दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले भारतीय टीम में कई बदलाव हुए हैं। वनडे टीम का कप्तान और टेस्ट टीम का उपकप्तान बदला गया है। इस बदलाव को लेकर कई तरह की खबरें सामने आई और कई तरह के विवाद के दावे भी किए गए। विराट कोहली ने टी-20 की कप्तानी अपनी मर्जी से छोड़ी थी, लेकिन वनडे की कप्तानी उनसे छीनी गई है। वहीं, रहाणे की जगह रोहित को टेस्ट टीम का उपकप्तान भी बनाया गया।
हम सभी इस बात से भलिभांति परिचित हैं कि कैसे विराट कोहली का क्रिकेट पर कम और Wokeism पर अधिक ज्ञान देने के कारण उनका टी-20 के बाद वनडे टीम की कप्तानी से पत्ता कटना तय था, परंतु कोहली की हठधर्मिता के कारण ये प्रक्रिया अधिक जटिल एवं अपमानजनक हो गई। एक प्रकार से विराट कोहली को लगभग धक्के मारकर कप्तान के पद से हटाया गया और रोहित शर्मा को आगामी दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए वनडे टीम नया कप्तान बनाया गया है।
परन्तु, जिस प्रकार से मीडिया में एक के बाद कई रिपोर्ट्स सामने आए हैं, उसे लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर टीम इंडिया और विराट कोहली में किस बात की लड़ाई है? रोहित शर्मा कथित तौर पर विराट कोहली के अंतर्गत टेस्ट सीरीज़ खेलने को तैयार नही हैं, जबकि विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया टूर की भांति बचकाने बहाने बनाकर वनडे सीरीज़ में खेलने से कथित तौर पर मना किया, पर विवाद बढ़ने पर तुरंत उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या वे दोनों टीम से बढ़कर हैं? अगर नहीं, तो फिर ऐसी स्थिति उत्तपन्न क्यों हुई है?
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रोहित के चोट को लेकर भी उठ रहे हैं सवाल
न तो विराट कोहली, कपिल देव जितने विलक्षण प्रतिभा वाले क्रिकेटर हैं और न ही उन्होंने देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की है, जो उनके पीछे कथित ‘मुंबई माफिया’ हाथ धोकर पड़ जाएगी! ये बात अलग है कि उन्होंने बल्ले से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और कई बार मैच जिताऊं पारियां भी खेली है। वहीं, दूसरी ओर जिस प्रकार से रोहित शर्मा ने कथित तौर पर घायल होने की रिपोर्ट देकर दक्षिण अफ्रीका टेस्ट टूर से नाम पीछे खींचा, वो भी एक अच्छे कप्तान की निशानी नहीं है।
रोहित की चोट को लेकर पहले खबरें आई कि उनके हाथ में गेंद लगी है, लेकिन टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले वो फिट हो जाएंगे। इसके बाद यह बताया गया कि रोहित शर्मा के मांसपेशियों में खिंचाव है और प्रियांक पंचाल को टीम में कवर के तौर पर शामिल किया गया है।
स्वयं रोहित शर्मा के अनुसार,“हो सकता है आप काफी रन बनायें, बहुत शतक ठोंके, पर वो एक चैम्पियनशिप [विश्वकप या कोई अन्य बड़ा टूर्नामेंट] जीतने का अनुभव ही कुछ और है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम टीम के लिए, देश के लिए खेलते हैं, व्यक्तिगत रूप से नहीं। जो एक टीम के रूप में आप प्राप्त करते हैं, वह मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण है। हमारे समक्ष बहुत सारे विश्व कप आने वाले हैं और इन्हें जीतने के लिए हमें एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा!”
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भारतीय क्रिकेट के लिए नहीं है ये शुभ संकेत
बताते चलें कि भारतीय टीम की वनडे कप्तानी को लेकर रोहित और विराट के बीच अच्छी प्रतिस्पर्धा हुई थी। विराट वनडे टीम की कप्तानी नहीं छोड़ना चाहते थे, लेकिन बीसीसीआई के अधिकारी वनडे और टी-20 की कप्तानी एक ही खिलाड़ी को देना चाहते थे। इसी वजह से विराट की जगह रोहित को वनडे का कप्तान बनाया गया। इन दोनों खिलाड़ियों के बीच अनबन की खबरें लंबे समय से आ रही थी। हालांकि, कप्तान बनने के बाद रोहित ने विराट की खूब तारीफ की और गांगुली ने भी इस मामले पर सफाई दी। दूसरी तरफ विराट ने रोहित को सार्वजनिक तौर पर वनडे का कप्तान बनने की बधाई तक नहीं दी, जिसे लेकर भी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं।
अगर वर्तमान स्थिति को अलग रखें, तो दोनों ही खिलाड़ी कभी देश के लिए बड़े-बड़े टूर्नामेंट जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यदि रोहित शर्मा ने टी-20 विश्व कप जिताया, तो विराट ने 2011 का वनडे विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। यदि रोहित शर्मा के कप्तानी में टीम अंडर-19 के फ़ाइनल में पहुंची, तो विराट ने अगले ही संस्करण में टीम को चैम्पियनशिप भी दिलाई। ऐसे में अब जब राष्ट्रीय टीम में ऐसी गुटबाजी की खबर सामने आये, तो ये अच्छी बात नहीं है और न ही ये भारतीय क्रिकेट के लिए शुभ संकेत है!