बधाई हो! 8 साल बाद, आखिरकार विपक्ष को मुद्दा मिल गया है, या शायद नहीं मिला है

PM मोदी भाषण के बीच में अटके, तो विपक्ष में दौड़ी खुशी की लहर

टेलीप्रॉम्प्टर मोदी

जिनके घर शीशे के होते हैं वो दुसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकते ये कहावत तो आपने सुना ही होगी। कुछ ऐसा ही हाल देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का हो चुका है। कांग्रेस अपनी पार्टी के अंदर चल रहे अंतरकलह को छोड़ विपक्षी खेमें के बड़े नेताओं की उपेक्षा में दिन-रात लगी रहती है। दरअसल, 2014 में जब से मोदी सरकार आई है तब से ही कांग्रेस के बड़े नेता बेरोज़गार हो गए है। उनका एक ही काम है और वो है सोशल मीडिया पर अपनी घटिया बयानबाज़ी से अपने जैसे कुंठित मानसिक्ता से ग्रसित वामपंथियों का ब्रेन वाश करना।

यहां हम इस बात की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्यूंकि कल यानि 17 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित कर रहे थे तब उनके संबोधन के दौरान, टेलीप्रॉम्प्टर में छोटी सी तकनीकी गड़बड़ी हुई, जिसके बाद ट्विटर ट्रोल्स द्वारा पीएम मोदी की छवि को धूमिल करने की नाकाम कोशिश की गई।

क्या है मामला?

PM मोदी भाषण के दौरान अपनी बाईं ओर देखते हैं और फिर WEF के कार्यकारी अध्यक्ष क्लॉस श्वाब से पूछते हैं कि क्या उनका भाषण और उनकी आवाज ठीक से सुनी जा सकती है?

https://twitter.com/Sunandhaspeaks/status/1483308373491974146?s=20

आपको बता दें कि यह गड़बड़ी टेलीप्रॉम्प्टर नामक मशीन के कारण हुई थी। तकनीकी गड़बड़ी दूर हो जाने के बाद, PM मोदी ने अपना भाषण फिर से शुरू किया। सोशल मीडिया पर इस रुकावट को नोट किया गया, कई समझदार उपयोगकर्ताओं ने इसके लिए टेलीप्रॉम्प्टर की खराबी को जिम्मेदार ठहराया।

जानिए क्या है टेलीप्रॉम्प्टर?

टेलीप्रॉम्प्टर वो उपकरण है जिसका उपयोग प्रस्तुतिकर्ता को उस पाठ तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया जाता है जिसे उन्हें बोलने की आवश्यकता होती है। बड़े प्रोडक्शन कंपनी और लाइव भाषणों में टेलीप्रॉम्प्टर का उपयोग होता है जिससे अपना संवाद अच्छे से लोगो के साथ साझा किया जा सके। केवल नेता ही नहीं, एंकर भी इसका प्रयोग करते हैं । अब यह एक मशीन है तो यह ख़राब भी हो सकती है और इसमें तकनीकी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है जैसा कि प्रधानमंत्री के सम्बोधन में तकनिकी खराबी हुई थी।

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन ट्रोल्स पर भरोसा करते हुए सोशल मीडिया पर पीएम मोदी को बदनाम करने की कोशिश की।

 

इतना ही नहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम मामलें में PM मोदी को ट्विटर पर ट्रोल करने वाले सबसे ज्यादा ट्रोलर्स कांग्रेस समर्थित थे। वो ट्वीट के ज़रिये यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि देश के प्रधानमंत्री मोदी बिना टेलीप्रॉम्प्टर के सहारे अपना भी भाषण नहीं दे सकते। कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने दावा किया, “हमें टेलीप्रॉम्प्टर ने लूट लिया…” और हैशटैग टेलीप्रॉम्प्टरपीएम का इस्तेमाल किया।

दरअसल, कांग्रेस आज कल बहुत परेशान है और हो भी क्यों ना नरेंद्र मोदी सहित भाजपा ने कांग्रेस की राजनीतिक नींव हिला दी है जिससे उभरने में कांग्रेस को कई दशक लगेंगे। कांग्रेस से जुड़े कई हैंडल ने दावोस के भाषण पर ट्वीट किया। नरेंद्र मोदी खुले मंच से कांग्रेस को भ्रष्टाचार का जनक कह चुके हैं। कोयला घोटाला, CWG घोटाला, 2 G घोटाला सहित कई घोटाले कांग्रेस सरकार में हुए थे इसलिए मोदी का कांग्रेस को भ्रष्टाचार का जनक कहना कुछ गलत नहीं था लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस के पास मुद्दों की कमी है।  वो ऐसे विषय पर PM मोदी को घेरना चाहती है, जो हास्यास्पद है।

सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री के संवाद कौशल का मज़ाक राहुल गाँधी उड़ा रहे थे। ये वही राहुल गाँधी है जो कभी आलू से सोना निकालते हैं, तो कभी अपना संवाद भूलने के अंतराल में अपने समकक्ष नेताओं की तरफ मदद की निगाह से देखते रहते हैं।

वैसे तो PM मोदी की वक्तव्य शैली को किसिस परिचय की आवश्यकता नहीं। लेकिन आपको बता दें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी एक असाधारण वक्ता हैं और उनके भाषण आपको उनका प्रशंसक बना देने की शक्ति रखते हैं, भले ही आपके राजनीतिक विचार कुछ भी हों। दिलचस्प, आकर्षक और मंत्रमुग्ध कर देने वाले भाषण देने के मामले में प्रधान मंत्री से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। प्रधान मंत्री मोदी चुनावी रैलियों में बिना स्क्रिप्ट पढ़े लंबे भाषण देते हैं, और यह एक अच्छे वक्ता की पहचान है।

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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलते हैं, तो वह चीजों के उज्जवल पक्ष को दिखाकर हमें प्रेरित करते हैं। उनके भाषणों में आशावाद की प्रबल भावना होती है और जब PM मोदी जैसा वक्ता अपनी सकारात्मकता साझा करता है, तो हम भी आशावादी महसूस करते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि ‘भावनाएं संक्रामक होती हैं’ और हम वैसा ही महसूस करते हैं जैसा वक्ता महसूस करता है। इसलिए, यदि वक्ता सकारात्मक और आशावाद से भरा हुआ महसूस करता है, तो हम उसी तरह महसूस करने लगते हैं।प्रधानमंत्री मोदी एक शानदार वक्ता हैं जो जानते हैं कि कब बोलना है और कब रुकना है। अब इस बात से यह साफ़ होता है कि सोशल मीडिया पर #teleprompter नाम का कूड़ा चल रहा है वो वामपंथ जनित है जो अब उजागर हो चुका है।

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