बिग बाजार की स्थापना के बाद किशोर बियानी रिटेल के एक बेताज बादशाह के रूप में उभरे पर वर्ष 2019 आते-आते भारी आर्थिक क्षति के कारण फ्यूचर ग्रुप पर ₹12,778 करोड़ का कर्ज हो गया। भारत की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA ने भी फ्यूचर ग्रुप की रेटिंग नकारात्मक कर दी। फ्यूचर ग्रुप को बचाने के लिए बियानी ने Amazon को अपनी गैर-सूचीबद्ध इकाई फ्यूचर कूपन का 49 फीसदी हिस्सा 1,500 करोड़ में बेचने हेतु एक सौदा किया। इस सौदे ने Amazon को अनुबंध के 3-10 वर्षों के भीतर फ्यूचर रिटेल में शामिल फ्यूचर कूपन की पूरी या कुछ हिस्सेदारी हासिल करने के विकल्प का प्रयोग करने के लिए अधिकृत किया। इस सौदे ने Amazon को पहले इनकार का अधिकार (Right of first refusal) और एक गैर-प्रतिस्पर्धा खंड (Non-compete Clause) भी प्रदान किया, जिसने Amazon के संभावित प्रतिस्पर्धियों जैसे रिलायंस, वॉलमार्ट, Google, सॉफ्टबैंक, अलीबाबा, नैस्पर्स, ईबे, टारगेट, पेटीएम, ज़ोमैटो, स्विगी के साथ फ्यूचर के संभावित सौदे को प्रतिबंधित कर दिया।
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रिलायंस की एंट्री
वर्ष 2020 के कोविड बंदी से उपजे आर्थिक संकट ने फ्यूचर ग्रुप की कमर तोड दी। अप्रैल 2020 तक फ्यूचर रिटेल की बिक्री सामान्य स्तर से लगभग 75 फीसदी कम हो गई, जिससे कार्यशील पूंजी प्रवाह पर भारी दबाव पड़ा। फ्यूचर ग्रुप को इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए रिलायंस आगे आया। अगस्त 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल ने ₹24,713 करोड़ में फ्यूचर खुदरा, थोक, रसद और वेयर हाउसिंग इकाइयों को खरीदने का करार किया। इस अधिग्रहण में फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर लाइफस्टाइल और फ्यूचर कंज्यूमर शामिल हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि यही करार फ्यूचर समूह, रिलायंस और Amazon के बीच व्यापारिक विवाद का कारण बन गया। फ्यूचर रिटेल के पूरे भारत में 400 से अधिक शहरों और कस्बों में 1,800 रिटेल स्टोर हैं। इसका अर्थ यह है कि इन दोनों दिग्गजों में से जिसके पास फ्यूचर ग्रुप की चाबी होगी, वो भारत के 1.3 ट्रिलियन डॉलर के E-Commerce बाजार और खुदरा व्यापार का मालिक होगा, क्योंकि उसे फ्यूचर ग्रुप की बनी बनाई आधारभूत संरचना और ब्रांड बैठे बिठाए प्राप्त होगा।
सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर पहुंचा विवाद
फ्यूचर-रिलायंस डील से व्यथित Amazon ने अक्टूबर 2020, में सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SICA) में एक आपातकालीन मध्यस्थता मामला दायर किया। गैर-प्रतिस्पर्धा (Non-compete Clause) और प्रथम इंकार का अधिकार (Right of first refusal) खंड के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए Amazon ने SICA से फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के करार को रोकने की गुहार लगाई। 25 अक्टूबर, 2020 को SICA ने Amazon के पक्ष में फैसला सुनाया और फ्यूचर-रिलायंस सौदे को अपने अंतिम फैसले तक रोकते हुए फ्यूचर के खिलाफ एक निरोधक आदेश जारी किया। SICA के फैसले के उत्साहित Amazon ने SEBI, CCI और स्टॉक एक्सचेंजों को फ्यूचर-रिलायंस सौदे के खिलाफ लिखित निवेदन किया, जबकि फ्यूचर ग्रुप इस सौदे पर सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रहा था।
सर्वोच्च न्यायालय की एंट्री
मामला SEBI, CCI, दिल्ली उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच, डिवीजन बेंच, NCLT से होता हुआ सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा। 21 अक्टूबर, 2021 को रिलायंस के साथ अपने ₹24,713 करोड़ के सौदे पर अंतरिम रोक हटाने के लिए फ्यूचर द्वारा दायर आखिरी आवेदन को भी SICA द्वारा खारिज कर दिया गया था। फ्यूचर ग्रुप का तर्क था कि Amazon ने फ्यूचर ग्रुप के फ्यूचर कूपन समूह के साथ करार किया है, जबकि रिलायंस ने फ्यूचर रिटेल के साथ। अतः फ्यूचर रिटेल को मध्यस्थता की कार्रवाई से बाहर रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह इसके प्रमोटर फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड और Amazon के बीच विवाद का पक्ष नहीं है। गौरतलब है कि SICA ने फ्यूचर रिटेल को भी Amazon और फ्यूचर कूपन के बीच चल रहे मध्यस्थता में एक पक्ष माना।
CCI ने Amazon को बताई उसकी औकात
17 दिसंबर को मामलों ने तब एक आश्चर्यजनक मोड़ लिया, जब भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग CCI ने फ्यूचर कूपन में Amazon के निवेश के लिए अपनी मंजूरी को निलंबित कर दिया, जिसने रिलायंस को फ्यूचर रिटेल की बिक्री को अवरुद्ध करने के Amazon के प्रयासों में सेंध लगा दी। CCI ने माना कि Amazon ने झूठे बयानो के माध्यम से आयोग को गुमराह किया था। CCI ने पाया कि Amazon ने अधिग्रहण के समय शेयरधारक समझौते के विवरण का खुलासा नहीं किया था और उसका उद्देश्य फ्यूचर रिटेल पर रणनीतिक अधिकार हासिल कर भारतीय खुदरा क्षेत्र पर एकाधिकार स्थापित करना था। CCI ने Amazon और फ्यूचर कूपन के संयोजन हेतु अपनी पूर्व स्वीकृति को ही स्थगित कर दिया, जिसके बाद अब आयोग इस संयोजन की नए सिरे से जांच करेगा। सीसीआई ने अनुमति लेने के समय तथ्यों को छिपाने हेतु Amazon पर ₹200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था ।
Amazon का झूठ पकड़ा गया
CCI की जांच अब सही साबित होती दिख रही है। खबर है कि 19 जनवरी को, Amazon ने फ्यूचर रिटेल के स्वतंत्र निदेशकों से वित्तीय चिंताओं को दूर करने हेतु संपर्क किया था। Amazon ने एफआरएल के स्वतंत्र निदेशकों से संपर्क किया था और अपनी वित्तीय चिंताओं को दूर करने में मुंबई स्थित कंपनी की सहायता करने की इच्छा दोहराई थी। जिसके जवाब में स्वतंत्र निदेशकों ने Amazon को 22 जनवरी तक पुष्टि करने के लिए कहा था। Amazon ने 22 जनवरी को अपने जवाब में कहा, “हम पुष्टि करते हैं कि 21 जनवरी, 2022 को आपके पत्र के आधार पर समारा कैपिटल ने एक बार फिर हमें बताया है कि उनकी दिलचस्प है और वह समारा, एफआरएल और एफआरएल के प्रवर्तकों के बीच हस्ताक्षरित 30 जून 2020 की पेशकश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
Amazon ने कहा कि परिकल्पित लेन-देन फ्यूचर रिटेल में संपत्ति बिक्री और एक इक्विटी के माध्यम से धन की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, जो फ्यूचर रिटेल को ऋणग्रस्तता से उबारेगा। Amazon ने अपने पत्र में कहा कि समारा समझौते के तहत एफआरएल की सभी खुदरा संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें ईजी डे, आधार और हेरिटेज ब्रांड शामिल हैं। यह अधिग्रहण समारा की अगुवाई में भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण वाली इकाई द्वारा किया जाएगा, जिसे Amazon का समर्थन हासिल होगा।
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लेकिन Amazon की चोरी पकड़ी गई। स्वतंत्र निदेशकों को भेजे गए प्रस्ताव से साफ-साफ सिद्ध होता है कि Amazon फ्यूचर रिटेल को खरीदना चाहता था। पर, वह फ्यूचर ग्रुप को औने पौने दाम पर खरीदना चाहता था, इसीलिए उसने फ्यूचर ग्रुप को अधिक आर्थिक संकट में फंसने का इंतजार किया और जब रिलायंस ने उस लगभग 25 हजार करोड़ के अच्छे दाम में खरीदना चाहा तो उस सौदे को प्रभावित किया। पूर्णतः सिद्ध है कि गलत ढंग से फ्यूचर ग्रुप को खरीदकर Amazon भारतीय E- commerce बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहता था, जिसे रिलायंस, फ्यूचर ग्रुप और CCI ने मिलकर ध्वस्त कर दिया है।
CCI के आदेश को Amazon ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है, जिसने फेयर ट्रेड रेगुलेटर और फ्यूचर रिटेल को नोटिस जारी किया है। NCALT ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 2 फरवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।