।” उन्होंने कहा कि “यह फैसला स्कूलों के किसी भी निकाय, जिला पंचायत या स्थानीय सांसद से चर्चा किए बगैर लिया गया है।” फैजल ने PTI से कहा कि “ऐसा फैसला लोगों के अधिकार के विरुद्ध है। यह प्रशासन का एकतरफा फैसला है। जब भी स्थानीय व्यवस्था में कोई बदलाव लाया जाता है, तो उस पर लोगों से चर्चा की जानी चाहिए।“

जुम्मे की नमाज़ के कारण स्कूल रहते थे बंद 

वहीं, आधिकारिक सूत्रों का कहना कि “प्रशासन ने संसाधनों का सदुपयोग, शिक्षार्थियों की उचित कार्यशैली और शिक्षण की प्रक्रिया की आवश्यक योजना को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल के समय और नियमित स्कूल गतिविधियों को संशोधित किया है।” लक्षद्वीप जिला पंचायत के उपाध्यक्ष सह काउंसलर पी.पी. अब्बास ने लक्षद्वीप प्रशासक के सलाहकार प्रफुल खोड़ा पटेल को पत्र लिखकर छात्रों और अभिभावकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग के आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि “लक्षद्वीप की जातीय आबादी मुस्लिम है और उनकी आस्था के अनुसार शुक्रवार को छुट्टी होती है और शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ अदा करना एक अपरिहार्य धार्मिक प्रथा मानी जाती है।” उन्होंने प्रशासन से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों की बैठक बुलाने का अनुरोध किया।

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धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सर्वोपरि होता है कर्तव्य

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। अतः धार्मिक भावनाओं से जुड़ी चीजों पर समुदायों का मत जानना और विरोध झेलना सरकार का कर्तव्य बन जाता है। लेकिन, मुस्लिम समुदाय को यह समझना होगा कि इस्लाम इस देश के विविध धार्मिक इतिहास का हिस्सा है ना की राष्ट्र संचालन के नियमों का। भारत में बननेवाले सभी नियमों के कुछ सिद्धान्त और संवैधानिक प्रक्रियाएं होती हैं। एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का किसी के धर्म से कुछ लेना देना नहीं हैं और नागरिकों को भी शासन से ऐसी किसी भी प्रकार की अपेक्षाएं नहीं रखनी चाहिए। अगर शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ अदा करना आपका धार्मिक कर्तव्य है, तो यह आपका निजी मसला है। एक नागरिक होते हुए आपका कर्तव्य है कि आप अपने अधिकारों से किसी को क्षति न पहुंचने दें।

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