Akarmak kriya Ki Definition
अकर्मक क्रिया दो शब्दों से मिलकर बना है अ+ कर्म. यानी कि जिसमें कर्म का अभाव होता है. जहां कर्ता द्वारा किया गया कार्य किसी अन्य चीज को प्रभावित नहीं करता है. अर्थात जिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती हैं. दूसरे शब्दों में समझे तो जब किसी वाक्य में कर्ता हो और क्रिया भी हो लेकिन कर्म ना हो तो वहां पर अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) होती है.
जैसे–
श्याम पढता है. इस वाक्य में पढने का फल श्याम पर ही पड़ रहा है. इसलिए पढता है अकर्मक क्रिया है.
Examples of Akarmak Kriya
राजेश दौड़ता है.
सांप रेंगता है.
पूजा हंसती है.
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं की कर्म का अभाव है अर्थात कर्म नहीं है और क्रिया का सीधा फल कर्ता पर पड़ रहा है.
अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) कैसे पहचाने
अकर्मक क्रिया को हम इस प्रकार से भी पहचान सकते हैं:-
अकर्मक क्रिया के पहचान
यदि क्या, किसे या किसको आदि प्रश्न करने से उनके उत्तर हमें प्राप्त नहीं होते हैं तो वह अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) होगी. वहीं अगर उन प्रश्नों का उत्तर हमें मिल जाता है तो यह सकर्मक क्रिया होगी.
जैसे:
Sakarmak Kriya Ka Udharan
1.सुरेश ने राजू को मारा.
इन वाक्य में क्या किसे किसको लगाकर प्रश्न करने पर उत्तर मिल जाते हैं जैसे-
१. सुरेश ने किसको मारा?
उत्तर : सुरेश ने राजू को मारा.
सचिन फुटबॉल मैच खेलता है – यहाँ पर भी ‘सचिन’ कर्ता द्वारा की गई क्रिया ‘खेलना’ है, जिसका प्रभाव ‘फुटबॉल मैच’ में पड़ रहा है इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया होगी.
इन वाक्य का उत्तर क्या किसे किसको में से किसी से भी उत्तर मिल चुका है इसलिए यहां सकर्मक क्रिया है.
ठीक इसी प्रकार अकर्मक क्रिया का उदाहरण:-
1.सुरेश ने मारा.
इन वाक्यों में कर्म का अभाव है तथा इसे पहचानने के लिए हम क्या किसे किसको प्रश्नों को लगाकर प्रश्न करने पर इसका उत्तर नहीं मिलेगा इसलिए यहां अकर्मक क्रिया होगा. जैसे:-
१.सुरेश ने किसको मारा?
उत्तर: ???????
2.माया सारा दिन सोती रहती है – यहाँ कर्ता ‘माया’ के द्वारा ‘दिनभर सोने की क्रिया’ करने का प्रभाव किसी अन्य पर नहीं पड़ रहा है, अतः यहाँ कर्म की अनुपस्थिति है. इसलिए इस वाक्य में अकर्मक क्रिया होगी.
इन वाक्यों में हमें प्रश्नों का उत्तर नहीं मिल रहा है इसलिए यहां अकर्मक क्रिया है.
इस प्रकार हम अकर्मक क्रियाओं की पहचान कर सकते हैं.
और पढ़े: Noun कितने प्रकार के होते है और इनकी परिभाषा
Other examples of Akarmak kriya
सीता रोती है.
आशीष खाता है.
सुनील चढ़ता है.
मनीष सुनाता है.
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि इन वाक्यों में कर्म का अभाव है. जिसका मतलब है कि वाक्य में कर्म नहीं है. जिसके परिणाम स्वरूप क्रिया का सीधा फल कर्ता पर पड़ रहा है. जैसा कि हमें पता है कि जब वाक्य में कोई कर्म नहीं होता है तब क्रिया अकर्मक होती है. अतः ऊपर दिए गए उदाहरण भी अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) के अंतर्गत आयेंगे. आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर फॉलो करें.