देश बाहरी दुश्मनों से नहीं त्रस्त है बल्कि अपने देश में बैठे उन लोगों या संस्था से त्रस्त है जो राष्ट्र को नीचा दिखाने का एक मौका नहीं छोड़ते हैं। ऐसे ही संस्थाओं में से एक है द हिंदू अपने एजेंदेवाडी न्यूज के लिए प्रसिद्ध द हिंदू ने तो इस बार हद ही पर कर दी। पहले तो इस मीडिया हाउस ने देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का अपमान किया और फिर इसने बहाना भी बनाना आरंभ कर दिया। पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष के रैंक को बड़े-बड़े अक्षरों के साथ हेडलाइन में लिखने वाले द हिंदू ने जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देहांत के बाद बड़े ही अपमानजनक तरीके से बिना रैंक लिखे हेडलाइन लिख दी कि ‘रावत सहित 11 की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत।’
दरअसल, 9 दिसंबर को द हिंदू के पहले पन्ने पर एक हेडलाइन छपी थी। इसमें कहा गया था, “हेलिकॉप्टर दुर्घटना में रावत, 12 अन्य लोग T.N. में मारे गए।” इसने तुरंत एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया- क्या एक दैनिक समाचार पत्र को देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी को सिर्फ उनके नाम से संबोधित करना चाहिए था, वह भी बिना उनकी रैंक- “जनरल” के?
Received from an Indian Air Force veteran fighter pilot on WhatsApp. pic.twitter.com/H4h3JxwFTm
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) December 16, 2021
जब लोगों ने सोशल मीडिया पर द हिंदू के संपादकों को टैग कर सवाल करना आरंभ किया तब अगले दिन इस मीडिया हाउस ने एक नोट प्रकाशित किया कि ये हेडलाइन में रैंक या सम्मान लिखने से बचते हैं। यानी आप इस वामपंथी मानसिकता को समझिए कि कैसे द हिंदू के संपादक ने ‘पहले चोरी फिर सीनाजोरी’ की कहावत को चरितार्थ किया।
इन्होंने इस अपमान को सही भी ठहराने का प्रयास किया और नोट में लिखा कि, “एक सामान्य नियम के रूप में, द हिंदू खबरों में सम्मान और पद या पदनाम का उपयोग करने से बचता है। फिर से, एक सामान्य नियम के रूप में, द हिंदू स्टाइलबुक सुर्खियों में केवल सामान्य रूप से मान्यता प्राप्त संक्षिप्ताक्षरों या संक्षिप्ताक्षरों के उपयोग की अनुमति देता है।” साथ ही यह लिखा कि उनकी 9 दिसंबर 2021 को CDS Gen. की मृत्यु पर छपी रिपोर्ट के शीर्षक में जनरल रावत को केवल रावत लिख संबोधित करने का उद्देश उनका अनादर करना नहीं था।
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अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या द हिंदू ऐसे सभी मौकों पर इस नियम को मानता है या सिर्फ बहाना बना कर प्रकाशित हेडलाइन को सही ठहरा रहा है?
इसका उत्तर द हिंदू की ही कई पुरानी हेडलाइन में मिल जाएगा। हम आपका ध्यान द हिंदू की सुर्खियों में से एक की ओर आकर्षित करते हैं। अगस्त 2020 को, अखबार ने शीर्षक के साथ एक वेब रिपोर्ट प्रकाशित की, “जनरल बाजवा कश्मीर पर विवाद के बाद रियाद का दौरा करेंगे।” यानी पाकिस्तानी सेनाप्रमुख के लिए इन्होने अपने शीर्षक में रैंक लगा दी।
इस बारे में पत्रकार आदित्य राज कौल ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि, “हिंदू के वरिष्ठ संपादक ने मुझे बताया कि उपरोक्त स्क्रीनशॉट एक अखबार की हेडलाइन की तुलना ऑनलाइन/वेब हेडलाइन से कर रहा है। वेब में अखबार से ज्यादा जगह है। मैं सहमत हूं। फिर भी मुझे लगता है कि अगर अखबार की कोई नीति है तो प्रिंट में अखबार के लिए और उनके वेब के लिए भी यह वही होनी चाहिए। “
The Hindu senior editor tells me that the above screenshot is comparing a newspaper headline with an online/web headline. Web has more space than a newspaper. I agree. Yet I feel if the newspaper has a policy it should be same for newspaper in print and for their web as well. 🙏
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) December 16, 2021
उन्होंने द हिंदू की ही एक प्रिंट रिपोर्ट की तस्वीर शेयर की जिसमें CDS को जनरल रावत लिख गया था। आदित्य राज ने ट्वीट किया, “एक वरिष्ठ पत्रकार मित्र ने जनरल बिपिन रावत पर एक और द हिंदू का शीर्षक शेयर किया। बस इसे यहां छोड़ रहा हूं। यह शीर्षक दिलचस्प रूप से सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करने के बाद अखबार द्वारा जारी स्पष्टीकरण के विपरीत है।”
A senior journalist friend shared another recent The Hindu headline on General Bipin Rawat. Just leaving it here. This headline interestingly contradicts the clarification issued by the newspaper after criticism faced on social media. pic.twitter.com/LGeOuv7JHQ
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) December 16, 2021
उनके कहने का अर्थ स्पष्ट था कि आप ही स्वयं देख लीजिए कि कैसे द हिंदू अपनी ही एक पुरानी रिपोर्ट में CDS को जनरल रावत लिखा है वह भी प्रिंट माध्यम में, ना कि डिजिटल पोर्टल पर और उनकी की मृत्यु पर सीडीएस को बिना किसी रैंक के mention किया गया है।
एक ओर द हिंदू ने पाकिस्तानी सेनाप्रमुख बजवा के सम्मान में उसे अपनी हेडलाइन में जनरल बाजवा लिखा है और जनरल रावत को ही पुरानी रिपोर्ट में जनरल रावत लिख है लेकिन CDS की मौत की खबर आई तो इसने केवल नाम का अंतिम भाग यानी टाइटल लिखा जैसे वो कोई सामान्य से व्यक्ति हैं।
इंटरनेट पर लोगों द्वारा इसे खूब शेयर किया और द हिंदू को लताड़ लगाई गई। उन्होंने द हिंदू पर शहीद जनरल का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अखबार ने जनरल रावत को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। हालांकि, आलोचना पर ध्यान देने के बजाय, द हिंदू ने अपनी गलती को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और रहस्यमय नियमों और प्रथाओं का हवाला देते हुए कहा कि सीडीएस जनरल की मौत पर रिपोर्ट में कोई त्रुटि नहीं थी।
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भले ही हम इस स्पष्टीकरण पर जाएं कि वेब संस्करण और मुद्रित संस्करण की अलग-अलग नीतियां हैं, लेकिन दैनिक समाचार पत्र ने अपने ही पहले के शीर्षक में “जनरल रावत” का उपयोग क्यों किया? और यह रिपोर्ट करते हुए कि सीडीएस का निधन हो गया था, फिर से रैंक क्यों नहीं लिखी जा सकती थी
द हिंदू की मानसिकता एक बार फिर से उजागर हो चुकी है। बार-बार इस तरह की दिवालिया मानसिकता का प्रदर्शन कर द हिंदू एक प्रतिष्ठित अखबार के रूप के अपने स्टेटस को खो चुका है।