सिंधिया ने दिग्विजय को किया चारों खाने चित्त

गलत पंगा ले लिया 'दिग्गी राजा' ने!

सिंधिया दिग्विजय सिंह
“ऐसी वाणी बोलिए कि जमकर झगडा होए,
पर उनसे पंगा न लीजिये जो आपसे तगड़ा होए!”

काश ये बात कभी राघोगढ़ रियासत के पूर्व महाराज, दिग्विजय सिंह ने आत्मसात कर ली होती, तो आज वे अपनी पार्टी के साथ-साथ देशभर के लिए हंसी का पात्र न बनते। दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने के लिए उनके ‘विश्वासघात’ को याद दिलाने का प्रयास किया पर उनको यह आभास नहीं था कि उन्होंने सीधे एक नए नवेले राजनीतिक नेता को नहीं अपितु एक परिपक्व राजनीतिक नेता को घेरने का दुस्साहस किया था।

हाल ही में, कांग्रेस से भाजपा में गए वर्तमान नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिग्विजय सिंह ने अपमानित करने का प्रयास किया कितु सिंधिया भी कहां चुप बैठने वाले थे, उन्होंने बड़ी शालीनता से ऐसा जवाब दिया कि दिग्विजय सिंह के बयान पर अपनी प्रातक्रिया व्यक्त कर दी। अब इस बयान को लेकर दिग्विजय सिंह फिर से विवादों के घेरे में आ गए हैं।

सिंधिया ने दिग्विजय सिंह को लताड़ा

दरअसल, विदिशा में कांग्रेस के रैली के दौरान दिग्विजय सिंह बोल उठे कि, “सिंधिया महाराज ने कांग्रेस से सभी प्रकार के लाभ लिए और फिर भाजपा को ज्वाइन किया. इतिहास कभी गद्दार को माफ़ नहीं करता. यदि सिंधिया महाराज ने धोखा न दिया होता, तो कमलनाथ जी की सरकार यथावत रहती!”आपको बता दें कि जिस दिग्विजय सिंह की चाटुकारिता के कारण कांग्रेस के बड़े से बड़े नेता पार्टी छोड़ने को विवश हो गए, जिस दिग्विजय सिंह के कारण मध्यप्रदेश का सत्यानाश हो गया, चाहे राज्य के रूप में हो या एमपी कांग्रेस ही क्यों न हो, वो अब दूसरों को नैतिकता पर उपदेश दे रहे हैं।

परन्तु ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस बयान के बाद पीछे मुड़ने वालों में से नहीं थे, उन्होंने इस विषय पर बड़ी ही विनम्रता से कहा, “देखिये, मैं उस स्तर तक नहीं गिरना चाहता. जो लोग ओसामा को ‘ओसामा जी’ कहते हों और बात करें कि सरकार आने पर अनुच्छेद 370 को बहाल कर देंगे, तो ऐसे में जनता को तय करना चाहिए कि असल में देशद्रोही कौन है और कौन नहीं है।” यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्पष्ट संकेत दिग्विजय सिंह के उस बयान की ओर था, जब उन्होंने साल 2011 में ओसामा बिन लादेन जैसे दुर्दांत आतंकी को ‘ओसामा जी’ कहकर संबोधित किया था, लेकिन आप उस व्यक्ति से क्या ही नैतिकता की आशा कर पाओगे जो अपने ही पार्टी के संस्थापकों में से एक के जन्मदिन पर कुछ ऐसे चित्र पोस्ट कर रहे हों।

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कभी एक पार्टी में थे दोनों अब एक-दूसरे के धुर विरोधी

स्वयं TFI Post के विश्लेष्णात्मक पोस्ट के अनुसार, “दिग्विजय सिंह द्वारा पंडित नेहरु की ऐसी तस्वीरें शेयर करने भर की देर थी कि लोगों ने उनके मजे लेने शुरु कर दिए। लोगों ने पूछना शुरू किया कि नेहरु सिर्फ घूमते रहते थे या काम भी करते थे? ऐसे नृत्य की बधाई कौन देता है? नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को अपना सोशल मीडिया पोस्ट हटाना पड़ा। लेकिन तब तक लोगों ने उनके पोस्ट के स्क्रीन शॉट ले लिए थे, जो सोशल मीडिया पर वायरल होते दिख रहे हैं।”

कहा जाता है कि राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी नाम की कोई चीज नहीं होती एक समय था जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस का झंडा थामकर पार्टी के भविष्य की योजना बनाते थे वहीं, कुछ समय बाद कांग्रेस की स्थिति देश में बद से बद्तर होती गई जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का साथ थामना पड़ा यहां स्पष्ट शब्दों में कहें तो एक ही बयान से बिना शिष्टाचार की सीमा लांघे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिग्विजय सिंह को ऐसा चित किया कि वे अभी भी बगलें झांकते फिर रहे हैं

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