लेखक और विचारक सैमुअल पी. हंटिंगटन ने अपनी पुस्तक द क्लैश ऑफ़ सिविलाइजेशन एंड द मेकिंग ऑफ़ वर्ल्ड ऑर्डर में कहा था कि हर सभ्यता खुद को दुनिया के केंद्र के रूप में देखती है और अपने इतिहास को मानव इतिहास के के रूप में लिखती है। यहां सभ्यता को पंथ से भी जोड़ा जा सकता है। Crusades इसी वर्चस्व के लिए संघर्ष का उदाहरण हैं। वह युद्ध एक दूसरे के ऊपर यह स्थापित करने के लिए लड़ी गई थी कि आखिर में सर्वोपरि कौन था। आज भी इस्लाम और ईसाई के बीच यह संघर्ष दिखाई दे ही जाता है। इसी तरह का एक उदाहरण क्रिसमस के अवसर पर केरल में देखने को मिला, जहां क्रिसमस मना रहे ईसाइयों पर मुस्लिमों ने हमला कर दिया।
दरअसल, केरल के एर्नाकुलम के पास किझक्कम्बलम में काइटेक्स कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले कामगारों के बीच क्रिसमस की रात में झड़प हो गई। झड़प इतनी भयंकर थी कि भीड़ ने पुलिस पर ही हमला कर दिया। TNN की रिपोर्ट के अनुसार हुआ काइटेक्स कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले नागालैंड और मणिपुर के ईसाई प्रवासी श्रमिक क्रिसमस मना रहे थे। उन्होंने रात को कैरोल गाया और देर रात तक खाते-पीते और नाचते रहें। इसी बीच कुछ मुस्लिम प्रवासियों ने उन पर हमला कर दिया। हिंसा लगभग तीन घंटे तक चली। एर्नाकुलम के इस क्षेत्र में हजारों प्रवासी मजदूर रहते हैं, उनमें से अधिकांश काइटेक्स कपड़ा फैक्ट्री में कार्यरत हैं।
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164 प्रवासी मजदूरों की हुई है गिरफ्तारी
स्थानीय निवासियों के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच कैरोल पढ़ने को लेकर हुआ विवाद रात करीब 11.30 बजे मारपीट में बदल गया। लेबर कैंप के एक सुरक्षाकर्मी ने बीच-बचाव किया, तो उस पर भी हमला किया गया। इस हिंसा में करीब 500 मजदूरों ने घातक हथियारों का इस्तेमाल कर एक पुलिस वाहन में तोड़फोड़ मचाई। पुलिस निरीक्षक वीटी शाजान के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम मौके पर पहुंची, लेकिन भीड़ ने इसी बीच उनकी जीप को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में क्षेत्र निरीक्षक समेत 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए।
TNN की रिपोर्ट के अनुसार थायक्कावु में, एक स्थानीय निवासी सकारिया मोहम्मद ने कहा कि स्थानीय लोगों ने कई बार पुलिस से नशेड़ी मजदूरों के कारण होने वाली परेशानी की शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसका स्पष्ट अर्थ है कि क्रिसमस की रात को ईसाई श्रमिक खाने पीने में व्यस्त थे, लेकिन मुस्लिम प्रवासियों को यह नाच गाना पसंद नहीं आया। इसी बीच काइटेक्स कपड़ा फैक्ट्री के प्रबंध निदेशक साबू जैकब ने मीडिया को बताया कि उनकी कंपनी के 164 प्रवासी मजदूरों को इस घटना के बाद गिरफ्तार किया गया है।
साबू जैकब ने दावा किया है कि जिन श्रमिकों ने पुलिस पर हमला किया, वे संभवत: मादक पदार्थ के प्रभाव में थे, इसलिए नियंत्रण से बाहर चले गए। उन्होंने पुलिस से इस बात की जांच करने की अपील की है कि उस क्षेत्र में मादक पदार्थ कैसे आया? जैकब ने उस क्षेत्र में मादक पदार्थ की तस्करी को चिंता का विषय बताया है।
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पुलिस पर हमले के पीछे रोहिंग्या मुसलमानों का हाथ!
अब यहां सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं केरल के ये प्रवासी मजदूर, जिन्हें ईसाई धर्म के त्योहार क्रिसमस से समस्या होने लगी? पिछले कुछ समय से यह देखा गया है कि केरल के कई क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। यह वर्ष 2018 में आई एक रिपोर्ट से भी यह स्पष्ट हुआ था कि कैसे पूर्वोतर से ट्रेन के माध्यम से रोहिंग्या केरल तक पहुंच रहे हैं। कई नेताओं पर उनकी मदद का आरोप भी लगा था, जो उन्हें वास्तविक कागजात मुहैया कराते थे। वहीं, दूसरी ओर केरल सरकार ने कई बार CAA का विरोध भी किया है, जिससे रोहिंग्या इस क्षेत्र में अपने आप को सुरक्षित भी महसूस करते हैं। मौजूदा समय में ईसाइयों और पुलिस पर हुए हमले के पीछे रोहिंग्या मुसलमानों का हाथ बताया जा रहा है!