पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों अपनी राजनीति को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की कोशिश कर रही हैं। ममता बनर्जी अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को बढ़ाने के लिए दुसरे अन्य विपक्षी पार्टियों से मुलाकात कर रही हैं। ममता दिल्ली की गद्दी पर बैठने के लिए इतनी लालायित हो गई हैं कि वो अपनी राजनैतिक मर्यादा भूल कर कुछ लोगों के खिलाफ अपमानजनक बातें बोलने से नहीं कतरा रही हैं।
हाल ही में, ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से TMC सांसद महुआ मोइत्रा को फटकार लगाई, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर महुआ मोइत्रा की बहुत खिचाई की गई। तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गुरुवार को कृष्णानगर में एक जनसभा में अपनी पार्टी के सांसद महुआ मोइत्रा की खिंचाई की। साथ ही उन्होंने नदिया जिले में पार्टी के भीतर बढ़ती गुटबाजी पर नाराजगी व्यक्त की।
महुआ मोइत्रा के बढ़ते कद से परेशान है ममता
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा एक प्रशासनिक बैठक आयोजित की गयी थी, जिसमें ममता बनर्जी ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि “महुआ, मैं यहां एक स्पष्ट संदेश देती हूं। मुझे यह देखने की जरूरत नहीं है कि कौन किसके खिलाफ है, लेकिन जब चुनाव होगा, तो पार्टी तय करेगी कि कौन लड़ेगा और कौन नहीं। इसलिए, यहां कोई असहमति नहीं होनी चाहिए।” ममता बनर्जी ने महुआ को फटकार लगते हुए आगे कहा कि “यह कल्पना करने का कोई कारण नहीं है कि वही व्यक्ति हमेशा के लिए एक ही पद पर रहेगा।” वहीं, मोइत्रा जिन्हें हाल ही में पार्टी के नदिया जिला अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था, ममता बनर्जी के ठीक पीछे मंच पर बैठी थीं।
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बता दें कि महुआ मोइत्रा पर ममता बनर्जी की टिप्पणी मोइत्रा के प्रतिनिधित्व वाले लोकसभा क्षेत्र कृष्णानगर में पार्टी में आंतरिक संघर्ष की खबरों के बाद आई है। कथित तौर पर, महुआ मोइत्रा का पार्टी के अन्य नेताओं जैसे मंत्री उज्ज्वल विश्वास, नदिया उत्तर जिला अध्यक्ष जयंत साहा, पार्टी नेता नरेश साहा आदि के साथ संघर्ष है। महुआ मोइत्रा के ऊपर आरोप लगाया गया है कि वो जिले में पार्टी के अन्य नेताओं से कोई संपर्क नहीं रखती हैं और वह अपने दम पर काम करती हैं। वहीं, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि “2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मोइत्रा को पूरे नदिया जिले की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद से समस्या शुरू हुई है।”
ममता को अब डर सताने लगा है!
बताते चलें कि वास्तव में महुआ मोइत्रा की क्षमताओं और उनकी बढ़ती रानजीतिक वर्चस्वता से तृणमूल कांग्रेस और ममता को ईर्ष्या होने लगी है क्योंकि वह एक बहुत ही शिक्षित और प्रतिभाशाली सांसद हैं। महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल में बचे कुछ शिक्षित, गुणवत्ता वाले राजनेताओं में से एक हैं। ममता यह नहीं चाहती कि महुआ की लोकप्रियता अभिषेक बनर्जी (ममता के भतीजे) से अधिक हो, जो ममता के बाद तृणमूल का उत्तराधिकारी बन सकते हैं। महुआ TMC पार्टी के भीतर सबसे मुखर महिला रही हैं। उनके ऊपर हुए सार्वजनिक रूप से अपमान के बाद वो स्तब्ध दिख रही हैं। ऐसे में, यह कहना उचित होगा कि ममता को यह डर सताने लगा है कि महुआ मोइत्रा किसी दिन अभिषेक बनर्जी के लिए खतरा हो सकती हैं। इस कारण ममता उनकी पर कतरने की कोशिश कर रही हैं!