भारतीय वैज्ञानिक खनिज संपदा के लिए समुद्र की गहराइयों में गोता लगाने को तैयार

मिशन समुद्रयान से भारत होगा विशिष्ट क्लब में शामिल!

मिशन समुद्रयान

प्राकृतिक संसाधनों की बात आते ही हमारा ध्यान जंगल, पहाड़, जमीन के नीचे समेत तमाम चीजों पर जाता है। हम ऐसी बात करते हुए पानी के नीचे मौजूद प्राकृतिक संसाधनों को भूल जाते हैं। वहां अपार संभावनाएं हो सकती हैं। हो सकता है कि वहां पर खनिज का बड़ा भंडार हो। यह भी हो सकता है कि न हो लेकिन तलाश करना आवश्यक है। भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है इसी सम्भावना को तलाशने के लिए अब मिशन समुद्रयान आरंभ किया गया है। 

समुद्रयान को गहरे समुद्र में भेजेगा भारत

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने एलान कर दिया है कि भारत 2024 तक डीप ओशन मिशन लॉन्च करेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि छिपे हुए खनिज संपदा को खोजने के लिए तीन वैज्ञानिकों को समुद्र में 5,000 मीटर (5 किलोमीटर) की गहराई में भेजा जाएगा।

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2023 में जल अंतरिक्ष में मानवयुक्त विहीन मिशन भेजने के बाद भारत अपना पहला मानवयुक्त मिशन 2024 में गहरे समुद्र में भेजेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि तीन वैज्ञानिकों को 5,000 मीटर (5 किलोमीटर) की गहराई पर भेजा जाएगा। रविवार को हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्रयान नाम के इस मिशन को केंद्र ने इसी साल अक्टूबर में लॉन्च किया था। जितेंद्र सिंह ने चेन्नई में लॉन्च इवेंट में कहा, “इस अनोखे जल मिशन के लॉन्च के साथ, भारत अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो जाएगा।”

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समुद्रयान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा शुरू किया गया है। यह डीप ओशन मिशन का हिस्सा होगा, जिसे पांच साल के लिए कुल 4,077 करोड़ रुपये के बजट पर लागू किया जाएगा। आपको बताते चलें कि समुद्रयान परियोजना के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य 6000 का प्रारंभिक डिजाइन पहले ही पूरा हो चुका है। भारत अब समुद्री सम्पदा को भी खोजने के लिए तैयार है। भारत उन्नत तकनीकों के साथ एक नया इतिहास बनाने के लिए तैयार है।

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