ट्विटर के अजब विचार – तालिबान को सत्कार और बांग्लादेशी हिन्दुओं को दुत्कार

जैक डॉर्सी की आत्मा अभी भी भटकती प्रतीत होवे!

Stories of Bengali Hindus

किसी और के लिए उनका एजेंडा मायने रखे न रखे, परन्तु ट्विटर अपने के लिए उनका एजेंडा सर्वोपरि रखता है। उनके लिए तालिबानी, पाकिस्तानी अलगाववादी महत्वपूर्ण है, परन्तु राष्ट्रवाद, आतंकवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले किसी महामारी से कम खतरनाक नहीं है। ये हम नहीं कह रहे, परन्तु जिस प्रकार से इन्होंने एक हैंडल को सस्पेंड किया है, उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है। हाल ही में ट्विटर पर एक हैंडल ‘Stories of Bengali Hindus’ को अचानक से निलंबित कर दिया गया था।

Stories of Bengali Hindus संचालित करने वाले एक व्यक्ति, डॉक्टर संदीप दास ने बताया कि उनके अकाउंट को ‘Ban Evasion’ के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

यहाँ यह आवश्यक है कि आखिर यह ‘Stories of Bengali Hindus’ था क्या, और इसे आखिर निलंबित क्यों किया गया? ये एक विशेष ट्विटर अकाउंट, जिसका उद्देश्य था बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों को सबके समक्ष प्रस्तुत करना। इनके स्वयं के ट्वीट के अनुसार, “हमारा अकाउंट वह मंच था जहाँ पूर्वी बंगाल [बांग्लादेश] से लोग आकर अपनी कथाएँ बताते थे और अपने दुःख-दर्द साझा करते थे, परन्तु इस अकाउंट को निलंबित कर ट्विटर ने हमारी कथाओं और हमारी आवाज़ों को कुचलने का प्रयास किया है।” 

फिलहाल के लिए डॉक्टर संदीप दास ने इस अत्याचारी निर्णय के विरुद्ध अपील करने और कानूनी विकल्प लेने का निर्णय किया है, परन्तु आपको क्या प्रतीत होता है, ऐसा पहली बार हुआ है?

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जब अक्टूबर के माह में नवरात्रि के समय कट्टरपंथी मुसलमानों ने झूठी अफवाहें फैलाकर हिन्दुओं का नरसंहार प्रारंभ किया था, तो बांग्लादेश के हिन्दू ट्विटर पर दुनिया भर के सभी लोगों तक ‘बांग्लादेश हिंदू परिषद‘ और ‘इस्कॉन बांग्लादेश‘ के माध्यम से अपनी सच्चाई फैलाना चाहते थे, लेकिन इन दोनों समूहों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को अकारण ही निलंबित कर दिया गया था।

TFI के विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “बांग्लादेश के लिए भी माना जाता था कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स से सच बाहर होगा क्योंकि हर आदमी कैमरे और इंटरनेट के साथ पत्रकार है, लेकिन ट्विटर को ऐसा करना रास नहीं आया। ट्विटर सच्चाई में बाधक बनता जा रहा है क्योंकि यह अपने प्लेटफॉर्म के स्थान को सीमित कर रहा है, जिसका उपयोग बांग्लादेश के बहुत से हिंदुओं द्वारा किया गया था। ट्विटर का उपयोग बांग्लादेश के बहुत से हिंदुओं और हिंदू समूहों द्वारा उनके साथ हो रही बर्बरता को दिखाने के लिए किया जा रहा था। यह देखकर दुख होता है कि प्रौद्योगिकी के युग में सूचनाओं के प्रसार के लिए एक सोशल नेटवर्किंग का गठन किया गया लेकिन बिग टेक अब अपने एजेंडा के आगे कुछ नहीं देखते है।”

ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि जैक डॉर्सी भले ही ट्विटर के CEO का पद त्याग चुके हो, परन्तु ट्विटर में वामपंथ का विष अभी भी भरा हुआ है। जिस प्रकार से वे तालिबान के प्रवक्ताओं को खुलेआम अपने अकाउंट को सक्रिय चलने देते हैं, परन्तु वहीँ पर आतंकवाद और उग्रवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले अकाउंट को निलंबित कर देते हैं, तो सन्देश स्पष्ट है – एजेंडा उंचा रहे हमारा।

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