प्रदुषण की समस्या पर निबंध कक्षा 6, 7, 8, 9 और 10

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प्रदुषण की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना – भारत एक देश विशाल जनसंख्या वाला देश है. भारत की इतनी जनसंख्या को देखते हुए, यदि अनुमान लगाया जाये, तो पता चलेगा कि भारत में किस स्तर तक गरीबी, अनपढ़ता, भुखमरी फैली हुई है. जिस देश में जितनी ज्यादा जनसंख्या वह देश उतना ही प्रदूषण फैलाने में आगे होता है जिसके चलते बीमारियाँ या ऐसे रोग फैले है जो की लाइलाज या मृत्यु का कारण तक बने है. प्रस्तुत लेख में हम आपके लिए प्रदुषण की समस्या पर निबंध लेकर आये है जो आपको आपके स्कूल के होमवर्क में सहायता अवश्य करेगा.

हम बचपन से सुनते आ रहे है कि हमारे आस-पास के वातावरण को दूषित करना प्रदुषण कहलाता है. प्रदुषण शब्द आज से नही, प्राचीन समय से चला आ रहा है.जब व्यक्ति अपने खाने की खोज में जगह-जगह भटकता था. अग्नि का अविष्कार करने के बाद ही उसने वातावरण को दूषित करना आरम्भ कर दिया.

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शुरू में मनुष्य का दिमाग इतना विकसित नही हुआ करता था. पर जैसे जैसे उसका विकास हुआ उसने ऐसे कार्य किये जिसे प्रदुषण आरम्भ हुआ. अपनी जरुरतों कि पूर्ति के लिए जंगलों की लकड़ी काटना,अग्नि का उपयोग करना, नदी व अन्य जलस्त्रोतो का गलत तरीके से उपयोग तथा अन्य तरीकों से गंदगी फैला कर वह वातावरण को दूषित करता था.

वहीं आज वर्तमान में मनुष्य कल-कारखानों के उपयोग के लिए लकड़ियों का ऐसा प्रयोग कर रहा है जिसके चलते पूरे-पूरे वनों और जंगलो को उसने नष्ट कर दिया.नदियों में कैमिकल के बहाव से ,नालियों का गंदा पानी नदियों में गिरने से वह दूषित हो रही है.वाहानों से निकलने वाला धुआं वातावरण को काफी नुकसान पंहुचा रहा है.

समय के साथ साथ जल, थल व वायु प्रदुषण निरंतर बढ़ता चला गया है. परन्तु बदलते समय के साथ इन ने भी अपना रूप बदल लिया है.

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प्रदुषण के प्रकार

जल प्रदुषण – शहरीकरण के विकास के चलते गांवो जल के सदुपयोग को ही व्यक्ति भूल गया है. शहरों में पानी का 80 प्रतिशत दुरुपयोग हो रहा है जो बर्बाद होकर नदीयों, नालियों और तालाबो में मिल रहा है.आज भारत के कई शहरों में तो जल संकट पैदा भी हो गया है और यह सब जल की बर्बादी के कारण हुआ है

थल प्रदुषण जिस धरती पर मनुष्य रहता है, उसका महत्व नही समझता. कही भी, कैसी भी गंदगी करना जैसे- कही भी कचरा कर देना, थूकना, पेड़ो की कटाई करना, आधुनिक साधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना . बिना किसी योजना के कार्य करना, जिससे प्रदुषण बढ़ता है.

वायु प्रदुषण – मनुष्य जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ठीक उसी तरह जो ऑक्सीजन का माध्यम है, वायु. इसी वायु को मनुष्य ने आधुनिकीकरण के चलते बहुत दूषित कर दिया है. जिसके चलते वायु प्रदुषण इतना बढ़ गया कि वो ही वायु सास की खतरनाक बीमारी में बदल गई है.

ध्वनि प्रदुषण – सामान्य जीवन में जीने के लिए, बोलना व सुनना बहुत ही आवशयक है . पर स्पीकर की तेज आवाज, वाहानों की आवाज,इस तरह के ध्वनि प्रदूषण से लोगों को शारीरिक हानि पहंचती है.

उपसंहार – प्रदुषण अपने आप में इतनी बड़ी समस्या है जिसको आसानी से खत्म तो नही किया जा सकता. परन्तु सोच को बदलते हुए ,छोटे-छोटे उपाय कर इस समस्या को जरुर खत्म किया जा सकता है.स्वच्छ भारत अभियान इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है.जिसके चलते इंदौर भारत का सबसे स्वच्छ राज्य बनकर उभरा है.वहीं कुछ उपाय करके हम प्रदुषण को फैलने से रोक सकते हैं.

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प्रदुषण की समस्या पर निबंध के प्रमुख बिंदु

1. आधुनिकीकरण के चलते आज ग्लोबलनार्मिंग का खतरा बड़ गया है.इसलिए इस खतरे को कम करने के लिए हमें मोबाइल, कंप्यूटर, आधुनिक मशीनों का प्रयोग कम करना चाहिए.
2. वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए.
3. सौर ऊर्जा से चलने वाले यंत्रो का उपयोग करे.
4. कृषि के लिए जैविक खाद का उपयोग करे.
5. बढ़ रहे प्लास्टिक के उपयोग को रोके और कचरे के रूप मे फेकें जाने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल कर उपयोग करे.
6. अधिक से अधिक पेड़-पोधो लगाये, जल का संग्रह कर उसका सदुपयोग करे.
7. देश से अंधविश्वास और अनपढ़ता को खत्म कर, नदियों मे मृत शरीर और अस्थियो का प्रवाह न करे. आशा करते है कि आपको प्रदुषण की समस्या पर यह निबंध पसंद आया होगा।

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