स्टार्ट-अप के युद्ध में बेंगलुरु निकला चीन से आगे

बेंगलुरु ने बीजिंग और शंघाई की करी छुट्टी!

स्टार्टअप बेंगलुरु

भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय आर्थिक विभाग अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है और नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब नए स्टार्टअप्स की ही बात कर लीजिए। भारत में स्टार्टअप को लेकर एक नया ही जोश है। भारत में नए-नए तौर तरीकों से नए-नए व्यापार खुल रहे है। 2021 से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 30 स्टार्टअप खुले थे लेकिन 2021 में ही अकेले 41 स्टार्टअप खुले हैं। इसी तरह का एक रिकॉर्ड बेंगलुरु ने तोड़ा है। आंकड़ो की माने तो बेंगलुरु ने नए स्टार्टअप के लिए जितना पैसा जुटाया है, बीजिंग और शंघाई भी उतना पैसा नहीं जुटा पाए हैं। बेंगलुरू ने 2021 में अपनी वेंचर कैपिटल फंडिंग को दोगुना से अधिक 18.6 बिलियन डॉलर कर दिया था।

लंदन एंड पार्टनर्स और डीलरूम डॉट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास ने भारत की सिलिकॉन वैली को चीन के बीजिंग और शंघाई से आगे कर दिया, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से बहुत अधिक आंकड़े देखे हैं।

दक्षिणी भारतीय राज्य कर्नाटका की राजधानी विश्व भर में ‘नए यूनिकॉर्न’ पैदा करने वालों की श्रेणी में शीर्ष 10 में से चौथे स्थान पर आती है। इतना ही नहीं, इस श्रेणी में दूर-दूर तक कोई चीनी शहर दिखाई नहीं देता।

हाल के दिनों में शी जिनपिंग के प्रशासन द्वारा टेक और अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियों और हाई-प्रोफाइल उद्यमियों पर नकेल कसने के साथ चीन में निवेश की भावना में खटास आई है।

परिणामस्वरूप निवेशक भारत को अधिक अनुकूल रूप से देख रहे हैं। देश वेंचर कैपिटलिस्ट के पैसे, एक बढ़ती हुई प्रतिभा पूल और अप्रयुक्त घरेलू मांग से भरा हुआ है।

उसी समय एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि भारतीय स्टार्टअप आकर्षक बाजार में रह रहे है। पिछले साल कई IPO आए। पेटीएम के विनाशकारी प्रदर्शन को छोड़कर, ज़ोमैटो, नायका और पॉलिसीबाजार जैसे अन्य मार्केट डेब्यू ने अच्छा प्रदर्शन किया।

हालांकि, चीन अभी भी भारत से आगे है क्योंकि वह लंबे समय से दौड़ में है और इसने अधिक हब बनाए हैं जो अभी भी वैश्विक निवेशकों में रुचि जगाते हैं लेकिन निस्संदेह भारत इस अंतर को तेजी से पाट रहा है।

बेंगलुरु बना रहा है सबसे बड़ा हब

निजी कंपनियों और स्टार्टअप के निवेश और वित्तीय पर नज़र रखने वाली एक फर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार, बेंगलुरु में स्थापित स्टार्टअप की संख्या पिछले पांच वर्षों में सैन फ्रांसिस्को की तुलना में काफी अधिक रही है।

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उदाहरण के लिए, 2015 में, भारतीय शहर में 3,080 फर्मों की स्थापना की गई, जबकि अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 2,040 कंपनियां थीं। इसी तरह, 2018 में, सैन फ्रांसिस्को में 1,278 की तुलना में बेंगलुरु में 1,564 स्टार्टअप की स्थापना की गई थी। इसी तरह, 2020 में, बेंगलुरु की गिनती 805 थी, जबकि अमेरिकी शहर का आंकड़ा 619 था।

भारतीय शहर में वर्तमान में 13,000 से अधिक सक्रिय स्टार्टअप हैं, और बायजू, स्विगी और बिगबास्केट जैसे यूनिकॉर्न का घर है।

Tracxn के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता, उद्यम अनुप्रयोग, खुदरा और एड-टेक उन शीर्ष क्षेत्रों में से हैं, जिनमें सक्रिय फर्मों की संख्या सबसे अधिक है। इस विश्लेषण के लिए 2010 से स्थापित कंपनियों पर विचार किया गया है।

डीलरूम की हालिया रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से बेंगलुरु दुनिया का सबसे तेजी से विकसित होने वाला तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र रहा है, जिसमें 2016 से 2020 तक पूंजी निवेश 5.4 गुना बढ़ा है।

चीन की बढ़ती मुसीबत

चीन इस समय बर्बाद हो रहा है। वहां की तानाशाही साम्यवादी सरकार इस समय जिज़ बड़े पैमाने पर लगाम लग रही है, वहां से निवेशकों का मन उखड़ से गया है। अगस्त में ही खबरें आई थी कि चीन में चल रही तकनीकी कार्रवाई के परिणामस्वरूप एक सप्ताह में चीनी तकनीकी शेयरों से आधा ट्रिलियन डॉलर से अधिक का सफाया हो गया है, जिसमें अलीबाबा ग्रुप, कुआइशौ टेक्नोलॉजी और टेनसेंट होल्डिंग्स शामिल हैं।

चीनी सरकार के सख्त डेटा संरक्षण कानून के चलते स्थिति और गम्भीर हो गई है। उस कानून में कहा गया था कि प्रौद्योगिकी कंपनियां उपयोगकर्ता डेटा को कैसे संभालती हैं, वह सरकार की निगरानी में होगा। यह एक ऐसा कदम है जिसने निवेशकों को चिंतित कर दिया है।

सख्त नियामक निरीक्षण पिछले महीने गहरा गया जब चीन ने एक आश्चर्यजनक कदम में, 100 अरब डॉलर के शिक्षा क्षेत्र में निजी निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया, यह कहकर कि स्कूली विषयों को पढ़ाने वाले प्लेटफॉर्म विदेशी निवेश प्राप्त नहीं कर सकते।

अब ऐसी स्थिति में काम करना बहुत कठिन है। कई संस्थापकों और निवेशकों के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी स्टार्टअप, जो इस साल उद्यम पूंजी के रिकॉर्ड प्रवाह को बढ़ा रहे हैं, वह वैश्विक पूंजी को चीनी टेक कंपनियों से दूर करने में सफल रहेगी क्योंकि इस समय चीन एक नियामक हमले का सामना कर रही हैं।

चीन से निकलकर भारत में वह निवेश आ रहा है। TFI ने पहले भी बताया है कि चीन से निकले पैसों से लाखों करोड़ भारत में कैसे आ रहे है। दरअसल, खबरों की माने तो 2021 के दौरान निवेशकों की संपत्ति में 72 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। देश में सभी सूचीबद्ध शेयरों के संचयी मूल्य (Store of Value) के रूप में अगर इसे मापा जाता है, तो यह लगभग 260 लाख करोड़ रुपये तक चला जाता है।

शायद इसीलिए विदेशी निवेशक भी पागल की तरह भारत की ओर आ रहे हैं। JC 2 वेंचर्स के संस्थापक और सीईओ और सिस्को सिस्टम्स के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और सीईओ जॉन चेम्बर्स ने कहा, भारत ने अब चीन की तुलना में तकनीक और नवाचार के नेतृत्व वाली फर्मों के लिए अधिक अनुकूल वातावरण की पेशकश की है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारत का बेंगलुरु, यहां की सिलिकॉन वैली तो है ही, जल्द ही वह बोस्टन एवं न्यूयॉर्क होने वाला है।

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