Semiconductor उद्योग में भारत को मोदी सरकार करेगी ROCKET लॉन्च

सेमीकंडक्टर उद्योग में उड़ेगा भारत!

सेमीकंडक्टर भारत

आधुनिक युग में सेमीकंडक्टर संजीवनी है। यही कारण है कि सेमीकंडक्टर उद्योग का भविष्य पूरे विश्व में उज्ज्वल दिख रहा है। कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता कि इसका आकार कितना बड़ा हो सकता है। भारत में हर पहलू पर काम होने योग्य प्रतिभा मौजूद है, शायद यही कारण है कि भारत सरकार और टाटा जैसे समूहों के आपसी तालमेल से भारत में इस समय सेमीकंडक्टर क्रांति चल रही है।

अब, मोदी सरकार भारत में आधार स्थापित करने के लिए दुनिया भर के सेमीकंडक्टर निर्माताओं को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज देने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, भारत देश में सेमीकंडक्टर्स का निर्माण शुरू करने के लिए कंपनियों को आकर्षित करने हेतु 10 बिलियन डॉलर से अधिक के प्रोत्साहन पैकेज को अंतिम रूप दे रहा है। माइक्रोचिप के मोर्चे पर जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में सीधे तौर पर उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार सेमीकंडक्टर्स फैब, डिस्प्ले फैब, डिजाइन और पैकेजिंग के घरेलू उत्पादन हेतु छह वर्षों में 760 बिलियन रुपये (10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का प्रोत्साहन देगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही इस पैकेज को मंजूरी के लिए ले जाएगा।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित योजना में डिजाइन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करने के साथ-साथ सेमीकंडक्टर फैब के निर्माण के लिए चुनी गई कंपनियों को पूंजीगत व्यय का 50% तक सरकार द्वारा प्रदान करना शामिल है।

यह पैकेज पिछले साल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमीकंडक्टर्स के निर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों के तहत प्रदान किए गए SOP से अलग होने की संभावना है। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, 10 अरब डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज अगले छह वर्षों में 1.7 ट्रिलियन रुपये (24 अरब अमेरिकी डॉलर) तक के सेमीकंडक्टर्स निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।

सेमीकंडक्टर का वैश्विक बाजार एक ट्रिलियन डॉलर से बड़ा होने की उम्मीद है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SIA) के अनुसार, फिलहाल सेमीकंडक्टर की वैश्विक बिक्री के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 46 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। ये कंपनियां बाजार हिस्सेदारी के क्रम में शीर्ष पांच कंपनियाँ सेमीकंडक्टर उद्योग के कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये पाँच कंपनियाँ हैं इंटेल कॉर्पोरेशन ($ 241.88 बिलियन), सैमसंग कॉर्पोरेशन ($ 221.6 बिलियन), NVIDIA निगम ($152.88 बिलियन), टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स शामिल ($113.83 बिलियन),ब्रॉडकॉम इंक ($ 108.13 बिलियन) हैं। इन पांच कम्पनियों के पास भारत की अर्थव्यवस्था का 45% हिस्सेदारी है। हमारे इतने बड़े देश के सकल घरेलू उत्पाद का 45 प्रतिशत आर्थिक कीमत रखना अपने आप मे बड़ी बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को अच्छे से जानते है और शायद इसीलिए वह इस क्षेत्र में दिख रही अपार संभावनाओं के मद्देनजर क्रांति लाने की योजना बना रहे है।

इसके साथ टाटा समूह द्वारा भारत में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट यूनिट स्थापित करने के लिए $300 मिलियन तक के निवेश की योजना के साथ, सेमीकंडक्टर उद्योग बहुत आवश्यक ध्यान और गति प्राप्त कर रहा है। खासकर चिप की कमी के संकट के बाद जो चरम के दौरान उत्पन्न हुआ था, वहां से आपदा में अवसर का फायदा उठाकर टाटा भी कमर कस चुकी है। अनुसंधान एवं विकास और प्रतिभा आपूर्ति की बात करें तो भारत सेमीकंडक्टर व्यवसाय के लिए नया नहीं है। कंप्यूटिंग उपकरणों के कारोबार में कुछ प्रमुख नाम पहले ही भारतीय प्रतिभा से लाभान्वित हो चुके हैं और ऐसा ही एक व्यवसाय सैमसंग सेमीकंडक्टर इंडिया आर एंड डी (SSIR) है। भारत मे मौजूद स्टार्टअप इकोसिस्टम में तहत, अब भारत इस मोर्चे पर काम कर रहा है और देश में चार से पांच सिलिकॉन वैली बनाने की योजना बना चुका है।

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मोदी ला रहे हैं सेमीकंडक्टर क्रांति

भारत में चल रही डिजिटल क्रांति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी भारी समर्थन है। पिछले महीने ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत पांच क्षेत्रों में महत्वपूर्ण डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है और वह क्षेत्र हैं, सार्वजनिक सूचना अवसंरचना, शासन और वित्तीय समावेशन, स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र, उद्योग और सेवाएं, तथा दूरसंचार और साइबर सुरक्षा।

दिमागी ताकत के अलावा, भारत की बढ़ती उत्पाद और उद्यम की जरूरतें देश को अनुसंधान एवं विकास केंद्र और संभावित रूप से निर्माण और संयोजन संयंत्र स्थापित करने के लिए एक आकर्षक स्थान बना रही हैं। भारत में मोबाइल का बढ़ता उपयोग और उनमें उच्च कम्प्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता अन्य प्रमुख कारण हैं जिसके चलते भारत चिप क्रांति के लिए एक हॉटस्पॉट बन गया है। आज यहां एक एंट्री लेवल स्मार्टफोन को भी बाजार में अलग दिखने के लिए AI की जरूरत होती है। कई औद्योगिक कार्यो के लिए उच्च कम्प्यूटेशनल शक्ति और cutting edge कंप्यूटिंग की आवश्यकता होती है।

भारत स्वायत्त वाहनों के लिए भी एक उच्च संभावित बाजार है जिसके लिए उच्च प्रदर्शन स्थानीय कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है।

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टाटा का जलवा

टाटा समूह भारत में अपनी सेमीकंडक्टर असेंबली इकाई स्थापित करना चाहता है। TFI ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही बताया था कि Tata के इस उद्योग में आने से भारत की सेमीकंडक्टर पर निर्भरता समाप्त होगी। मामले से परिचित दो सूत्रों के अनुसार, टाटा समूह सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण इकाई स्थापित करने के लिए $ 300 मिलियन तक निवेश करने के लिए तीन राज्यों के साथ बातचीत कर रहा है। वर्तमान में यह समूह तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में भूमि की तलाश कर रहा है। इन राज्यों में अगले महीने तक फैक्टरियों के स्थान तय होने की संभावना है।

कहा जा रहा है कि टाटा समूह सेमीकंडक्टर उद्योग में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाएगा। टाटा के OST कारोबार के संभावित ग्राहकों में इंटेल, AMD और STM ECRO इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। टाटा के कारखाने के अगले साल के अंत तक चालू होने की उम्मीद है और इसमें 4,000 श्रमिकों को रोजगार मिल सकता है। यही कारण है कि अब यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में निर्माण के लिए सेमीकंडक्टर फर्मों को आकर्षित करने के लिए भारत बेहतरीन प्रयास कर रहा है।

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