बेंगलुरू: दो लड़कियों ने खड़ा किया 600 करोड़ का स्टार्टअप, डेयरी किसानों के लिए बनाया ऑनलाइन ऐप

Animall नामक ऐप पर किसान खरीदते हैं गाय और भैंस!

एनिमल टेक्नोलॉजीज

एनिमल टेक्नोलॉजीज- आपने बहुत सारे स्टार्टअप्स के बारे में सुना होगा। खैर, पिछले कुछ वर्षों में भारत स्टार्टअप्स का देश बन गया है। एक वर्ष में सर्वाधिक ‘यूनिकॉर्न’ निर्मित करने के मामले में भारत ने चीन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारत सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न की संख्या वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसे ही बाहर छोड़ दिये जाने वाली आवारा पशुओं से कोई मिलियन डॉलर बना सकता है?

नीतू यादव और कीर्ति जांगड़ा ने ऐसा कर दिखाया है। ये दोनों देश के उस हिस्से में पली-बढ़ी हैं, जिसमें देश के मुख्य रूप से हिंदी भाषी राज्य बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। 26 वर्षीय नीतू राजस्थान के एक डेयरी किसान की बेटी हैं और 28 वर्षीय कीर्ति के पिता हरियाणा में सरकारी कर्मचारी हैं।

इन दोनों के माता-पिता तब परेशान हो गए जब उनकी बेटियों ने घोषणा की कि उनके पोस्ट-इंजीनियरिंग-डिग्री करियर को जारी रखने के बजाय, वह एक स्टार्टअप पर काम करना चाह रही हैं। खैर, यह डर समझ में भी आता है। कीर्ति जांगड़ा ने अमेरिका में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की थी और फिर अचानक से अपने करियर को छोड़ वह एक स्टार्टअप पर काम करना चाह रही थी, तो घरवालों को अचंभा हुआ। रही सही कसर उनके स्टार्टअप आईडिया ने पूरी कर दी। उनका आईडिया यह था कि वह मवेशियों के व्यापार के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस शुरू करना करना चाहती थी।

खैर, कैसे भी यह स्टार्टअप शुरू हुआ और आज उनकी दो साल पुरानी कंपनी, एनिमल टेक्नोलॉजीज का मूल्य अब $80 मिलियन यानी 600 करोड़ रुपये है और इसे “गायों के लिए इंस्टाग्राम / अमेज़ॅन” के रूप में वर्णित किया जाता है।

उन्होंने देश के शीर्ष उद्यम पूंजीपतियों से 160 करोड़ रुपये जुटाए। उनका कहना है कि पिछले दो वर्षों में 2,500 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 5 लाख मवेशी उनके मंच एनिमल टेक्नोलॉजीज पर बेचे गए हैं, जो सभी प्रतिस्पर्धाओं से बहुत आगे हैं। नवंबर में वे मार्केटप्लेस/डिस्कवरी प्लेटफॉर्म से खुद भी मवेशी बेचने लगी। नीतू का कहना है कि जनवरी की बिक्री 1 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है लेकिन उनके परिवारों के लिए ये हवा-हवाई संख्याएं हैं। उन्हें अभी भी विश्वास नहीं है। कीर्ति मजाकिया लहजे में बताती है कि,”दो लाख के बाद मेरा परिवार जीरो की व्याख्या नहीं कर पा रहा है।”

उनकी कंपनी एनिमल टेक्नोलॉजीज कई किसान-संचालित डिजिटल प्लेटफार्मों में से एक है, जो पिछले कुछ वर्षों में नवाचार, प्रौद्योगिकी और कृषि क्षेत्रों के बढ़ते प्रयासों के कारण फली-फूली है। डेयरी एक ऐसा उद्योग है जो अभी भी लगभग आधी आबादी को रोजगार देता है।

इस उद्योग को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए

डेयरी फार्मिंग ग्रामीण भारत में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है और एनिमल के ग्राहक इस उद्योग से ही आते हैं। इस उद्योग के दायरे के बारे में नीतू कहती है, “हर साल 50,000 रुपये के औसत लेनदेन मूल्य के साथ 10 करोड़ तक के लेनदेन होते हैं और इसमें से 80 प्रतिशत डेयरी मवेशी हैं।”

आदर्श है ऐसा उद्यम

डेयरी क्षेत्र पुरूष प्रधान रहा है। कीर्ति और नीतू, पुरुष-प्रधान कृषि-तकनीक क्षेत्र की कुछ महिलाओं में से हैं और उन महिला संस्थापकों के एक कुलीन वर्ग में शामिल हैं, जो कम समय में ही काफी सफल बन गई हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि कैसे आप मवेशियों को ऑनलाइन बेचती हैं?

सबसे पहले, नीतू और कीर्ति ने सोचा कि उपयोगकर्ताओं को बुनियादी तथ्यों में दिलचस्पी होगी: जैसे पशुओं की उम्र, स्तनपान, कीमत इत्यादि लेकिन उन्होंने पाया कि खरीदार विक्रेता से “व्यक्तिगत” विवरण पसंद करते हैं। नीतू बताती हैं कि हम यह बताते हैं कि, “गाय सीधी है, सुशील है, समय पर खाती, सोती है और लोगों को यह विवरण पसंद आता है।”

एक समय उन्होंने सोचा कि एक “अच्छे” अधिसूचना स्वर के लिए एक गाय की आवाज हो लेकिन जब वे अपनी रचनात्मकता के लिए अपनी प्रशंसा कर रहे थे, तब उन्हें एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। उनसे कहा गया कि “यह शर्मनाक है, तुम लोग क्या कर रहे हो?”

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यह खबर कई मायनों में आवश्यक है। पहला यह कि यह देश में यह स्टार्टअप इकोसिस्टम की मजबूती दिखाती है। हमने आपको बताया था कि ओरियोस वेंचर पार्टनर्स ने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि साल 2021 में भारत में एक अरब डॉलर से ज्यादा वैल्युएशन वाले 46 स्टार्टअप, यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) का दर्जा पाने में सफल रहे। भारत में मौजूद कुल यूनिकार्न की संख्या अब दोगुनी से भी ज्यादा होकर 90 हो गई है। यह हमारे देश के लिए काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जहां 2015 के अंत तक देश में केवल 19,000 स्टार्टअप और 8 यूनिकॉर्न थे। रिपोर्ट के मुताबिक अब ये स्टार्टअप न सिर्फ नवोन्मेषी समाधान एवं तकनीक लेकर आ रहे हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा कर रहे हैं।

दूसरा यह कि स्टार्टअप इकोसिस्टम में महिलाओं की प्रतिभागिता किस स्तर पर बढ़ रही है, यह रिपोर्ट इसका भी प्रमाण है। भारत में महिला उद्यमी अभी भी एक प्रतिशत से कम हैं और ऐसे खास केस महिलाओं को ताकत देने का कार्य कर सकते हैं।

तीसरा और सबसे आवश्यक बिंदु यह है कि कृषि क्षेत्र में बहुत स्कोप है। तकनीक और पूंजीवाद के सम्मेलन से कृषि नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है।है। खैर, जैसे-जैसे यह ऐप लोकप्रिय होता जा रहा है और अधिक निवेश होता जा रहा है, और यह डेरी उद्योग के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है।

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