सन् 1985 में आई फिल्म ‘मर्द’ का एक प्रसिद्द डायलॉग है, जिसमें नायक अमिताभ बच्चन कहते हैं ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखें तो ऐसे डायलॉग सिर्फ फ़िल्मों तक सीमित है। हम यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पुरुषों पर बढ़ते दुराचार और सामाजिक शोषण ने एक बार फिर ‘Man Also Matter’ की अवधारणा को महत्ता दी है। हाल ही में, पुरुषों पर लगते झूठे अपराध को लेकर एक और मामला सामने आया है, जिसमें गुरुग्राम के सात पुलिस स्टेशनों में सात पुरुषों के खिलाफ बलात्कार के सात मामले दर्ज कराने वाली एक छात्रा को कथित तौर पर जबरन वसूली और फर्जी यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
झूठे मामले में एक छात्रा ने सात पुरुषों को फंसाया
दरअसल, छात्रा ने पिछले 14 महीनों में सात फ़र्जी शिकायतें दर्ज की थी। इनमें से तीन मामले पहले ही बंद किए जा चुके हैं। वहीं, दो मामलों में उसे IPC की धारा 182 (झूठी सूचना, लोक सेवक को अपनी वैध शक्ति का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से) के तहत अदालत में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया है। बता दें कि उस छात्रा की गिरफ्तारी तब हुई, जब उसने उन सात पुरुषों में से एक की मां के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
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हालांकि, इस मामले को लेकर पुलिस ने कहा कि ‘महिला को कथित तौर पर ‘हनी-ट्रैपिंग’ और कई पुरुषों के खिलाफ बलात्कार के फर्जी मामले दर्ज करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।’ उन्होंने कहा कि “महिला, कथित तौर पर BA (ऑनर्स) की छात्रा है, उसने सात लोगों पर बलात्कार का आरोप लगाया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि “उसे बुधवार को शहर की एक अदालत में पेश किया गया और बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।”
फर्जी शिकायतें दर्ज कराती थी छात्रा
वहीं, द प्रिंट के अनुसार ACP (Crime Dept.) प्रीत पाल सिंह सांगवान ने कहा कि “अपराधी छात्रा के साथ उसकी मां भी रैकेट में शामिल है और इस मामले में एक अन्य व्यक्ति की पहचान नरेंद्र यादव के रूप में हुई है और लड़की को जेल भेज दिया गया है, हम सभी कोणों से मामले की जांच कर रहे हैं। हमारी टीमें लड़की की मां और एक अन्य आरोपी को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है।”
बताते चलें कि मामले में पीड़ित व्यक्ति के परिवार का आरोप है कि महिला और उसके परिवार ने उन्हें ब्लैकमेल किया था। परिवार को धमकी दी गई कि ‘पैसे दो या शादी कर लो।’ ACP प्रीतपाल सांगवान ने कहा कि “जांच के दौरान, यह पाया गया कि महिला पैसे की मांग करती थी और पैसे नहीं देने पर बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने की धमकी दे रही थी। गौरतलब है कि यह महिला पहले भी जबरन वसूली के लिए ऐसी 7 फर्जी शिकायतें दर्ज करा चुकी है। साथ ही, महिला अपनी मां और चाचा के साथ सिंडिकेट चलाती है।”
बिना गुनाह के पुरुषों को दोषी ठहराने पर रोक जरुरी
ऐसे में, पुरुषों पर फर्जी आरोप लगाना नया नहीं है। आपको कुछ साल पीछे ले चलते हैं, जहां पर जसलीन कौर द्वारा 2015 में सर्वजीत सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए फेसबुक पर सिंह की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें कहा गया कि सर्वजीत सिंह ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद राष्ट्रीय हस्तियों और राजनेताओं ने सोशल मीडिया पर छेड़खानी और यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए कौर को व्यापक समर्थन प्रदान किया था और यही नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री, अरविंद केजरीवाल ने भी कौर का समर्थन किया था। आपको बता दें कि इसके अगले दिन ही यौन उत्पीड़न के आरोप में सर्वजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय समाचार चैनलों सहित भारतीय मीडिया ने सिंह को ‘दिल्ली का दरिंदा’ (दिल्ली का शिकारी) कह दिया था।
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गौरतलब है कि इस घटना के कुछ दिनों बाद, एक चश्मदीद ने सिंह की बेगुनाही की पुष्टि की, जिससे सिंह को न्याय की उम्मीद मिली। इस झूठे आरोप के बाद ‘जसलीन कौर’ कनाडा चली गईं और तीन साल तक अदालती कार्यवाही में पेश नहीं हुई। इस मामले को लेकर 2019 में, एक भारतीय अदालत ने सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया और उन्हें निर्दोष ठहराया गया। हालांकि, CM अरविंद केजरीवाल और मीडिया चैनलों ने सर्वजीत सिंह से आज -तक माफी भी नहीं मांगी। ऐसे में, पुरुषों पर झूठे आरोप लगाकर ना जाने कितने निर्दोष लोगों के जीवन को बर्बाद किया गया है। न्यायिक प्रक्रिया में पुरुष होना ही गुनाह में लिप्त होना है, तो यह अनुचित और इस पर जल्द से जल्द सख्त एवं क़ानूनी निर्णय अपनाना जरुरी है।