CDS Gen बिपिन रावत का बेबाक अंदाज़, कश्मीर, सेना, पत्थरबाज़, चीन-पाकिस्तान सब पर खुलकर रखी राय

जैसे राष्ट्रपति Dr. अब्दुल कलाम हैं People’s President वैसे ही CDS बिपिन रावत हैं People’s General

आज पूरा देश बिपिन रावत जी को याद कर रहा है। आज भी उनके मार्गदर्शन और जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसलों का आमजनों द्वारा अवलोकन किया जा रहा है। भारत सेना एक पहले CDS जनरल बहुत मुखर थे लेकिन उनकी इसी आदत के कारण लोगों को यह जानने को मिला कि रावत असल में क्या थे और क्या सोचते थे।

आज हम ऐसे ही टिप्पणियों को देखेंगे और उनके रास्ते CDS रावत को समझने का प्रयत्न करेंगे-

– चीन पर CDS रावत हमेशा रहे मुखर

गलवान के बाद उनसे जब चुनौतियों के बारे में पूछा गया तो CDS रावत ने कहा, “हम किसी भी दुस्साहस के लिए पूरी तरह से तैयार हैं… अगर वे फिर से गालवान जैसी घटना को अंजाम देने की सोचते हैं, तो वे इसका जवाब उसी तरीके से प्राप्त करेंगे, जैसा कि पिछली बार मिला था।” जनरल रावत ने भारत के बीच हिंसक झड़पों का जिक्र करते हुए यह कहा था।

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– भारतीय सैनिकों की सेवाओं पर कही बड़ी थी बात

हम न तो कृतज्ञता चाहते हैं और न ही तालियाँ क्योंकि हम उर्दू की एक पंक्ति में छिपे शाश्वत ज्ञान में दृढ़ता से विश्वास करते हैं और वह पंक्ति है, “खामोशी से बनाते रहो पहचान अपनी, हवा खुद तुम्हारा तराना गाएंगी।” इतना ही नहीं उन्होने सेना के विषय में कहा था कि, “भारतीय सेना नौकरी का जरिया नहीं हैं। ये फोर्स आपसे आपका जीवन मांगती हैं आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर सशक्त होना पड़ता है इसके लिए।”

– प्रॉक्सी वॉर पर थे मुखर

प्रॉक्सी वार पर CDS रावत ने कहा था, “यह एक Proxy War है, और Proxy War एक गंदा युद्ध है। इसे गंदे तरीके से खेला जाता है। समझौते की गुंजाइश तब होती है जब विरोधी आमने-सामने आता है और आपसे लड़ता है।”

– कश्मीरी पत्थरबाजों को लेकर CDS रावत ने सभी उदारवादियों को तमाचा मारा था

उन्होने पत्थरबाज़ों को लेकर कहा था कि, “लोग हम पर पत्थर फेंक रहे हैं। लोग हम पर पेट्रोल बम फेंक रहे हैं। अगर मेरे आदमी मुझसे पूछें, ‘हम क्या करें?’, तो क्या मुझे कहना चाहिए, ‘बस रुको और मरो, मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आऊंगा और मैं आपके शरीर को सम्मान के साथ घर भेजूंगा?”

सेना की भारी मौजूदगी को देखते हुए CDS रावत ने इसकी जरूरत को बताया था और कहा था कि, “विरोधियों को आप से डरना चाहिए और साथ ही साथ आपके लोगों को भी आप से डरना चाहिए। हम एक मिलनसार सेना हैं, लेकिन जब हमें कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए बुलाया जाता है, तो लोगों को हमसे डरना पड़ता है।”

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एक बार तो CDS रावत साहब ने बातचीत से बदलाव की गुंजाइश को ही नकार दिया था। यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीरी लोगों तक पहुंचने के लिए कोई राजनीतिक पहल होनी चाहिए, सेना प्रमुख ने कहा कि यह सरकार को तय करना है। उन्होंने कहा था, ‘‘क्या अतीत में राजनीतिक पहल नहीं हुई? नतीजा क्या रहा? आपके पास कारगिल था?”

उनके एक बयान से तो उदारवादियों और अर्बन नक्सल्स की हालत खराब हो गई थी।  उन्होंने चीन, पाकिस्तान और आंतरिक सुरक्षा खतरों का जिक्र करते हुए कहा था, “भारतीय सेना ढाई मोर्चे पर युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है।”

एक मोर्चा चीन है, एक पाकिस्तान और आधा मोर्चा देश में रहने वाले देशद्रोही।

– सेना में समलैंगिकता की जगह नहीं

सेना में समलैंगिकता को लेकर भी बिपिन रावत ने कहा था कि, “सेना रूढ़िवादी है और व्यभिचार और समलैंगिकता को सेना में अनुमति नहीं दी जाएगी।”

https://twitter.com/TheRathore3/status/1468914026415419395?t=AWtLYsKCghyVjDd3t4sRBA&s=19

– आतंकवादियों को लेकर तो हमारे CDS के तेवर हमेशा सख्त रहे

जानते हैं एक पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर कि वो कश्मीर में आतंकियों से कैसे लड़ रहे हैं CDS रावत ने कहा था कि “आतंकवादी आ रहे हैं, हम उन्हें receive कर रहे हैं, और उन्हें ढाई फूट नीचे धरती में गाड़ रहे हैं।”

 

वो लोग जो शैक्षणिक संस्थानों में बैठकर जननेता बनने की कोशिश करते रहते हैं। उनको निशाना बनाते हुए CDS रावत ने बिपिन रावत ने कहा था कि, “नेता वे नहीं हैं जो लोगों को अनुचित दिशा में ले जाते हैं। जैसा कि हम बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों, छात्रों में देख रहे हैं, जिस तरह से वे शहरों और कस्बों में आगजनी और हिंसा करने के लिए जनता और भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं। यह नेतृत्व नहीं है। ”

– खुद अपने ही सैनिकों के पाखंड पर भी वह प्रश्नचिन्ह उठा चुके हैं

दिसंबर 2019 में विकलांगता पेंशन पर बिपिन रावत के बयान ने सुर्खियां बटोरीं थी। उन्होने कहा था कि “अगर कोई सैनिक वास्तव में विकलांग है, तो हम उन पर विशेष ध्यान देंगे और उनकी पूरी मदद करेंगे, यहां तक ​​कि आर्थिक रूप से भी। लेकिन, जो लोग खुद को ‘विकलांग’ कहते हैं और अपनी विकलांगता को पैसा कमाने का एक तरीका बनाते हैं, मैं आज उन्हें चेतावनी दे रहा हूं, कि बेहतर होगा कि आप अपने तरीके सुधार लें अन्यथा कुछ दिनों में आपको सेना मुख्यालय से विशेष निर्देश प्राप्त हो सकते हैं, जो आपके लिए अच्छी खबर नहीं होगी।”

अल्टीमेट ठग लाइफ मोनेन्ट तो तब आया जब 2017 में, जनरल बिपिन रावत ने भी कश्मीर में पथराव करने वालों पर एक बयान दिया, जिससे विवाद पैदा हो गया था। रावत ने कहा था, “काश ये लोग पथराव करने के बजाय हम पर गोलियां चलाते… तो मुझे ज्यादा खुशी होती, फिर मैं वह कर पाता जो मैं करना चाहता हूं।” CDS रावत ने कहा था, “हम एक मिलनसार सेना हैं लेकिन जब हमें कानून-व्यवस्था बनाने के लिए बुलाया जाता है तो लोगों को हमसे डरना चाहिए।”

कभी खट्टे, कभी मीठे, कभी कड़वे, रावत साहब जबतक रहे, अपने विचारों को लेकर मुखर रहे। कोई छल, कोई पाखंड का स्थान उनके जीवन में नहीं थी।

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