भारत-श्रीलंका समझौते के बाद चीन ‘जल बिन मछली’ की भांति तड़प रहा है

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे!

श्रीलंका ने महत्वपूर्ण त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म में भारत के हिस्से को आधिकारिक मोहर लगाने के बाद चीन आग बबूला हो उठा है। चीन भारत के पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक गठजोड़ बनाकर भारत को एशिया में कमज़ोर करने का षड़यंत्र रच रहा है और इसी क्रम में चीन भारत के सबसे करीब पड़ोसी देश श्रीलंका से व्यापारिक सौदे को लेकर वार्ता कर रहा है। हाल ही में, चीन के विदेश मंत्री Wang Yi ने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करते हुए कहा, “किसी भी ‘तीसरे देश’ को अपने करीबी संबंधों में ‘हस्तक्षेप’ नहीं करना चाहिए।” यह बात स्पष्ट रूप से चीन ने भारत के लिए कही है।

चीनी विदेश मंत्री श्रीलंका दौरे पर

दरअसल, दो दिवसीय कोलंबो की यात्रा पर आए Wang Yi ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ अपनी बैठक में कहा कि चीन और श्रीलंका के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध दोनों देशों के विकास के लिए लाभदायक हैं। बता दें कि चीन कर्ज के जाल में छोटे एशियाई देशों को फ़साने के आरोपों के बीच श्रीलंका के बंदरगाहों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश करने की कोशिश कर रहा है। 1.2 अरब डॉलर के कर्ज की अदला-बदली के लिए 99 साल के Lease पर हंबनटोटा बंदरगाह का चीन द्वारा किया गए अधिग्रहण ने छोटे देशों को भारी ऋण और निवेश प्रदान करके चीन ने चिंता में डाल दिया है।

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गौरतलब है कि चीन समुद्र में पुनः प्राप्त भूमि के साथ कोलंबो बंदरगाह शहर परियोजना के तहत एक नया शहर बना रहा है, जिससे बीजिंग हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा सके है किन्तु यह परियोजना भारत के लिए एक चिंता का विषय है। आपको बता दें कि चीन बेल्ट एंड रोड (BRI) बुनियादी ढांचा परियोजना का उदाहरण के तौर पर उपयोग कर एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप के देशों में अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बड़ी रकम खर्च कर रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प BRI (Belt & Road Initiative) के लिए बेहद आलोचनात्मक थे और उनका विचार था कि चीन का ‘शिकारी वित्तपोषण’ छोटे देशों को भारी कर्ज के तहत कमज़ोर कर रहा है, जिससे उनकी संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है।

हिंद महासागर द्वीप देशों के विकास के लिए एक प्रस्ताव

वहीं, पिछले महीने चीन ने सुरक्षा चिंता का हवाला देते हुए, श्रीलंका के उत्तरी दिशा में स्थित तीन द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की एक परियोजना को निलंबित कर दिया था। गौरतलब है कि Wang Yi ने श्रीलंका विदेश मंत्री जी॰ एल॰ पेरिस के साथ बातचीत के दौरान हिंद महासागर द्वीप देशों के विकास के लिए एक मंच स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसको लेकर पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह प्रस्ताव इस क्षेत्र में चीन द्वारा अपने विस्तार का एक प्रयास है। Wang Yi ने कहा, “चीन का प्रस्ताव है कि सर्वसम्मति और तालमेल बनाने और आम विकास को बढ़ावा देने के लिए हिंद महासागर द्वीप देशों के विकास को लेकर एक मंच आयोजित किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “श्रीलंका इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”

चीन की लालच देने वाली नीति

उनहोंने आगे कहा कि “इस बार हिंद महासागर के कई द्वीप देशों की अपनी यात्रा के दौरान, मुझे लगता है कि सभी द्वीप देश समान अनुभव और समान जरूरतों को साझा करते हैं, समान प्राकृतिक बंदोबस्ती और विकास लक्ष्यों के साथ और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को मजबूत करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां और पूरी क्षमता रखते हैं।” वहीं, इस बातचीत के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के भाई हैं, उन्होंने Wang Yi के सामने श्रीलंका के विदेशी मुद्रा संकट और बढ़ते विदेशी ऋण जैसे मुद्दे को उठाया और बीजिंग से सहायता की मांग की।

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ऐसे में, चीन लालच देकर भारत के पड़ोसियों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है और ऐसा करके वह आने वाले समय में भारत की सम्प्रभुता के लिए खतरा बन रहा है किन्तु चीन यह भूल रहा है कि श्रीलंका ने हाल ही में भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक मधुर बनाने के लिए कदम उठाए हैं।

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