बख्शी, पनाग और अनुमा आचार्य के ट्वीट ने Veterans के एक खेमे के भीतर कुंठा को उजागर किया

परायों से क्या बैर, घाव तो अपनों के अधिक चुभे!

सेवानिवृत्त अधिकारी

देश आज अपने वीर जवानों के शहादत पर मर्माहत है। कल बुधवार के दिन वो मनहूस खबर आई जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन सिंह रावत( 63) उनकी पत्नी और 11 अन्य वरिष्ठ सशस्त्र बलों के अधिकारियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। यह दुर्घटना रूसी निर्मित Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर के सुलूर, कोयंबटूर में वायु सेना बेस से नीलगिरी हिल्स में वेलिंगटन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद हुई थी। इस घटना के तुरंत बाद ही एक खेमा ऐसा भी था, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खुशियां मना रहा था। CDS की मौत का जश्न मनाने वाले खालिस्तानी, इस्लामवादियों और सीमा पार कट्टरपंथियों से एक उत्साही प्रतिक्रिया सामने आने के बाद सशस्त्र बलों के सदस्यों और बिपिन रावत जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के प्रति उनकी शत्रुता भी खुल कर सामने आ गई। इन्हीं लोगों में कुछ सेना के ही सेवानिवृत्त पूर्व अधिकारी थे जिन्होंने अपनी कुंठा को सोशल मीडिया के सहारे उजागर किया।

इनमें से कर्नल बलजीत बख्शी प्रमुख थे। इस सेवानिवृत्त अधिकारी ने ट्विटर का सहारा लेते हुए CDS के दुर्घटना की खबर पर खुशी जताई। हालांकि, उन्होंने ट्वीट को डिलीट कर दिया लेकिन अब भी लोगों के पास उनके स्क्रीनशॉट मौजूद हैं। बख्शी ने बिना नाम लिए सीडीएस पर निशाना साधते हुए लिखा कि “लोगों से निपटने का कर्म का अपना तरीका है।”

https://twitter.com/aimingforlight/status/1468805109370916864

यही नहीं भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त कर्नल अजय शुक्ला, जो नियमित रूप से बिजनेस स्टैंडर्ड में रक्षा विशेषज्ञ के तौर पर प्रोपेगेंडा कॉलम लिखते हैं, उन्होंने भी अपनी मानसिक कुंठा को उजागर किया। भारतीय वायु सेना द्वारा रावत जी की मृत्यु की आधिकारिक घोषणा के कुछ ही घंटों बाद और जब देश शोक में था, शुक्ला ने ट्विटर पर एक केक की तीन तस्वीरें पोस्ट की, जिसका Caption लिखा था “यम्मी”।

यह समझ में आता है कि लोगों का अपना जीवन होता है, लेकिन सेना के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी की मृत्यु और राष्ट्रीय शोक के समय ऐसी तस्वीरें लगाना न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि अजय में सहानुभूति और परिपक्वता की कमी तथा जनरल बिपिन रावत के प्रति कुंठा दिखाई पड़ती है। 

अजय शुक्ला को उनकी वामपंथी निष्ठा के लिए जाना जाता है और उनके लेखन इस तथ्य को और साबित करते हैं। CDS की मौत का जश्न मनाना इसका एक विस्तार मात्र था।

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कर्नल बलजीत बख्शी के समान, लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल दुहून नामक एक अन्य वरिष्ठ सेना अधिकारी, ने भी कुछ इसी तरह की अपनी मानसिकता जाहिर की। समान वर्दी पहनने के बावजूद उन्होंने उनका नाम लिए बिना सीडीएस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “कर्म हमेशा पलट कर वापस आता हैं।”

इसके अलावा विंग कमांडर अनुमा आचार्य नाम की एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी ने ट्विटर पर दिवंगत CDS के प्रति अपनी नफरत को फिर से दर्शाया। उन्होंने ट्वीट किया, “रोल ख़तम, खेल ख़तम, जय हिंद” (रोल ओवर, गेम ओवर, जय हिंद)।

https://twitter.com/aimingforlight/status/1468805109370916864

अनुमा की टाइमलाइन पर एक नज़र डालने से यह पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए नफरत इस हद तक बढ़ी हुई है कि वह अपनी विचारधारा के विकृत एजेंडे से देश के लिए अच्छे-बुरे के बीच मुश्किल से अंतर नहीं कर पा रहीं हैं। 

वहीं लेफ्टिनेंट जनरल पनाग ने आधिकारिक पुष्टि से बहुत पहले जनरल बिपिन रावत की मृत्यु की घोषणा की थी। जब पूरा देश स्वर्गीय श्री बिपिन रावत जी की सलामती की दुआ कर रहा था, वहीं लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग  समाचार बुलेटिन बनने के लिए गैर-जिम्मेदाराना ट्वीट कर एक घंटे पहले ही उन्हें मृत घोषित कर चुके थे।

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दुर्घटना के बारे में मीडिया में पहली रिपोर्ट दोपहर करीब 12:20 बजे सामने आई। हालांकि, दुर्घटना में विभिन्न लोगों के मरने की खबरें प्रसारित हो रही थीं, फिर भी यह पता नहीं चल पाया था कि जनरल बिपिन रावत बच गए थे या नहीं। देर शाम तक भी किसी आधिकारिक बुलेटिन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी। परंतु एचएस पनाग ने लाइमलाइट ले लिए असंवेदनशील ट्वीट किया। दोपहर 2:52 बजे उन्होंने एक गैर-जिम्मेदाराना ट्वीट करते हुए दावा किया कि जनरल रावत की दुर्घटना में मौत हो गई थी।

https://twitter.com/rwac48/status/1468511205538996228

तीनों भारतीय सशस्त्र बल बारीकी से जुड़ी हुई इकाइयां हैं। सैनिक एक दूसरे को भाई मानते हैं, कनिष्ठ अपने वरिष्ठों को अत्यधिक सम्मान देते हैं। पद-सम्मान का बारीकी से पालन किया जाता है। हालाँकि, भले ही किसी का CDS के खिलाफ व्यक्तिगत एजेंडा हो या वह उनकी विचारधारा से सहमत न हो, पर शोक मनाने वालों के विश्वास का जश्न मनाना और उनका मज़ाक उड़ाना इन अधिकारियों के मन में वर्षों से सड़ाँध मारती कुंठा को दिखाता है।

सेना आपको कुछ खास हुनर ​​सीखा सकती है, लेकिन इंसानियत वह है जिसके साथ इंसान पैदा होता है। मानवता के दीप को सर्वत्र प्रज्ज्वलित रखना ही मनुष्य का एक अच्छा स्वभाव है। करोड़ों को रुलाने वाले व्यक्ति की मृत्यु पर उपहास उड़ाकर ऐसे व्यक्तियों ने शायद अपने अंदर मानवता के प्रकाश को बुझा दिया है। उन्हें लगता है कि वे भारत में भाईचारे की भावना से ऊपर उठ गए हैं।

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देश के सच्चे सपूत बिपिन रावत के मौत पर भी इस तरह की ओछी टिपण्णी करने वाले लोगों के ऊपर तरस आती है। जिन बहादुर फौजियों के कुर्बानियों के बलबूते ये लोग अमन चैन की सांस ले पा रहे हैं, उनकी मौत का भी मज़ाक बनाना यह साबित करता है कि इनके खून में वतनपरस्ती जैसी कोई चीज़ मौजूद नहीं है। देश ने एक बिपिन रावत और उनके जैसे सैनिकों को ही नहीं खोया, अपितु उनकी शहादत ने देश का एक सच्चे सपूत को खोया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है।

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