केजरीवाल सरकार बस 3 चीजों से चलती है, ‘विज्ञापन, विज्ञापन और विज्ञापन’

हर साल 50% तक बढ़ रहा है केजरीवाल सरकार का विज्ञापनों पर खर्च!

दिल्ली में जब से केजरीवाल की सरकार बनी है तबसे उनपर विज्ञापनों पर अधिक खर्च करने का आरोप लगाया जाता है। प्रचारतंत्र से केजरीवाल सरकार अपनी छवि चमकाने में करोड़ो रूपए फूंक देती है। हालिया खबरों के मुताबिक दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने महामारी वर्ष 2020-21 के दौरान टीवी चैनलों, समाचार पत्रों और रेडियो में विज्ञापन पर ही 293 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। यह 2019-20 में खर्च किए गए खर्च से 93.2 करोड़ रुपये अधिक है। ये रिपोर्ट दिखाती है कि केजरीवाल सरकार की नीयत केवल और केवल प्रचार की रही है, जबकि जनहित से इनका कोई सरोकार नहीं है।

आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद से विज्ञापनों पर लगभग 805 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह वृद्धि हर साल 50% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि में तब्दील हो जाती है, जो 2012-13 में विज्ञापनों पर कांग्रेस द्वारा खर्च किए गए खर्च से 26 गुना अधिक है।

हालांकि, ये संख्या दिल्ली सरकार ने अपने बजट दस्तावेजों में जो उल्लेख की है, उससे काफी कम है। बजट दस्तावेजों के मुताबिक दिल्ली सरकार ने कहा है कि 2020-21 में सूचना और प्रचार के लिए संशोधित अनुमान 355.33 करोड़ रुपये था। इसका अंतिम आंकड़ा अब अगले साल ही पता चलेगा।

बजट दस्तावेज में दिल्ली सरकार का कहना है कि 2015-16 में उन्होंने 85.92 करोड़ रुपये खर्च किए। यह इस बात को रेखांकित करता है कि उन्होंने अपने आरटीआई जवाब में आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। 2016-17 में, वास्तविक खर्च 71.65 करोड़ रुपये था, 2017-18 में यह 122.23 करोड़ रुपये था, 2018-19 में यह 50.88 रुपये था और 2019-20 में यह 204.17 रुपये था।

आपको बतादें कि इस मामले को लेकर अब कांग्रेस पार्टी भी केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के नेता हारुन यूसुफ़ ने विज्ञापन के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेरते हुए ट्वीट करते हुए लिखा ‘2012-13 (वित्त वर्ष 13) में विज्ञापन खर्च में 2,500% की वृद्धि हुई है, जब शीला जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों पर केवल 11.18 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे पर वहीं केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद से विज्ञापनों पर लगभग 805 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है वहीं GEETV नाम के एक ट्वीटर यूजर ने लिखा ‘केजरीवाल दिल्ली के करदाताओं के पैसे को दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी के प्रचार के लिए पूरे पेज पर विज्ञापनों के जरिए पैसे उड़ा रहे हैं ,जिसे भ्रस्टाचार हीं कहा जा सकता है।

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आज के डिजिटल दौर में कहा जाता है कि लोगों को अपने कार्यों को बेहतरीन रखने के साथ ही प्रचार-प्रसार का विशेष ध्यान रखना होता है। केजरीवाल की विज्ञापन पर अधिक खर्च को लेकर 2021 की शुरुआत में, राष्ट्रीय राजधानी में दूसरी कोविड -19 लहर के दौरान, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने दिल्ली सरकार पर प्रचार के लिए करोड़ों खर्च करने का आरोप लगाया था, उनका आरोप था कि जितना पैसा विज्ञापन में केजरीवाल सरकार खर्च कर रही है, उस पैसे से दिल्ली के लिए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने और भंडारण क्षमता बढ़ाया जा सकता था।

केजरीवाल सरकार की विज्ञापन नीति की अब खुल कर आलोचना होने लगी है। केजरीवाल के विज्ञापन पर खर्च का काला- चिटठा सामने आने के बाद से अब दिल्ली और देश की जनता समझ गई है कि पैसे से केजरीवाल सरकार ने जो अपना भौकाल बनाया था, वो दरअसल खोखला था।

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