‘मेक इन इंडिया‘ जिसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है। वहीं, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश के युवा वर्ग का भात में रहकर देश के विकास में योगदान देना सबसे महत्वपूर्ण है किन्तु देश की IT कंपनी Infosys को प्रतिभाशाली भारतीयों के विदेश जाने से कोई समस्या नहीं है।
Infosys के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने कहा कि “ये लोग भारत के राजदूत हैं।” परंतु, क्या आपको नहीं लगता की भारत के राजदूत बनने के बजाए अगर ये राष्ट्रनिर्माण के अग्रदूत बनते तो अच्छा होता। अगर Infosys जैसी कंपनी के संस्थापक भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं के लिए लड़ने के बजाए यह चाहते हैं कि भारतीय विदेश जाते रहें और अन्य राष्ट्रों के विकास में योगदान दें तो यह वास्तव में एक गंभीर समस्या है।
Infosys के अनुसार विदेश जाने वाले सक्षम भारतीय अच्छे हैं
एन आर नारायणमूर्ति ने एक साक्षात्कार में कहा- “मेरे लिए विदेशों में जाने वाले भारतीय खुद को उन समाजों के आदर्श नागरिक के रूप में स्थापित करते हैं, जिन्हें उन्होंने अपनाया है। ये भारतीय पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं और भारत की ब्रांड छवि को बढ़ाते हैं। ये लोग हमारे राजदूत हैं। इसलिए यह कहने के बजाय कि उन्हें भारत में ही रहना चाहिए, मैं उनकी सराहना करना चाहूंगा। इसमे कुछ भी गलत नहीं है।”
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा जैसे अंग्रेजी बोलने वाले देशों में अधिकांश भारतीय उच्च शिक्षित क्षेत्रों से हैं, जिन्होंने संभवतः प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों (IIT, IIM, IISC, NIT) में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि इनके ऊपर करदाताओं के पैसे यानि आपके ही पैसे खर्च हो रहें है। भारत की सापेक्ष गरीबी को देखते हुए सार्वजनिक संस्थानों को अपने वित्त का प्रबंधन करने के लिए करदाताओं के पैसे का एक अच्छा हिस्सा उनके शिक्षण पर खर्च होता है। उनमें से कुछ भारतीयों ने सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित केंद्रीय विद्यालयों, आर्मी स्कूलों आदि में स्कूली शिक्षा भी प्राप्त की है।
Infosys और TCS जैसी बड़ी बैलेंस शीट और सरकार में बहुत अधिक दबदबे वाली कंपनियों को देश भर से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को काम पर रखने और नई तकनीकों के अनुसंधान और विकास के लिए पैसा खर्च करना चाहिए। हालांकि, ये कंपनियां खुद को बैक-ऑफ़िस की नौकरियों तक सीमित रखती हैं और उनके द्वारा कमर्चारियों को दी जाने वाली औसत वेतन कम से कम पिछले दो दशकों से स्थिर (लगभग 4-5 लाख रुपये प्रति वर्ष) बनी हुई है।
Infosys की घटिया सोच
पिछले एक दशक में, Infosys ने 350 करोड़ रुपये MCA21 से प्राप्त किया है। 1,380 करोड़ रुपये के GSTN पोर्टल और इनकम टैक्स पोर्टल सहित कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट हासिल किए हैं और उसके बावजूद यह परियोजनाएं आज भी समस्याओं का सामना कर रहीं है। इतनी बड़ी राशि के सापेक्ष में इतना घटिया काम और कर्मचारियों को इतना न्यूनतम वेतन Infosys के कथनी और करनी में फर्क दिखाता है। कंपनी अपने मानव संसाधन में बिलकुल निवेश नहीं करती है। वहीं, Infosys के संस्थापक अपने कर्मचारियों को बेहतर सेवाएं देने के लिए अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संघर्ष करने के बजाय अपने मिट्टी से दूर होते भारतीय युवाओं को शुभकामनाएं दे रहे हैं।
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एन आर नारायणमूर्ति ने कहा- “हमारे पास और भी बहुत सारे भारतीय हैं। हमारे अपने युवाओं ने असाधारण काम किया है। देखिए किस तरह के स्टार्टअप सामने आए हैं। इसलिए मैं कुछ सक्षम भारतीयों के विदेश जाने और वहां सफल होने के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करूंगा। वे भारत के लिए बहुत अच्छा कर रहे हैं, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और मैं चाहता हूं कि वे और भी अधिक करें। वे भारत के राजदूत हैं।”
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए करना होगा प्रोत्साहित
इसके अलावा, कंपनी के अनुसंधान विभाग में निवेश करने के बजाय मूर्ति उल्टा भारतीय युवाओं के लिए गलत प्रोत्साहन प्रस्तुत कर रहें है। Infosys द्वारा दी गई घटिया सेवाओं को देखते हुए, कोई यह अनुमान लगा सकता है कि यह कंपनी अनुसंधान और मानव संसाधनों पर कितना खर्च करती है। अनुसंधान को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा- “मैं किसी ऐसे देश को नहीं जानता जिसने अच्छे शोध, आविष्कार और नवाचार के बुनियादी ढांचे के बिना अपने लोगों की समृद्धि और कल्याण में सुधार किया हो। ऐसे समाजों ने अपने बुद्धिजीवियों का सम्मान किया है और उनके फलने-फूलने के लिए अनुकूल माहौल बनाया है। उनके जीवन को शारीरिक रूप से आरामदायक बनाया है। Infosys पुरस्कार हमारे देश के इस महत्वपूर्ण कार्य में एक छोटा सा प्रयास है।”
ऐसे में, यह सही समय है कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियां अनुसंधान में निवेश करना शुरू करें और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा के लिए अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संघर्ष करें। इसके अलावा, रुपये की दरों में कमी को देखते हुए उन्हें भारतीय स्टार्टअप्स में भी निवेश करना चाहिए, जिन्हें अमेरिकी निवेशकों द्वारा उपनिवेश बनाया जा रहा है। Infosys जैसी कंपनियों को भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के वित्तपोषण में सबसे आगे होना चाहिए था किन्तु कंपनी के संस्थापक विदेश जाने वाले “सक्षम भारतीयों” के लिए शुभकामनाएं बांटते फिर रहे हैं।